भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
इस में कोई दो राय नहीं कि भारत में विवाह एक सामाजिक और धार्मिक बंधन के रूप में देखा जाता है, जिसे सात फेरों के साथ जीवनभर के साथ का प्रतीक माना जाता है। लेकिन हाल के वर्षों में यह पवित्र बंधन हिंसा, झगड़े और यहां तक कि हत्या जैसी घटनाओं में बदलता दिख रहा है। आए दिन अखबारों की सुर्खियों में ऐसे मामलों की भरमार है जहां पति ने पत्नी की जान ले ली या पत्नी ने गुस्से में आकर पति की हत्या कर दी। यह चलन न केवल समाज के लिए चिंता का विषय है, बल्कि पारिवारिक मूल्यों की गिरावट, मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा और कानून व्यवस्था की कमजोरी का भी संकेत देता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में घरेलू हिंसा और वैवाहिक हत्याओं के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, केवल "वैवाहिक झगड़े" की वजह से देशभर में लगभग 6,000 से अधिक हत्याएं दर्ज की गईं। इनमें से एक बड़ा हिस्सा पति-पत्नी के बीच के झगड़ों के कारण हुआ। राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में इस तरह के अपराध सबसे अधिक दर्ज किए गए हैं। मार्च 2025 में उत्तर प्रदेश के औरैया में शादी के 15वें दिन ही पत्नी प्रगति यादव ने अपने प्रेमी अनुराग यादव के साथ मिलकर पति दिलीप यादव की हत्या करवा दी। हत्या के लिए मुंह दिखाई के पैसे और गहने बेचकर शूटर को एक लाख रुपये की सुपारी दी गई थी। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इसी प्रकार अप्रैल 2025 में उत्तर प्रदेश के बरेली में पत्नी रेखा ने अपने प्रेमी पिंटू के साथ मिलकर पति की गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए शव को रस्सी से लटकाया गया। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। जनवरी 2025 में हैदराबाद के तेलंगाना में पूर्व सैनिक गुरुमूर्ति ने गुस्से में आकर पत्नी माधवी की हत्या कर दी और शव के टुकड़े कर उन्हें उबालने का प्रयास किया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। इसी प्रकार कोडागु, कर्नाटक (नवंबर 2024) में व्यवसायी रमेश की पत्नी निहारिका ने अपने प्रेमी निखिल और एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को 800 किलोमीटर दूर ले जाकर जला दिया गया। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली (नवंबर 2024) में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को प्रेमी के साथ रंगे हाथों पकड़ने के बाद प्रेमी की बेरहमी से हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। लंदन, यूके (नवंबर 2024) में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की हत्या कर शव को कार की डिक्की में छिपा दिया और भारत भाग गया। पुलिस ने आरोपी के परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार किया है। अगस्त 2024 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर में पत्नी दिलशाना ने अपने प्रेमी जावेद के साथ मिलकर पति रहीश की हत्या करवाई। हत्या के लिए एक लाख रुपये की सुपारी दी गई थी। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। दिसंबर 2024 में गुजरात के गांधीनगर में शादी के चार दिन बाद ही पत्नी पायल ने अपने चचेरे भाई और प्रेमी के साथ मिलकर पति भाविक की हत्या करवा दी। पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि वैवाहिक जीवन में संवाद की कमी, असहिष्णुता और मानसिक तनाव किस हद तक घातक हो सकते हैं। आइये इन संवेदनहीन घटनाओं के कारणों को समझते हैं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में पति-पत्नी के बीच संवाद लगभग खत्म हो गया है। छोटी-छोटी बातों पर झगड़े शुरू होते हैं और समय के साथ वही झगड़े हिंसक रूप ले लेते हैं। महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता वैवाहिक जीवन में तनाव बढ़ाने का प्रमुख कारण हैं। जब पति या पत्नी में से कोई एक बेरोजगार होता है, तो टकराव की संभावना और भी बढ़ जाती है।समाज में विवाह को अब पहले जैसा पवित्र बंधन नहीं माना जाता। कई बार विवाह केवल सामाजिक दिखावे या पारिवारिक दबाव में किया जाता है, जो बाद में संघर्ष का कारण बनता है। अधिकांश घरेलू हिंसा के मामलों में नशे की भूमिका पाई जाती है। शराब या अन्य मादक पदार्थों के सेवन के बाद व्यक्ति हिंसक हो जाता है, जिससे विवाद हत्या तक पहुँच जाता है। अवसाद, तनाव, बाइपोलर डिसऑर्डर जैसे मानसिक रोगों को भारत में अब भी गंभीरता से नहीं लिया जाता। ऐसे में यह बीमारी संबंधों को तबाह कर देती है और कई बार मामला हत्या तक पहुँच जाता है।आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया ने जहां लोगों को जोड़ा है, वहीं यह रिश्तों में दरार का भी कारण बन रहा है। व्हाट्सएप चैट, इंस्टाग्राम पोस्ट और मोबाइल पर समय बिताने से आपसी विश्वास की जगह शक ने ले ली है। इसके कारण आपसी संवाद कम हो गया है और संदेह बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर गर हम कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गौर करें तो भारत में घरेलू हिंसा और वैवाहिक अपराधों को लेकर अनेक कानून मौजूद हैं, जैसे: धारा 498A (IPC): पति या ससुराल वालों द्वारा क्रूरता।घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005: महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा।धारा 304B: दहेज मृत्यु के मामले। लेकिन इसके बावजूद न्याय प्रणाली की धीमी गति, सामाजिक दबाव और पुलिस की उदासीनता के चलते कई बार पीड़ित व्यक्ति मदद नहीं ले पाता। जब वैवाहिक कलह के मामले हत्या तक पहुँचते हैं, तो सवाल उठता है कि इस स्थिति तक पहुंचने से पहले समाज, परिवार और प्रशासन क्या कर रहा था? गर हम उक्त गंभीर समस्या के समाधान पर विचार करें तो सरकार और सामाजिक संस्थाओं को चाहिए कि वे मुफ्त और गोपनीय परामर्श केंद्र खोलें, जहां दंपति खुलकर बात कर सकें। हर जिले में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए ताकि शुरुआती स्तर पर ही तनाव को पहचाना जा सके। ग्रामीण और शहरी इलाकों में वैवाहिक अधिकारों और कर्तव्यों को लेकर व्यापक अभियान चलाया जाए। सरकारी स्तर पर नशा मुक्ति अभियान को और प्रभावी बनाया जाए, ताकि घरेलू हिंसा पर अंकुश लगाया जा सके। परिवारों को चाहिए कि बच्चों को बचपन से ही रिश्तों में संवाद, सहनशीलता और समाधान निकालने की आदत सिखाएं। पत्रकारिता को चाहिए कि वह केवल सनसनी फैलाने तक सीमित न रहे, बल्कि इस समस्या के कारणों और समाधान को भी उजागर करे। शोषित पक्ष की आवाज़ को सामने लाना, जागरूकता फैलाना और समाज को आईना दिखाना पत्रकारिता का कर्तव्य है। अंत में कह सकते हैं कि समाज, सरकार, न्यायपालिका और मीडिया — सभी को मिलकर इस गंभीर समस्या की जड़ तक पहुंचना होगा और समाधान खोजना होगा।