भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां अब वक्त आ गया है कि हम विश्व के आठवें बड़े नियोक्ता यानि काम देने वाले भारतीय रेलवे के पुनरुद्धार पर गंभीरता से विचार करें क्योंकि आये दिन हमें भारतीय रेल को लेकर विभिन्न घटनाओं की जानकारी मिलती रहती है जिसमें जान का तो जोखिम होता ही है देश की अनमोल संपत्ति का भी भयंकर नुकसान हो जाता है। कभी रेल पटरी से उतर जाती है तो कभी सिग्नल की लाप्रवाही के चलते रेल भयंकर दुर्घटना का शिकार हो जाती है। कभी रेल के खस्ता डिब्बों के बारे में पता चलता है तो कभी रेलवे स्टेशनों पर बेवजह की भगदड़ भयंकर दुर्घटना को जन्म दे देती है, आदि आदि। हाल ही में महाकुंभ को जाने वाले यात्रियों की नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ किसी से छिपी नहीं है इसमें कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी तो कई गंभीर रूप से जख्मी हो गये। उक्त घटनाएं भारतीय रेलवे में व्यवस्थागत खामियों को उजागर करती है, जो संसाधनों की कमी से अधिक प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम हैं। आइये भारतीय रेलवे का हमारे देश की अर्थ व्यवस्था में कितना योगदान है इस पर गौर करते हैं। भारतीय रेलवे देश की जीवन रेखा है, जो प्रतिदिन लाखों लोगों को किफायती और विश्वसनीय परिवहन उपलब्ध कराती है।यह यात्रियों और माल दोनों की लंबी दूरियों पर आवाजाही को सुगम बनाता है तथा आर्थिक एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर साल 8 अरब से अधिक यात्रियों को परिवहन करके, भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे व्यस्त रेल नेटवर्क में शामिल हो गया है। कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट और कृषि उपज जैसे कच्चे माल का परिवहन उद्योगों के सुचारु संचालन को सुनिश्चित करता है। कुशल रेल लॉजिस्टिक्स से आपूर्ति शृंखला लागत में कमी आएगी, जिससे भारतीय विनिर्माण और निर्यात की प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ेगी। समर्पित मालवहन गलियारा (डीएफसी) जैसी बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का उद्देश्य दक्षता और आर्थिक उत्पादकता को बढ़ावा देना है। रेलवे बुनियादी ढाँचे का विस्तार, स्टेशन पुनर्विकास और नए रोलिंग स्टॉक का निर्माण अतिरिक्त रोज़गार के अवसर उत्पन्न करता है। रेलवे में निजीकरण और पीपीपी मॉडल से परिचालन और लॉजिस्टिक्स में रोज़गार की संभावनाएँ बढ़ने की उम्मीद है।रेलवे दूर-दराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने एवं उन्हें शहरी केंद्रों तथा बाज़ारों के साथ एकीकृत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अविकसित क्षेत्रों में बेहतर रेलवे बुनियादी ढाँचे से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोज़गार के अवसरों तक पहुँच बढ़ जाती है। पूर्वोत्तर कनेक्टिविटी परियोजना जैसे विशेष रेलवे गलियारों का उद्देश्य क्षेत्रीय विकास और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना है। वित्त वर्ष 2023-24 में रेलवे ने अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 1,275 रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास करने का फैसला किया है। वंदे भारत एक्सप्रेस का टियर-2 और टियर-3 शहरों तक विस्तार, सुगमता तथा क्षेत्रीय आर्थिक विकास में सुधार की दिशा में एक कदम है। सतत् विकास और हरित गतिशीलता के लिये उत्प्रेरक: रेलवे, कार्बन उत्सर्जन और ईंधन खपत को कम करके सड़क तथा हवाई परिवहन के लिये एक पर्यावरणीय रूप से स्थायी विकल्प प्रदान करता है।भारतीय रेलवे का लक्ष्य वर्ष 2030 तक पूर्ण विद्युतीकरण और नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण के माध्यम से कार्बन तटस्थता प्राप्त करना है। जुलाई 2023 तक भारतीय रेलवे द्वारा 14 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का 100% विद्युतीकरण कर दिया गया है। ऊर्जा-कुशल इंजन, विद्युतीकृत मार्ग तथा जैव-शौचालय जैसी हरित पहल रेलवे क्षेत्र की स्थिरता में सुधार ला रही हैं। रेल माल ढुलाई सड़क परिवहन की तुलना में प्रति टन किलोमीटर लगभग 80% कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करती है, जिससे यह भारत की सतत् गतिशीलता रणनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। प्रमुख शहरों में मेट्रो रेल और उपनगरीय रेल प्रणालियों के विस्तार से भीड़भाड़ कम हो रही है और शहरी गतिशीलता में सुधार हो रहा है। कुशल जन परिवहन विकल्प घनी आबादी वाले क्षेत्रों में यात्रा समय, प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में मदद करते हैं। मेट्रो, उपनगरीय और क्षेत्रीय द्रुत परिवहन प्रणालियों के एकीकरण से निर्बाध बहुविध परिवहन नेटवर्क को बढ़ावा मिल रहा है। भारत ने 1,000 किलोमीटर से अधिक परिचालन मेट्रो रेल नेटवर्क हासिल कर लिया है और चीन और अमेरिका के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मेट्रो प्रणाली बन गई है।दिल्ली और मेरठ के बीच रैपिड ट्रांजिट सिस्टम, जो वर्ष 2025 में शुरू होगा, दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को काफी कम कर देगा। भारतीय रेलवे किफायती और सुविधाजनक यात्रा प्रदान करके देश के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों तक पहुँच को आसान बनाता है, जिससे पर्यटन को प्रोत्साहन मिलता है। उक्त बातों के मद्देनजर कह सकते हैं कि भारतीय रेलवे से जुड़े कई अहम मुद्दे हैं। जैसे वित्तीय स्थिति में लगातार गिरावट, अवसंरचना संबंधी कमियाँ, भीड़ प्रबंधन और स्टेशन अवसंरचना का अभाव, माल ढुलाई राजस्व में स्थिरता और बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा, पर्यावरण और स्थिरता संबंधी चुनौतियाँ, पिछड़ी हाई-स्पीड रेल और बुलेट ट्रेन परियोजनाएँ, रेलवे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का कुप्रबंधन और वित्तीय व्यवहार्यता संबंधी मुद्दे आदि हैं। यह भी सच है कि भारतीय रेलवे को पुनर्जीवित करने के लिये कई उपाय अपनाए जा सकते हैं इनमें वित्तीय स्थिरता और राजस्व अनुकूलन, सुरक्षा संवर्द्धन और बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण, तकनीकी उन्नति और डिजिटलीकरण, माल ढुलाई क्षेत्र में सुधार और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स एकीकरण, हाई-स्पीड रेल और सेमी-हाई-स्पीड विस्तार, रेलवे स्टेशन आधुनिकीकरण और शहरी गतिशीलता एकीकरण, सतत् और हरित रेलवे पहल और निजी क्षेत्र की भागीदारी में वृद्धि आदि शामिल हैं। अंत में हम कह सकते हैं कि भारतीय रेलवे भारत के परिवहन और आर्थिक बुनियादी ढाँचे की रीढ़ है, लेकिन संरचनात्मक अक्षमताएँ, वित्तीय दबाव तथा सुरक्षा में कमियाँ इसके पूर्ण क्षमता प्राप्त करने में बाधा बनी हुई हैं। बुनियादी ढाँचे की कमियों को दूर करना, भीड़ प्रबंधन को बढ़ाना और वित्तीय स्थिरता को प्राथमिकता देना दीर्घकालिक अनुकूलन के लिये महत्त्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना, माल ढुलाई संचालन को मज़बूत करना और हरित गतिशीलता को बढ़ावा देना रेलवे को एक आधुनिक एवं कुशल इकाई में बदल सकता है।