भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां भाजपा के कद्दावर नेता और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की नीतियों और रणनीतियों के चलते हरियाणा नगर निकाय चुनावों के परिणामों में भाजपा की सुनामी आ गई लगती है। भाजपा ने 10 में से 9 सीटों पर कब्ज़ा हासिल कर जीत का अनूठा परचम लहराया है। इन चुनाव परिणामों से गदगद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जनता का आभार जताया और कहा कि उनकी सरकार प्रदेश के हर नागरिक के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ अब पहले से अधिक तेज गति से विकास कार्य करेगी और हरियाणा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।हरियाणा में हुए इन नगर निकाय चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवारों ने कई बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की। फरीदाबाद में प्रवीन जोशी, हिसार में प्रवीन पोपली, करनाल में रेणुबाला गुप्ता, पानीपत में कोमल सैनी, रोहतक में रामअवतार वाल्मीकि, यमुनानगर में सुमन बहमनी, सोनीपत में राजीव जैन, अंबाला में सैलदा सचदेवा और गुरुग्राम में राजरानी मल्होत्रा ने बीजेपी का परचम लहराया। हरियाणा के नगर निकाय चुनावों की एक विशेषता यह रही कि इनमें महिलाओं ने बड़ी संख्या में जीत दर्ज की। 10 में से 7 नगर निगमों में महिला मेयर चुनी गईं, जो महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है। यह सफलता बीजेपी के लिए न केवल राजनीतिक जीत है, बल्कि समाज में महिलाओं की भागीदारी को भी बढ़ावा देती है। गौरतलब है कि यह जीत पार्टी के लिए इस वर्ष की चौथी बड़ी सफलता है, जिससे साफ जाहिर होता है कि जनता का भरोसा बीजेपी पर लगातार बना हुआ है। इससे पहले उत्तराखंड, गुजरात और छत्तीसगढ़ के स्थानीय निकाय चुनावों में भी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था। इन राज्यों में पहले से ही बीजेपी की सरकार थी और इन नगर निकाय चुनावों में जीत के बाद अब इसे ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ कहा जा सकता है, जहां केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों में बीजेपी की सत्ता है। आइए जानते हैं भाजपा की इस जीत के प्रमुख कारणों के बारे में। यह सच है कि भाजपा ने हरियाणा में अपने संगठन को लगातार मजबूत किया है। बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं की तैनाती और माइक्रो-मैनेजमेंट ने चुनावी रणनीति को कारगर बनाया। यही वजह है कि हरियाणा के प्रमुख नगर निगमों - फरीदाबाद, हिसार, रोहतक, करनाल, यमुनानगर, गुरुग्राम और मानेसर में 2 मार्च को चुनाव हुए थे, जबकि अंबाला और सोनीपत में मेयर पद का उपचुनाव भी उसी दिन कराया गया था। इसके अतिरिक्त, 21 नगर पालिकाओं के लिए भी इसी दिन मतदान हुआ, जबकि पानीपत नगर पालिका के लिए 9 मार्च को वोट डाले गए थे। मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में राज्य सरकार ने कई विकास योजनाएं चलाईं, जिनमें सुशासन, पारदर्शिता, और भ्रष्टाचार पर लगाम शामिल है। जनता ने सरकार की नीतियों पर भरोसा जताया, जिसका फायदा भाजपा को मिला। दूसरी ओर हरियाणा में विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस और इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल), में आंतरिक कलह और गुटबाजी देखने को मिली। कमजोर संगठन और स्पष्ट नेतृत्व की कमी के कारण विपक्ष प्रभावी चुनौती पेश नहीं कर पाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की योजनाएं, जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, और आयुष्मान भारत, सीधे आम जनता तक पहुंची हैं। इन योजनाओं का लाभ उठाने वाले मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया। इन चुनावों में भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के मुद्दों को प्रमुखता दी। यह रणनीति शहरी क्षेत्रों में भाजपा के कोर वोट बैंक को मजबूत करने में मददगार साबित हुई। भाजपा ने स्थानीय लोकप्रिय नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा, जिससे मतदाताओं के बीच विश्वास बढ़ा। इसके अलावा, सोशल मीडिया और ग्राउंड-लेवल प्रचार के जरिए मतदाताओं तक भाजपा की नीतियों को प्रभावी ढंग से पहुंचाया गया। गर हम अन्य राज्यों में भी बीजेपी के जलवे की बात करें तो पायेंगे कि इस साल जनवरी में उत्तराखंड में हुए चुनावों में बीजेपी ने 11 में से 10 नगर निगमों में जीत दर्ज की थी। देहरादून, ऋषिकेश, कोटद्वार, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, काशीपुर, अल्मोड़ा, हरिद्वार, रुड़की और रुद्रपुर में बीजेपी उम्मीदवारों को सफलता मिली थी, जबकि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। इसके बाद गुजरात में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में भी बीजेपी ने अपना दबदबा बनाए रखा। जूनागढ़ महानगरपालिका सहित 68 में से 60 नगर पालिकाओं और सभी तीन तालुका पंचायतों में बीजेपी विजयी रही। वहीं, कांग्रेस केवल देवभूमि द्वारका जिले की सलाया नगर पालिका में जीत दर्ज कर पाई थी। समाजवादी पार्टी ने भी दो नगर पालिकाओं में जीत हासिल की थी। गुजरात के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी ने अपनी जीत का परचम लहराया। वहां के 10 नगर निगम, 49 नगर पालिका परिषद और 114 नगर पंचायतों में चुनाव हुए थे, जिनमें बीजेपी ने महापौर की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा, नगर पालिका की 35 सीटों और नगर पंचायत की 114 सीटों पर भी बीजेपी विजयी रही। कांग्रेस को सिर्फ आठ नगर पालिका सीटों पर जीत मिली थी। अगर हम विपक्ष की परफार्मेंस पर गौर करें तो हरियाणा नगर निकाय चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पार्टी किसी भी नगर निगम में जीत दर्ज नहीं कर पाई। यहां तक कि कांग्रेस के मजबूत गढ़ माने जाने वाले रोहतक में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रभाव क्षेत्र में कांग्रेस के सूरजमल किलोई को बीजेपी प्रत्याशी ने 45,000 से अधिक वोटों से हराया। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा जो सिरसा से सांसद हैं, वहां भी पार्टी को हार मिली। सिरसा नगर परिषद में भी बीजेपी विजयी रही। यह दर्शाता है कि जनता ने कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया है और बीजेपी पर ही अपना भरोसा जताया है। अंत में कह सकते हैं कि हरियाणा के नगर निकाय चुनावों में भाजपा की शानदार जीत इस बात को दर्शाती है कि पार्टी की रणनीति और शासन की नीतियां जनता के बीच प्रभावी साबित हुई हैं।