जी हां जैसे जैसे सर्दी जा रही है और गर्मी धीमे कदमों के साथ आ रही है अचानक बदलते मौसम का मिजाज सांस की समस्याओं, सर्दी-ज़ुकाम, फ़्लू, और वायरल संक्रमण जैसी बीमारियों से हर उम्र दराज के व्यक्ति विशेष को लपेटे में लेने लगा है। उक्त परेशानियों से मानसिक स्वास्थ्य अलग से प्रभावित होता है। इस बार फरवरी का मौसम कुछ अलग से देखने को मिल रहा है कभी दिन में खूब तेज धूप लगने लगती है तो सुबह शाम के समय ठंड बढ़ने लगती है। हम और आप यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि इस मौसम में गर्मी के कपड़े पहनें या फिर सर्दी के। छाया में बैठते हैं तो ठंड लगने लगती है धूप में बैठते हैं तो चमड़ी झुलसने लगती है। दो पहिया वाहनों पर चलें तो जैकेट और स्वेटर की जरूरत पड़ती है जैसे ही दो पहिया वाहनों से उतरें तो फिर से गर्मी का एहसास होने लगता है। हम और आप चाह कर भी भोजन का सही चुनाव नहीं कर पा रहे हैं मंडियों में सर्दियों की सब्जियों की भरमार है मगर मौसम में दिन के समय गर्मी का एहसास है आखिर खायें तो क्या खायें। मौसम इतना बदचलन हो चला है कि कई जगहों पर तो धूप के साथ ठंडा हवाएं देखने को मिल रही हैं तो कई जगह पहाड़ों की चोटियों पर बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बेमौसमी बरसात का आगमन देखने को मिल रहा है। इन हालातों को विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के माहिर स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक मानते हैं। इन का मानना है कि उक्त बदलते मौसम में अक्सर सांस की समस्याएं होने लगती हैं। हवा में धूल, पराग, और वायरस का स्तर बढ़ने से सांस की समस्याएं होती हैं। रोगों से लड़ने की ताकत अर्थात इम्यूनिटी कमज़ोर होना आम बात है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम का रोगी विशेष के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। विशेषज्ञों की राय है कि पहले तो जब भी बाहर से आएं, गर्मी महसूस हो तो भी पंखा न चलाएं, बल्कि कुछ देर आराम से बैठें। तापमान अपने आप सामान्य लगने लगेगा। अपने आस पास घर में ऑफिस में साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। जुकाम और फ्लू जैसी बीमारियों से बचने का सबसे आसान तरीका है हाथों को साफ रखना। हमारे हाथ हमेशा ही गंदे रहते हैं, क्योंकि ज्यादातर लोग अपने हाथों को सामने रखकर खांसते या छींकते हैं या फिर पूरे समय अपनी नाक को हाथों से ही पोंछते रहते हैं। इसलिए अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना बेहद जरूरी है। जब खाने के लिए भोजन चुनने की बात आये तो इस बात पर गौर करें कि जिन्हें जल्दी जुकाम, बुखार जैसी बीमारियां जकड़ लेती हैं, उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ऐसी महिलाओं को अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाएं। आप ग्रीन टी या ब्लैक टी पी सकती हैं, लेकिन दिन में केवल एक या दो कप ही पीएं। इसे ज्यादा पीना नुकसानदायक हो सकता है। इसके अलावा आप कच्चा लहसुन, दही, ओट्स, विटामिन डी और सी युक्त पदार्थ, जैसे कि नींबू और आंवले का सेवन कर सकते हैं। बदलते मौसम में मूड स्विंग ज्यादा होता है, इसलिए आप आहार में कार्बोहाइड्रेट ज्यादा मात्रा में लें। ये आहार मूड स्विंग और अवसाद से दूर रखता है और दिल-दिमाग को अच्छा महसूस कराता है। चावल, गेहूं, सेब और ड्राई फ्रूट्स में कार्बोहाइड्रेट ज्यादा पाया जाता है। आप अपने आहार में विटामिन डी को भी शामिल करें। इस मौसम में फल और सब्जियों का ज्यादा सेवन करना चाहिए, खासतौर पर हरी सब्जियों का। गाजर, मूली, टमाटर जैसी सब्जियां अधिक मात्रा में लेनी चाहिए, क्योंकि इन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आपको बीमारियों से बचाते हैं। अगर आपकी तबीयत खराब है तो आप घर पर ही रहकर आराम करें। मौसम का बदलाव में सही आहार, नींद, व्यायाम और खेलकूद पर भी ध्यान देना चाहिए। शाम को अचानक सर्दी शुरू होते ही वे ठंड की चपेट में आ जाते हैं। इस समय साफ-सफाई का ध्यान रखना भी जरूरी होता है, क्योंकि मौसम बदलते ही बैक्टीरिया जनित बीमारियां भी शुरू हो जाती हैं। बच्चे को मौसमी सब्जियां और फल जरूर खिलाएं। बच्चे को जब भी दूध पिलाएं, उसमें हल्की-सी हल्दी मिलाएं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। आहार में विटामिन सी वाले फल जरूर शामिल करें। च्यवनप्राश औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जो बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है, इसलिए बच्चे को जरूर खिलाएं। बच्चे को पर्याप्त मात्रा में पानी पीने को कहें। इससे वह डिहाइड्रेशन का शिकार होने से बच जाएगा। बच्चे को उम्र के हिसाब से सभी वैक्सीन दिलाती रहें, ताकि मौसम बदलने के कारण उसे किसी भी तरह का फ्लू न हो। बच्चे को खांसते समय अपना मुंह ढंकना और बार-बार हाथ धोना सिखाएं, खासकर खाना खाने से पहले और उसके बाद में। बच्चे अगर अपनी आंख, नाक, कान छुए तो उसे ऐसा करने से मना करें। इससे संक्रमण फैल सकता है। बच्चे के आस-पास की जगह और सामानों की सफाई करती रहें, क्योंकि इसके जरिये भी संक्रमण फैल सकता है। उसे भरपूर नींद लेने दें, ताकि वह रिलेक्स रहे और कम बीमार पड़े। डॉक्टरों के मुताबिक एसे मौसम में हमें अभी गरम कपड़े पहनना छोड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि इस मौसम में ही ठंड लगने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। हमें आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पौष्टिक आहार खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और हम बीमार होने से बचे रहते हैं। ठंडी आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक और बाहर के खाने से परहेज करना चाहिए। यह बीमार कर सकते हैं। इस मौसम में घर का ताजा भोजन ही लें। फास्ट फूड से बचें। आहार में मौसमी फल और सब्जियों का सेवन जरूर करें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। सुबह-शाम गुनगुने पानी का सेवन भी कर सकती हैं। बच्चे या वृद्ध इस समय अपना ज्यादा ध्यान रखें। बाहर निकलने से पहले मास्क और रुमाल का इस्तेमाल करें। सांस के मरीज घर से बाहर निकलते समय सावधानियां बरतें, क्योंकि इस समय संक्रमण होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।