रूस-यूक्रेन युद्ध के दो वर्ष बीतने के बाद अब एक नई उम्मीद की किरण नजर आ रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जंग को विराम देने के लिए बातचीत और समझौते को लेकर तैयार हैं। हालांकि यह पहल कई शर्तों पर आधारित है, जिनमें सबसे अहम है – क्रीमिया और डोनबास क्षेत्रों पर रूस का दावा। सवाल यही है कि क्या यूक्रेन इन इलाकों को रूस के अधीन मानने के लिए राज़ी होगा?
रूसी प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि पुतिन एक स्थायी युद्धविराम और शांति समझौते पर विचार कर रहे हैं, बशर्ते रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों को कानूनी रूप से मान्यता दी जाए। इनमें क्रीमिया, जो 2014 से रूस के नियंत्रण में है, और पूर्वी यूक्रेन का डोनबास क्षेत्र शामिल हैं, जहां रूसी समर्थित अलगाववादी गुट सक्रिय हैं।
वहीं यूक्रेन ने अब तक अपनी क्षेत्रीय अखंडता से कोई समझौता करने से साफ इनकार किया है। राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की की सरकार का कहना है कि जब तक एक इंच जमीन भी कब्जे में है, तब तक युद्ध जारी रहेगा। यूक्रेन की जनता और अंतरराष्ट्रीय सहयोगी देशों का भी यही मानना है कि क्रीमिया और डोनबास यूक्रेन का अभिन्न हिस्सा हैं, और इन्हें छोड़ना रूसी आक्रामकता को वैधता देने जैसा होगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस तेज है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और नाटो देशों ने रूस पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने से पहले स्पष्ट किया है कि यूक्रेन की संप्रभुता और सीमाओं की पूर्ण बहाली जरूरी है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि पुतिन की यह 'डील की पेशकश' वास्तव में शांति की ओर एक कदम है या एक रणनीतिक चाल।
विश्लेषकों का मानना है कि रूस पर बढ़ता वैश्विक दबाव, आर्थिक प्रतिबंध और सैनिक संसाधनों की कमी शायद पुतिन को युद्ध विराम की ओर धकेल रही है। वहीं यूक्रेन के लिए यह एक कठिन विकल्प है – क्या वह शांति के बदले अपने हिस्से की जमीन छोड़ सकता है?
फिलहाल, इस प्रस्ताव पर कोई ठोस सहमति नहीं बनी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि कूटनीति की टेबल पर अब हलचल तेज हो चुकी है।