भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत यानि आज 1 अप्रैल के साथ ही सरकार कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू करने जा रही है, जिनका सीधा असर आम जनता, निवेशकों, करदाताओं और डिजिटल पेमेंट उपयोगकर्ताओं पर पड़ेगा। ये बदलाव मुख्य रूप से म्यूचुअल फंड, क्रेडिट कार्ड, इनकम टैक्स और यू पी आई से जुड़े हुए हैं। सरकार और वित्तीय नियामकों द्वारा किए गए ये संशोधन पारदर्शिता बढ़ाने, कर प्रणाली को सरल बनाने, डिजिटल भुगतान को अधिक सुरक्षित बनाने और उपभोक्ताओं को वित्तीय अनुशासन में लाने के उद्देश्य से किए गए हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि 1 अप्रैल 2025 से कौन-कौन से नियम बदलने जा रहे हैं और इनका आम लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए 1 अप्रैल 2025 से कई नए नियम लागू होंगे। इनका उद्देश्य निवेशकों के लिए अधिक सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। आईये बात करते हैं मुख्य बदलावों के बारे में। म्यूचुअल फंड पर कराधान के नए नियम लागू होने से डेट म्यूचुअल फंड पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर लागू होगा इससे अब डेट म्यूचुअल फंड में किया गया निवेश आयकर अधिनियम के तहत इक्विटी के समान कर मुक्त नहीं रहेगा।यह परिवर्तन उन निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण है जो लंबे समय तक डेट फंड्स में निवेश करते थे। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम पर नई शर्तें लागू होंगी। इससे कर बचाने के लिए इ एल एस एस में न्यूनतम लॉक-इन अवधि में बदलाव किया गया है। अब निवेशकों को लंबी अवधि के लिए निवेश की योजना बनानी होगी। निवेश की नई रणनीतियां अपनाने की जरूरत है। लार्ज-कैप फंड और स्मॉल-कैप फंड के पोर्टफोलियो में बदलाव होंगे। सेबी ने म्यूचुअल फंड कंपनियों को पोर्टफोलियो में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अधिक जानकारी साझा करने के निर्देश दिए हैं। इससे निवेशकों को अपनी योजना बेहतर तरीके से चुनने का अवसर मिलेगा। नए निवेशकों के लिए जोखिम वर्गीकरण किया गया है यानि अब सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं को उच्च जोखिम, मध्यम जोखिम और कम जोखिम वाली श्रेणियों में स्पष्ट रूप से वर्गीकृत किया जाएगा। इससे आम जनता पर टैक्स में बदलाव के कारण डेट फंड निवेशकों को अधिक कर देना पड़ सकता है। म्यूचुअल फंड कंपनियों द्वारा अधिक पारदर्शिता लागू होने से निवेशक बेहतर निर्णय ले सकेंगे। इ एल एस एस की शर्तों में बदलाव से कर बचाने के लिए निवेश की रणनीति बदलनी होगी। इसी प्रकार क्रेडिट कार्ड से संबंधित नियमों में भी 1 अप्रैल 2025 से कई बदलाव किए जा रहे हैं। ये बदलाव वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा देने और उपभोक्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं। इनमें ब्याज दर और शुल्क में संशोधन-क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जायेगी। कुछ बैंकों ने मासिक ब्याज दर में मामूली वृद्धि की घोषणा की है।देर से भुगतान करने पर अधिक जुर्माना लगेगा। वार्षिक शुल्क और अन्य शुल्कों में बदलाव किये हैं। कई प्रीमियम और बेसिक क्रेडिट कार्ड्स पर वार्षिक शुल्क में वृद्धि की गई है। अब शुल्क कार्ड के उपयोग के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। क्रेडिट कार्ड से जुड़े लेनदेन नियमों में बदलाव किये हैं। ऑटो-डेबिट नियमों में कड़ा नियंत्रण किया है। आरबीआई ने नए सुरक्षा उपाय लागू किए हैं, जिससे बिना ग्राहक की अनुमति के कोई भी ऑटो-डेबिट ट्रांजैक्शन संभव नहीं होगा।अब ग्राहकों को हर ऑटो-डेबिट लेनदेन के लिए एसएमएस/ईमेल के जरिए पुष्टि करनी होगी। रिवॉर्ड पॉइंट्स और कैशबैक नियमों में बदलाव किये हैं। कुछ बैंकों ने विभिन्न कैटेगरी में दिए जाने वाले रिवॉर्ड पॉइंट्स और कैशबैक की दरों में कटौती की है। अब रिवॉर्ड पॉइंट्स का एक्सपायरी समय कम किया जा सकता है। इससे आम जनता पर क्रेडिट कार्ड पर बढ़ी हुई ब्याज दर से खर्चों का बोझ बढ़ सकता है। स्वचालित भुगतान में अधिक नियंत्रण से ग्राहकों की वित्तीय सुरक्षा बढ़ेगी। रिवॉर्ड सिस्टम में बदलाव से ग्राहकों को अपने खर्चों की प्लानिंग करनी होगी। 1 अप्रैल 2025 से आयकर नियमों में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन लागू होंगे। सरकार ने करदाताओं को कर प्रणाली को सरल बनाने और डिजिटल फाइलिंग को बढ़ावा देने के लिए कई संशोधन किए हैं। आयकर छूट और कटौती में संशोधन किया है।पुरानी टैक्स व्यवस्था से जुड़े लाभ कम किए जाएंगे। अब करदाताओं को नई टैक्स व्यवस्था को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कुछ विशेष कटौतियों और छूटों को सीमित किया गया है। हाउस रेंट अलाउंस और अन्य कर लाभों में बदलाव किया है। घर किराए पर रहने वालों के लिए एच आर ए कटौती की नई सीमा तय की गई है। टैक्स रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया में सुधार किया है। ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग को और सरल बनाया गया है। बैंकों और सरकारी संस्थानों के साथ डेटा शेयरिंग के नए नियम लागू होंगे। इससे आम जनता को टैक्स प्लानिंग में बदलाव करने की आवश्यकता होगी। नई टैक्स व्यवस्था अपनाने वालों को कुछ नए लाभ मिल सकते हैं।ऑनलाइन टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया आसान होगी, जिससे अधिक लोग डिजिटल माध्यम से फाइल कर सकेंगे। डिजिटल भुगतान को सुरक्षित और तेज़ बनाने के लिए यू पी आई से संबंधित नए नियम लागू किए गए हैं। इसमें यू पी आई लेनदेन पर मामूली शुल्क लगाया जाएगा। बड़े ट्रांजैक्शन (रु 50,000 से अधिक) पर अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू किए जाएंगे। बैंकों ने दैनिक यू पी आई लेनदेन की सीमा को संशोधित किया है।नए नियम के तहत कुछ ट्रांजैक्शंस पर अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है। अब ग्राहक अपने क्रेडिट कार्ड को यू पी आई से लिंक कर सकेंगे और इसका उपयोग भुगतान के लिए कर सकेंगे। इससे आम जनता को कुछ बड़े ट्रांजैक्शन पर मामूली शुल्क देना होगा। क्रेडिट कार्ड लिंकिंग से डिजिटल भुगतान का दायरा बढ़ेगा। सुरक्षा उपायों में सुधार से फ्रॉड के मामलों में कमी आएगी। अंत में कह सकते हैं कि 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले ये बदलाव आम जनता के वित्तीय जीवन को प्रभावित करेंगे। म्यूचुअल फंड निवेशकों को अपनी रणनीति बदलनी होगी, क्रेडिट कार्ड धारकों को बढ़ी हुई दरों और शुल्कों पर ध्यान देना होगा, करदाताओं को नई व्यवस्था के अनुसार प्लानिंग करनी होगी और डिजिटल पेमेंट करने वालों को नए नियमों के साथ तालमेल बैठाना होगा। इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट वित्तीय योजना बनाना जरूरी है ताकि कोई अनावश्यक आर्थिक बोझ न पड़े।