भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
वैश्विक गुरू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिकी पॉडकास्टर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञ लेक्स फ्रिडमैन को एक विशेष साक्षात्कार दिया। यह साक्षात्कार तीन घंटे से अधिक समय तक चला, जिसमें उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन, राजनीतिक यात्रा, वैश्विक राजनीति, भारत-पाकिस्तान संबंध, चीन के साथ संबंधों और अन्य प्रमुख विषयों पर अपने विचार साझा किए। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से रखते हुए, भारत के विकास, विश्व शांति और वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। आइए इस इंटरव्यू के प्रमुख बिंदुओं को विस्तार से समझें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रारंभिक जीवन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ अपने जुड़ाव और राजनीति में उनके प्रवेश के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने संघर्षों और चुनौतियों का सामना करते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सेवा और समर्पण की भावना के साथ काम करने से ही समाज और राष्ट्र की प्रगति संभव है। उन्होंने बताया कि उनका राजनीतिक सफर साधारण परिवेश से शुरू हुआ, लेकिन दृढ़ निश्चय, अनुशासन और कठोर परिश्रम के चलते वे देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समर्पण, लगन और ईमानदारी जरूरी होती है। उनका मानना है कि प्रत्येक भारतीय के पास देश के विकास में योगदान देने की अपार संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी मित्रता पर बात की। उन्होंने ह्यूस्टन में आयोजित 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम का उल्लेख किया, जिसमें ट्रंप ने उनके साथ मंच साझा किया था। मोदी ने इस कार्यक्रम को भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बताया। उन्होंने कहा कि वह 'इंडिया फर्स्ट' में विश्वास रखते हैं, जबकि ट्रंप 'अमेरिका फर्स्ट' में, और इसी कारण दोनों के संबंध अच्छे रहे हैं। भारत और अमेरिका के संबंधों पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देश लोकतंत्र, नवाचार और वैश्विक स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में एक साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कैसे भारत और अमेरिका की साझेदारी विज्ञान, तकनीक, रक्षा और व्यापार के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंधों पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत हमेशा शांति और सह-अस्तित्व का पक्षधर रहा है। उन्होंने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आमंत्रित करने का जिक्र किया, जिससे दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को बढ़ावा मिल सके। हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के बावजूद शांति और सौहार्द की नीति पर चलता रहेगा। भारत का मुख्य उद्देश्य अपने नागरिकों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत ने हमेशा वार्ता और कूटनीति को प्राथमिकता दी है और आगे भी सकारात्मक संबंध स्थापित करने के लिए तत्पर रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और चीन के बीच के संबंधों पर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को प्रतिस्पर्धा को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि टकराव को। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी कई बार मुलाकात हो चुकी है, और बातचीत के माध्यम से आपसी समस्याओं को हल करने की कोशिशें की जा रही हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2020 के बाद दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली में समय लगेगा, लेकिन भारत शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि चीन और भारत, दोनों ही प्राचीन सभ्यताएं हैं और दोनों देशों के पास मिलकर काम करने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने इस बात को दोहराया कि आर्थिक और व्यापारिक सहयोग से ही दोनों देशों के संबंध और मजबूत हो सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक राजनीति में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान इन संगठनों की प्रभावशीलता पर संदेह उत्पन्न हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व के स्थायित्व के लिए बनाई गई संस्थाएं प्रासंगिकता खो रही हैं, और इन्हें समयानुसार सुधारने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारत वैश्विक नेतृत्व में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार खुद को ढालना होगा और विकासशील देशों की आवाज को अधिक महत्व देना होगा। लेक्स फ्रिडमैन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं, इसलिए इस विषय पर चर्चा होना स्वाभाविक था। प्रधानमंत्री मोदी ने एआई की महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा कि यह तकनीक मानवता के लिए कई अवसर प्रदान कर सकती है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एआई का उपयोग समाज के लाभ के लिए होना चाहिए, और इसे नैतिक सिद्धांतों के साथ विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत में डिजिटल क्रांति के चलते एआई, रोबोटिक्स, और डेटा साइंस के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने युवाओं को इन क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को विकसित करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि भारत आने वाले वर्षों में तकनीकी नवाचारों का केंद्र बनेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, योग और आयुर्वेद के महत्व पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे योग ने वैश्विक स्तर पर लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक विकास का भी माध्यम है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर गर्व जताया कि योग को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी गई है। उन्होंने भारतीय परंपराओं, संस्कृति और आध्यात्मिकता की भूमिका को भी रेखांकित किया और बताया कि कैसे भारत अपनी जड़ों से जुड़े रहकर भी आधुनिक तकनीक और नवाचार में अग्रसर हो सकता है।