भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल युग में प्रवेश कर रही है, तकनीक केवल एक सुविधा नहीं रह गई है, बल्कि यह आर्थिक प्रगति, शासन और सामाजिक परिवर्तन का मुख्य आधार बन गई है। आज भारत का कोई ही नागरिक होगा भले ही वह शहरों में, कसबों में या फिर गांवों अथवा दूर दराज के क्षेत्रों में रहते हुए डिजिटल सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहा होगा। भले ही वह इसे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से इस का फायदा ले रहा हो। यह भी सच है कि आज भारत, जो 120,000 से अधिक स्टार्टअप्स और यू पी आई जैसे उन्नत डिजिटल ढांचे के साथ इस परिवर्तन की अग्रिम पंक्ति में है, एक वैश्विक तकनीकी केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हालांकि, नियामक जटिलताओं, धीमे अंगीकरण, और अन्य बाधाएँ सतत् विकास के लिए चुनौती प्रस्तुत करती हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को एक रणनीतिक रूपरेखा अपनाने की आवश्यकता है, जो नवाचार को बढ़ावा देते हुए तकनीकी प्रगति को सुरक्षित और सुदृढ़ बना सके। आइये बात करते हैं भारत की तकनीकी क्रांति को गति देने वाले प्रमुख कारकों की। भारत की मजबूत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना डी पी आई, जिसमें यू पी आई, आधार और ओ एन डी सी जैसे प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं, वित्तीय समावेशन, ई-कॉमर्स विस्तार और डिजिटल भुगतान को व्यापक स्तर पर समर्थन दे रही है। यह प्लेटफ़ॉर्म लेन-देन की लागत को कम करने, सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने और फिनटेक, हेल्थटेक एवं ई-गवर्नेंस में नवाचार को प्रोत्साहित करने का कार्य कर रहे हैं। जनवरी 2025 में, भारत में यू पी आई लेन-देन 16.99 बिलियन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जिसका कुल मूल्य 23.48 लाख करोड़ रुपये था। इस सफलता को देखते हुए, भारत ने जी20 में डी पी आई मॉडल को वैश्विक स्तर पर अपनाने की वकालत की है। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम विश्व में तीसरे स्थान पर है और यह अब आईटी सेवाओं से आगे बढ़कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि ए आई, सेमीकंडक्टर डिज़ाइन, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में विस्तार कर रहा है। सरकारी प्रोत्साहन, बढ़ते निवेश और नवाचार की संस्कृति भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर रही है। पिछले दशक में भारत में 120,000 से अधिक स्टार्टअप्स पंजीकृत हुए हैं, जिनमें डीप-टेक स्टार्टअप्स की भागीदारी बढ़ रही है। वर्ष 2023 में, इन स्टार्टअप्स ने लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित किया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्वचालन, बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों में उत्पादकता और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को बदल रहे हैं। भारत की आईटी कंपनियां एआई में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं, जिससे घरेलू व्यवसाय संचालन लागत कम कर रहे हैं और दक्षता में वृद्धि कर रहे हैं। सरकार ने भारत-ए आई मिशन लॉन्च किया है, जो ए आई को लोकतांत्रिक बनाने और एथिकल ए आई विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। भारत की पहली सरकारी वित्त पोषित मल्टीमॉडल एल एल एम पहल, भारत जैन, 2024 में लॉन्च की गई थी, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं में सुधार करना है। भारत में 5जी सेवाओं की तेज़ी से शुरुआत हो रही है, जो इंटरनेट ऑफ थिंग्स स्मार्ट सिटीज़ और हाई-स्पीड कनेक्टिविटी को बढ़ावा दे रही है। अनुमान है कि 2026 तक भारत में 330 मिलियन 5जी उपयोगकर्ता होंगे। रिलायंस जियो और एयरटेल जैसी दूरसंचार कंपनियां डिजिटल पहुंच को बढ़ाने के लिए फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क का विस्तार कर रही हैं। साथ ही, भारत की सरकार 6जी अनुसंधान को गति दे रही है और वर्ष 2030 तक इसे अपनाने का लक्ष्य बना रही है। हमार देश में तकनीकी क्रांति के मद्देनजर कई बड़ी चुनौतियाँ भी हैं। भारत के तकनीकी क्षेत्र में बार-बार नीति परिवर्तन, अनुमोदन में देरी और जटिल अनुपालन प्रक्रियाएं नवाचार और निवेश में बाधा डाल रही हैं। डिजिटल विस्तार के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंच सीमित बनी हुई है। वर्ष 2023 तक, भारत की 45% जनसंख्या (लगभग 665 मिलियन लोग) इंटरनेट सेवाओं से वंचित थी। पी एम वाणी वाई-फाई योजना का कार्यान्वयन अपेक्षाकृत धीमा रहा है। भारत में डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर हमलों की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2023 में, भारत में 79 मिलियन से अधिक साइबर हमले हुए। एम्स रैनसमवेयर हमला (2022) और 2024 में डिजिटल धोखाधड़ी से हुए 1,777 करोड़ के नुकसान से साइबर सुरक्षा के महत्व को उजागर किया गया। भारत की डिजिटल क्रांति अभी भी बड़े पैमाने पर आयातित सेमीकंडक्टर और विदेशी ए आई मॉडल पर निर्भर है। हाल ही में, भारत में सेमीकंडक्टर आयात 18.5% बढ़कर 1.71 लाख करोड़ तक पहुंच गया। इन चुनौतियों को लेकर हमने कई समाधान और रणनीतिक कदम उठायें हैं। डी पी आई को वित्तीय सेवाओं से आगे बढ़ाकर शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि तक विस्तारित किया जाना चाहिए। भारत को घरेलू चिप उत्पादन में तेजी लाने और ए आई-संचालित क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की आवश्यकता है। भारत को राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र को सुदृढ़ करना चाहिए और साइबर सुरक्षा स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करना चाहिए। भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में निजी कंपनियों को शामिल कर ग्रामीण कनेक्टिविटी और जलवायु निगरानी के लिए उपग्रह-आधारित समाधानों को बढ़ावा देना चाहिए। अंत में कह सकते हैं कि भारत की तकनीकी क्रांति एक अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रही है, लेकिन इसे सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए सशक्त नीतियों और संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है। आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए डिजिटल समावेशन, साइबर सुरक्षा और नवाचार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। तकनीकी नवाचारों को गति देने और भारत को वैश्विक तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा क्षेत्र को एक साथ मिलकर कार्य करना होगा।