सरेआम बेच रहे मां गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम का पवित्र जल वह भी अलग अलग ब्रांडों के साथ
भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के मां गंगा, यमुना और सरस्वती के अविरल तट- त्रिवेणी संगम की धारा (जिसपर 144 वर्षों के बाद आयोजित पावन महाकुंभ जहां सभी देवी-देवताओं, ऋषियों-मुनियों के साथ साथ पूरी दुनिया से 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने न केवल आस्था की डुबकी लगाई बल्कि यहां सनातनी परंपरा के तहत पूजा अर्चना भी की), आज केंद्र और राज्य सरकारों की नालायकी के चलते राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय ई कामर्स की वेबसाइटों पर सरेआम बाजारों में बिक रही है। यह उसी त्रिवेणी संगम का पवित्र जल है जिसके लिए पूरी दुनिया के सनातन धर्म में आस्था रखने वाले करोड़ों भक्तों ने इस शुभ मुहूर्त में पहुंचने के लिए अपने तन मन और धन और वक्त सब की कुर्बानी की और यहां पहुंच कर इस पवित्र जल में पूजा करके धन्य महसूस भी किया। गौरतलब है कि यहां मां गंगा, जमुना और सरस्वती ने इन करोड़ों भक्तों को अपने पवित्र जल धारा से सराबोर करने का कोई दाम नहीं मांगा जबकि बड़े बाजारों के गिद्द रूपी ई कामर्स के व्यापारियों ने इस पावन जल धारा को भी नहीं बख्शा है इसे अलग अलग उत्पादों का नाम देकर इससे मुनाफा कमाना शुरु कर दिया है जो बदस्तूर आज भी जारी है इस पर सरकारें चुप्पी धारे बैठी हैं। गौरतलब है कि त्रिवेणी संगम से महाकुंभ का पवित्र जल अमेजन ई कामर्स वेबसाइट पर दिव्य संगम जल 200 मि.ली. (कीमत 999 रु में 43 प्रतिशत की छूट के साथ 569 रु) में बिक रहा है- विक्रेता कंपनी ने इस की बोतल पर एंटी कैंसर, एंटी डॉयबटिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी डिप्रेशन और एंटी हीलिंग लिख रखा है, इसी प्रकार इसी वेबसाइट पर एक अन्य 100 मि.ली. की पैकिंग में त्रिवेणी संगम से महाकुंभ का पवित्र जल-त्रिवेणी संगम जल प्रयागराज-100 प्रतिशत प्योर अन टच्ड एंड बलेस्ड अ गिफ्ट फ्राम नेचरज़ होलिअस्ट सोर्स ब्रांड के तहत (कीमत 999 रु में 43 प्रतिशत की छूट के साथ 569 रु) में बिक रहा है, यही नहीं इसी वेबसाइट का एक अन्य उत्पाद महाकुंभ त्रिवेणी जल मिट्टी के साथ 100 मि.ली. की पैकिंग में (कीमत 251 रु में 52 प्रतिशत की छूट के साथ 121 रु) में बिक रहा है। यहां खास बात यह है कि अगर आपको खाली साधु संतों की चरण रज, माथे पर तिलक लगा कर पुण्य कमाने हेतु त्रिवेणी संगम की पवित्र मिट्टी अलग से चाहिए तो वह भी 51 रु में मुहैया करवा दी जा रही है। इसी तरह एक अन्य महाकुंभ त्रिवेणी संगम जल के नाम से 100 मि.ली. की पैकिंग में (कीमत 1299 रु में 92 प्रतिशत की छूट के साथ 101 रु) में बिक रहा है। फिल्प कार्ट भी इसमें पीछे नहीं रहा है। यहां एसएसई संगम जल त्रिवेणी गंगा यमुना सरस्वती का जल (कीमत 499 रु में 75 प्रतिशत की छूट के साथ 120 रु) में बिक रहा है, इसी वेबसाइट पर वेदिक प्रयागराज गंगाजल वाटर ऑफ गंगा रीवर फॉर पूजा परपज़ 500 मि.ली. की पैकिंग के साथ (कीमत 599 रु में 67 प्रतिशत की छूट के साथ 193 रु) में बिक रहा है। याद रहे ये सारे महाकुंभ में त्रिवेणी संगम के पवित्र जल अमेजन, फ्लिप कार्ट और मीशो वेबसाइट्स के जरिए धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं और इन की पैकिंग पर न केवल महाकुंभ के दौरान स्नान करते हुए श्रद्धालुओं के चित्र बल्कि महाकुंभ के बारे में पूरा इतिहास और वृतांत भी छपा है। अब सवाल यह पैदा होता है कि इन ई -कॉमर्स की वेबसाइट्स को स्नातन धर्म की परंपरा के अनुरूप प्रयागराज के मां गंगा, यमुना और सरस्वती के अविरल तट- त्रिवेणी संगम के पावन जल को बाजारों की मंडियों में बेचने की अनुमति किसने दी। हमारी मां गंगा, यमुना और सरस्वती जो अपने भक्तों को निशुल्क पावन जल की धारा मुहैया करवाती है और पूरे विश्व के पापियों को उनके पापों से मुक्त करवाने का जिम्मा लेती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाती है, उस पावन जल धारा का सौदा कोई कैसे कर सकता है वह भी एंटी कैंसर, एंटी डॉयबटिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी डिप्रेशन और एंटी हीलिंग के संदेशों के साथ। इस पावन जल का बाजारीकरण कैसे हो गया और जो अभी भी जारी है। हद तो तब हो जाती है जब उक्त ई-कामर्स वेबसाइट्स इस पावन जल को आज भी मुहैया करवाने का वादा कर रही हैं वह भी भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी। आखिर उनके पास इस महाकुंभ के पवित्र जल का कितना स्टॉक पड़ा है। कैसे वे इन महाकुंभ के 45 दिनों में बड़े बड़े कंटेनर यहां इस जल के भर कर बेचने के लिए ले गये और राज्य और केंद्र सरकार की इस की भनक तक नहीं लगी। जाने क्यों सरकारें मौन धारे बैठी हैं। क्या यह सनातनी हिंदुओं के साथ छल नहीं है उन्हीं के पावन तीर्थ स्थल त्रिवेणी संगम के जल को बाजारों में मुनाफों के लिए सजाया जा रहा है कहां हैं वे हिंदू धर्म के पैरोकार और ठेकेदार क्या उन्हें यह सब नहीं दिखाई दे रहा है गर दिख रहा है तो क्यों चुप्पी साधे बैठे हैं क्यों नहीं इस पर सवाल उठा रहे हैं। उक्त सवाल हम नहीं बल्कि भारत का वह हर हिंदू उठा रहा है जो उसके धर्म के इस बाजारीकरण से आहत हुआ बैठा है और ठगा सा महसूस कर रही है। हां अगर आपको त्रिवेणी संगम के पावन जल को उन लोगों के घरों तक पहुंचाना ही है जो किन्हीं कारणवश महाकुंभ नहीं आ सके तो उन्हें निशुल्क पहुंचाएं ताकि हर हिंदू इस बात पर गर्व कर सके। अन्यथा अंततः हम तो यही कह सकते हैं कि सरकारों को तुरंत इस बात का संज्ञान लेकर हिंदुओं की आस्था के इस पवित्र तीर्थ स्थल के बाजारीकरण पर रोक लगानी चाहिए।