सही समय पर बुवाई, बेहतर जल प्रबंधन और जागरूक नीति-निर्माण से किसान यकीनन उठा सकते हैं फायदा
भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां हाल ही में भारतीय मौसम विभाग ने आगामी मानसून 2025 को लेकर किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए राहत भरी खबर दी है। विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष भारत में मानसून सामान्य से बेहतर रहने वाला है। देशभर में 105% बारिश की संभावना जताई गई है, जो दीर्घकालिक औसत से अधिक है। मौसम विभाग की इस भविष्यवाणी से न सिर्फ कृषि क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार हुआ है, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।भारतीय मौसम विभाग ने 2025 के लिए मानसून पूर्वानुमान में स्पष्ट किया है कि देश में दीर्घकालिक औसत के मुकाबले 105 प्रतिशत वर्षा की संभावना है। अगर बारिश 96% से 104% के बीच हो, तो उसे ‘सामान्य मानसून’ माना जाता है, जबकि 105% से 110% के बीच की बारिश को ‘सामान्य से बेहतर’ की श्रेणी में रखा जाता है। इस वर्ष का अनुमान - 105% बारिश, यह दर्शाता है कि देश के अधिकांश हिस्सों में न केवल समय पर बारिश होगी, बल्कि वर्षा की मात्रा भी अच्छी रहेगी। इससे खरीफ की फसलों को सीधा लाभ मिलेगा और कृषि उत्पादन में सुधार संभव है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बार अल नीनो प्रभाव लगभग समाप्ति की ओर है। वर्ष 2023-24 के दौरान अल नीनो की उपस्थिति के कारण वर्षा में असमानता देखी गई थी, जिससे कई राज्यों में सूखे जैसे हालात बने थे। लेकिन अब, ला नीना के संकेत मिलने लगे हैं, जो आमतौर पर भारत में अच्छी वर्षा का संकेत माना जाता है। ला नीना एक समुद्री घटनाक्रम है, जिसमें प्रशांत महासागर की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है। इसके प्रभाव से भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों में मानसून मजबूत होता है। मौसम विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि जून के मध्य तक ला नीना स्थितियाँ विकसित हो सकती हैं, जिससे मानसून और भी सशक्त होगा। भारत की 60% से अधिक आबादी आज भी खेती पर निर्भर है, और मानसून इसका सबसे बड़ा आधार है। अच्छी बारिश का सीधा असर धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली और कपास जैसी खरीफ फसलों की बुवाई, उत्पादन और गुणवत्ता पर पड़ता है।इस वर्ष सामान्य से बेहतर मानसून की भविष्यवाणी का मतलब है: किसानों को बुवाई के लिए पर्याप्त नमी मिलेगी, फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होगी, खाद्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण संभव होगा और ग्रामीण आय में सुधार से उपभोग बढ़ेगा। खरीफ फसल 2025 के लिए ये पूर्वानुमान बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय भी अब इस रिपोर्ट के आधार पर बुवाई रणनीति और खाद्य भंडारण योजनाओं को अंतिम रूप दे रहा है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से थोड़ी कम, जबकि मध्य, दक्षिण और पूर्वी भारत में सामान्य से अधिक बारिश के आसार हैं। खासतौर से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, झारखंड और दक्षिणी राज्यों में बेहतर मानसून की उम्मीद है। पूर्वी भारत (बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल) – सामान्य से 5-10% अधिक बारिश, दक्षिणी राज्य (केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु) – मानसून समय पर पहुंचेगा और मात्रा अच्छी रहेगी, राजस्थान और गुजरात – सामान्य से थोड़ी अधिक वर्षा के संकेत और उत्तर भारत (पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश) – सामान्य बारिश के आसार, लेकिन जून-जुलाई में अस्थिरता रह सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में मानसून की भूमिका हमेशा से अहम रही है। खर्च योग्य ग्रामीण आय, विनिर्माण, खाद्य प्रसंस्करण और ग्रामीण बाजारों में मांग मानसून की सफलता पर निर्भर रहती है। अच्छे मानसून से निम्नलिखित क्षेत्रों में सुधार संभव है: कृषि उत्पादन में वृद्धि से जी डी पी को बढ़ावा, खाद्य पदार्थों की कीमतों में स्थिरता, ग्रामीण उपभोग में इज़ाफा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मानसून 105% या उससे अधिक रहता है, तो वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में जी डी पी ग्रोथ रेट 7% के पार जा सकती है। देशभर के कई क्षेत्रों में पिछले वर्षों में भूजल स्तर गिरा है। वर्ष 2024 के अंत में दर्ज किए गए आंकड़ों के अनुसार, करीब 25% जिलों में भूजल स्तर औसत से नीचे है। लेकिन यदि मानसून मजबूत रहता है तो: जलाशय पुनर्भरण तेज़ी से होगा, कुएं और तालाब भरेंगे, जिससे सिंचाई सुविधा बेहतर होगी,शहरी जल संकट से राहत मिल सकती है। यह बदलाव दीर्घकालिक जल सुरक्षा और टिकाऊ कृषि के लिए बेहद जरूरी है।सरकार ने मौसम विभाग की रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, खरीफ बुवाई अनुदान, और सिंचाई संबंधित स्कीमों को प्राथमिकता पर लेने के निर्देश दिए हैं। विशेषकर दुर्गम और सूखा संभावित क्षेत्रों में: किसानों को बीज किट और सब्सिडी वाली खाद उपलब्ध कराई जाएगी, जल संचयन और सूक्ष्म सिंचाई के लिए बजट बढ़ाया गया है और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए आपदा प्रबंधन की रूपरेखा भी तैयार की जा रही है। हालांकि 2025 का मानसून उत्साहजनक बताया जा रहा है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून के पैटर्न में अनियमितता आना अब आम हो गया है। कभी अत्यधिक वर्षा तो कभी लंबी सूखा अवधि – यह प्रवृत्ति फसलों के लिए जोखिम बढ़ा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि: “हमें अच्छे मानसून का स्वागत जरूर करना चाहिए, लेकिन दीर्घकालिक जल प्रबंधन, फसल विविधीकरण और स्मार्ट कृषि की रणनीतियाँ भी विकसित करनी होंगी।” डॉ. मृत्युंजय महापात्रा, महानिदेशक, मौसम विभाग ने स्पष्ट किया कि, “यह वर्ष भारतीय कृषि के लिए सकारात्मक साबित हो सकता है। लेकिन राज्यों को स्थानीय मौसम डेटा के आधार पर योजनाएँ बनानी होंगी।” अंत में कह सकते हैं कि मानसून 2025 की भविष्यवाणी भारतीय खेती और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए सकारात्मक संदेश लेकर आई है। 105% वर्षा, अल नीनो के कमजोर पड़ने, और ला नीना के आसार निश्चित तौर पर एक अच्छी फसल का संकेत देते हैं। मगर इस खुशी के साथ जिम्मेदारी भी जुड़ी है – सही समय पर बुवाई, बेहतर जल प्रबंधन और जागरूक नीति-निर्माण से ही इसका अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है।