भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां अगर आप ने भारत को तरक्की के रास्ते पर रफतार देनी है तो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देना एक अच्छी पसंद हो सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में परिवहन क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है, और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (ईवी) इस बदलाव का एक महत्वपूर्ण घटक बन चुकी है। जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने, वायु प्रदूषण को घटाने और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। भारत सरकार ने इस दिशा में कई महत्त्वपूर्ण नीतियाँ और प्रोत्साहन योजनाएँ लागू की हैं, जिनका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को मुख्यधारा में लाना है। हाल ही में, भारत सरकार ने ईवी बैटरियों से संबंधित कुछ प्रमुख घटकों के आयात शुल्क में छूट दी है। यह निर्णय घरेलू स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बैटरी उत्पादन को बढ़ावा देने की एक रणनीतिक पहल मानी जा रही है। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिन्हें दूर करने के लिए एक ठोस नीति और नवाचारों की आवश्यकता है।आइये बात करते हैं भारत में ईवी क्षेत्र की मौजूदा स्थिति के बारे में। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकृति और उपयोग में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 2023 में देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 49.25% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे कुल 1.52 मिलियन ईवी बेचे गए। मई 2024 तक, यह संख्या 1.39 मिलियन यूनिट तक पहुँच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20.88% अधिक थी। सरकार ने 2030 तक निजी कारों में 30%, वाणिज्यिक वाहनों में 70%, बसों में 40% और दोपहिया व तिपहिया वाहनों में 80% तक इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी का लक्ष्य निर्धारित किया है।भारत में बैटरी उत्पादन को स्थानीय स्तर पर विकसित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। सरकार द्वारा बैटरी से संबंधित उपकरणों के आयात शुल्क में छूट दी गई है, जिससे घरेलू निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। ईवी क्षेत्र में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है। टाटा मोटर्स, विनफास्ट और स्टेलेंटिस जैसी कंपनियाँ इस क्षेत्र में अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं।विभिन्न राज्य सरकारें भी अपनी अलग-अलग ईवी नीतियाँ लागू कर रही हैं। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र ने 2025 तक अपने नए वाहनों के 10% को इलेक्ट्रिक बनाने का लक्ष्य रखा है। कर्नाटक 2030 तक अपने सभी वाणिज्यिक 3W और 4W वाहनों का विद्युतीकरण करने की योजना बना रहा है।चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना ईवी अपनाने के लिए बेहद जरूरी है। फरवरी 2024 तक, भारत में कुल 12,146 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए थे। सरकार और वित्तीय संस्थाएँ ईवी खरीदने के लिए किफायती वित्तीय योजनाएँ उपलब्ध करा रही हैं। ईवी को अपनाने में कई प्रमुख चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे अपर्याप्त चार्जिंग अवसंरचना-ईवी चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार अभी भी अपर्याप्त है। खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में चार्जिंग स्टेशन की कमी एक बड़ी बाधा बनी हुई है। उच्च प्रारंभिक लागत-यद्यपि बैटरी की कीमतों में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है, फिर भी इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रारंभिक लागत पारंपरिक पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में अधिक है। आपूर्ति श्रृंखला निर्भरता-भारत अभी भी लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसे महत्त्वपूर्ण बैटरी घटकों के लिए आयात पर निर्भर है।नीति की अनिश्चितता-ईवी नीतियों में बार-बार बदलाव निवेशकों और उपभोक्ताओं के लिए अनिश्चितता पैदा करता है। ईवी अंगीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई सुझावों पर गौर कर सकते हैं इनमें चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार-भारत को चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाने और इंटर-ऑपरेबल चार्जिंग समाधान विकसित करने की जरूरत है। इसके लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। दीर्घकालिक नीति और सब्सिडी समर्थन-सरकार को फेम III जैसी योजनाओं को लागू करना चाहिए, जिससे ईवी निर्माताओं और उपभोक्ताओं को अधिक निश्चितता मिल सके।बैटरी निर्माण और नवाचार पर निवेश-घरेलू स्तर पर बैटरी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए PLI योजना का विस्तार किया जाना चाहिए।स्मार्ट सिटीज और ईवी-स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत ईवी चार्जिंग नेटवर्क को विकसित करने और ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाने चाहिए। छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए समर्थन-ई वी स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता और तकनीकी सहयोग दिया जाना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र में ईवी को बढ़ावा देना-सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों को अपनी गाड़ियों का कम से कम 30% इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखना चाहिए।उपभोक्ता जागरूकता अभियान-बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाकर इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।अंत में कह सकते हैं कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की वृद्धि और अपनाने की गति लगातार तेज हो रही है। सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बावजूद, ईवी उद्योग को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यदि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, नीति समर्थन और बैटरी निर्माण के क्षेत्रों में ठोस पहल की जाए, तो भारत एक प्रमुख वैश्विक ईवी बाजार बन सकता है।सतत परिवहन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार, उद्योग और उपभोक्ताओं के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने से भारत न केवल अपने कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है, बल्कि वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में अग्रणी भूमिका भी निभा सकता है।