भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां हमारे देश में जब जब चुनावों के परिणाम आते हैं अक्सर चुनाव हारने वाली पार्टियां अपनी अपनी हार का ठीकरा सीधे तौर पर ई वी एम पर ही फोड़ती नजर आती हैं और ई वी एम को टैंपर प्रूफ न मानते हुए इसका विकल्प पेपर बैलेट को दुबारा से शुरु करने का राग अलापती हैं। मगर इस बार भारत में ई वी एम और पेपर बैलेट ट्रंप ने ईवीएम और पेपर बैलट की तुलनात्मक टिप्पणी हमने नहीं बल्कि विश्व शक्ति अमेरीका के सबसे ज्यादा शक्तिवान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की है जिसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे अच्छा मित्र भी माना जाता है। गत शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राज्यों में चुने गए गवर्नरों को अपने संबोधन के दौरान कहा कि "एलन मस्क ने मुझसे कहा था कि मशीनें वोटिंग के लिए नहीं बनी है। वो इसके लिए सही नहीं है। इसके अलावा एमआईटी के एक प्रोफ़ेसर ने भी कहा था कि चुनाव के लिए पेपर बैलट ही सही हैं।" भारत की सोशल मीडिया पर उनके संबोधन के वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर किया जा रहा है। कई लोग ट्रंप के वीडियो का हवाला देकर कह रहे हैं कि ईवीएम पर भरोसा नहीं करना चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संबोधन के 51वें मिनट में ट्रंप पेपर बैलट और एक दिन में ही मतों की गिनती के बारे में कहते हैं, "अगर सेफ्टी और सिक्योरिटी और हमारे राष्ट्र की भलाई की बात हो तो, चाहे इसके लिए आपको कितनी भी कीमत चुकानी पड़े, भले ही यह 10 गुना अधिक हो, लेकिन वास्तव में आपकी लागत इसका एक छोटा सा हिस्सा होता है।" पेपर से वोटिंग के बारे में उन्होंने कहा, "ये अच्छा है, इसे कॉपी नहीं किया जा सकता, इससे चीटिंग नहीं हो सकती। ये बेहद जटिल पेपर होते हैं, जिनपर वॉटरमार्क होता है।" इसके बाद उन्होंने दोहराया कि मेरे एक अंकल 41 सालों से एमआईटी (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी) में प्रोफ़ेसर हैं, वो बेहतरीन हैं। मैं वहां और भी लोगों को जानता हूं। वो लोग आपको बताएंगे कि चुनावों का सबसे सुरक्षित तरीका, और शायद सबसे तेज़ तरीका पेपर बैलट हैं। वो गड़बड़ी नहीं करते।" गौरतलब है यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने ई वी एम की सत्यपता पर सवाल उठाये हों मोदी-ट्रंप की साझा प्रेस वार्ता में भी वे इस का ज़िक्र कर चुके हैं। इससे कुछ दिन पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान हुई साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने पेपर बैलट का समर्थन किया था। 2020 के अमेरिकी चुनावों और पिछले साल भारत में हुए चुनावों में किसी तरह के हस्तक्षेप की संभावना के बारे में एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा था कि चुनाव के लिए पेपर बैलेट सही हैं। उन्होंने कहा था, हम अब एक बहुत अलग प्रणाली की ओर बढ़ रहे हैं, एक दिन का मतदान और पेपर बैलट, हम पेपर बैलट चाहते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस से जुड़े कई कार्यकर्ताओं के एक्स हैंडल ट्रंप के वीडियो का वो हिस्सा शेयर कर रहे हैं जिसमें वो कहते हैं कि उन्होंने ईवीएम के बारे में एलन मस्क और कुछ जानकारों से बात की, उन्होंने बताया कि इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। लेकिन बीजेपी से जुड़े एक्स हैंडल्स पर इस पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दिख रही। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इसे ट्वीट करते हुए लिखा, "क्या प्रधानमंत्री मोदी बैलट पेपर और उसी दिन मतदान पर अपने सबसे अच्छे दोस्त डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर ध्यान देंगे। क्या वो हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता के बारे में पूरे देश की चिंताओं को संबोधित करेंगे?" साथ ही उन्होंने लिखा, "मुझे यकीन है कि उनके सबसे अच्छे दोस्त (ट्रंप) भी महाराष्ट्र में लाखों मतदाताओं की असामान्य वृद्धि, या विपक्षी वोटों के डिलीट होने पर चकित होंगे।" "ये दुख की बात है कि बीजेपी इस बात को लेकर अनजान बन रही है कि चुनावी प्रणाली में गंभीर रूप से हेरफेर की जा सकती है। पारदर्शिता से दूर भागने का उनका रवैया केवल उनके गलत व्यवहार के बारे में हमारे शक़ की पुष्टि कर रहा है।" वहीं जानेमाने वकील प्रशांत भूषण ने भी ये वीडियो ट्वीट किया है। साथ ही उन्होंने लिखा है, "बीजेपी और मोदी के हीरो ट्रंप ने कहा है कि ईवीएम भरोसेमंद नहीं हैं, ईमानदारी से वोटिंग के लिए पेपर बैलट ही सही है।" कांग्रेस ये मुद्दा पहले भी उठाती रही है।" कांग्रेस के राष्ट्रीय संयोजक नितिन अग्रवाल ने भी इस वीडियो को ट्वीट किया है। वहीं युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे बीवी श्रीनिवास ने तंज कसते हुए लिखा है, "ईवीएम पर भरोसा नहीं है?" याद रहे विपक्ष कई बार ईवीएम पर संदेह जता चुकी है, हालांकि चुनाव आयोग ने इस बारे में कहा था कि अब तक कोई ये साबित नहीं कर सका है कि ईवीएम के साथ कुछ गड़बड़ी है। चुनाव आयोग ने बार-बार कहा है कि ईवीएम पेपर बैलट यानी मतपत्रों की तुलना में सटीक भी होती है, क्योंकि इसमें ग़लत या अस्पष्ट वोट डालने की संभावना ख़त्म हो जाती है। भारत में ये मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है। बीते साल इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव करवाने और वीवीपैट के साथ 100 फ़ीसदी मिलान करने की याचिका को ख़ारिज किया था। कोर्ट ने कहा था, लोकतंत्र सामंजस्य बनाए रखने के लिए होता है और आंख मूंदकर चुनाव की प्रक्रिया पर भरोसा ना करने से बिना कारण शक पैदा हो सकता है। अंत में यही कहा जा सकता है कि अब जब दुबारा से ई वी एम का जिन्न अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभर कर आ गया है तो इस पर केंद्र सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पूरे मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए इस पर और उठने वाले सवालों को रोकना चाहिए। ताकि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र देश भारत में इस की सत्यपता बनी रहे।