जी हां केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में दिल्ली विधान सभा के चुनावों में जीत की पताका लहराने के बाद 50 वर्षीय रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्यमंत्री कर एक तीर से कई निशाने लगा डाले। भाजपा ने पहला निशाना महिला वोटरों को लेकर लगाया जिससे उसने यह संदेश देने का प्रयास किया कि जिन महिला मतदाताओं की वजह से पार्टी दिल्ली में 27 वर्षों के बाद सरकार बनाने के काबिल हुई है उनके लिए मुख्यमंत्री का पद भी उन्हीं में से किसी एक यानि रेखा गुप्ता को दिया जा रहा है जो यकीनन भविष्य़ में महिलाओं के कल्याण के लिए फैसला लेगी। इससे पूर्व मुख्यमंत्री और आप सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल द्वारा चलाई गई महिलाओं के लिए स्कीमों को आंकने के लिए भी बल मिलेगा। दूसरा केजरीवाल की तरह से रेखा गुप्ता वैश् समाज से आती हैं इससे भाजपा वैश समाज को एक संदेश दे रही है। तीसरा चूंकि रेखा गुप्ता कम उम्र की हैं तो भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वह नए चेहरों को मौका दे रही है। पार्टी के दिग्गजों को हटाकर कम उम्र के नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।गुजरात, म प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत जहां भी चुनाव हुए हैं, वहां यह देखने को मिला है। चौथा भाजपा की नई मुख्यमंत्री साफ छवि की हैं इन पर कोई भ्रष्टाचार का दाग नहीं है वे कर्मठ और इमानदार हैं। इससे करप्शन के प्रति जीर टॉलरेंस को बल मिलेगा। पांचवां रेखा गुप्ता की संगठन पर मजबूत पकड़ है वे धरातल से जुड़ी हुई नेत्री रही हैं। यही वजह है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्वम ने उनपर भरोसा जताया है। आइये बात करते हैं दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के बारे में कि आखिर वे हैं कौन। रेखा गुप्ताे शालीमार बाग से चुनाव जीतकर दिल्ली विधानसभा पहुंची हैं। हरियाणा के जींद में पैदा हुईं रेखा गुप्ता ने मेरठ से कानून की पढ़ाई की है। उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी से पुराना नाता रहा है। उत्तरी दिल्ली की मेयर रह चुकी गुप्ता के पास प्रशासनिक अनुभव है। वह बीजेपी की महिला मोर्चा की प्रभावशाली नेता रही हैं। वह वर्तमान में दिल्ली भाजपा महिला मोर्चा की महासचिव और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं। वे ए बी वी पी यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी रही हैं और वहीं से राजनीति में सक्रिय हुईं। रेखा गुप्ताी को संगठन में काम करने का अच्छा़ खासा अनुभव है। वैसे भी रेखा के समर्थन में शालीमार बाग पी एम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और हरियाणा सी एम नायब सैनी जैसे भाजपा दिग्गजों ने उनके लिए प्रचार किया था। रेखा के दादा मनीराम और परिवार के लोग हरियाणा के जुलाना में रहते थे। उनके पिता जयभगवान 1972-73 में बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर बने। उन्हें दिल्ली में ड्यूटी मिली। इसके बाद परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया। रेखा की स्कूली पढ़ाई दिल्ली में ही हुई। उन्होंने दिल्ली के ही दौलत राम कॉलेज से बीकॉम किया। इसके बाद एलएलबी की पढ़ाई भी की। उन्होंने कुछ समय तक वकालत भी की। रेखा गुप्ता कल रामलीला मैदान में सीएम पद की शपथ लेंगी। रेखा गुप्ता को पार्टी के भीतर जमीनी स्तर पर उनकी सक्रियता और संगठनात्मक कौशल के लिए पहचाना जाता है। रेखा अब बीजेपी शासित 21 राज्यों में एकमात्र महिला मुख्यमंत्री होंगी। पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। रेखा गुप्ता ने इस बार हुए विधानसभा चुनाव में 29 हजार 595 वोट से जीत हासिल की थी। रेखा गुप्ता को 68 हजार 200 मिले थे। उन्होंने आम आदमी पार्टी की महिला उम्मीदवार बंदना कुमारी को हराया था। यहां से कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण कुमार जैन तीसरे स्थान पर रहे थे। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में, आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को ही इस सीट से जीत मिली थी। इससे पहले भी 2015 में बंदना कुमारी ने ही इसी सीट पर जीत दर्ज की थी। रेखा गुप्ता एबीवीपी से जुड़ी रही हैं। उन्होंने डीयू छात्र संघ चुनाव में महासचिव पद पर जीत हासिल की थी। रेखा गुप्ता जिंदल दिल्ली की नौवीं मुख्यमंत्री होंगी। दिल्ली की चौथी मुख्यमंत्री के तौर पर आर एस एस ने रेखा गुप्ता का नाम आगे बढ़ाया था और पार्टी ने उस पर मुहर लगा दी। भाजपा ने इन चुनावों में पांच बड़ी घोषणाएं की थीं जिनमें महिलाएं पूरी तरह से फोकस्ड रहीं। इन में हर महीने 2500 रुपए की आर्थिक मदद। जो 8 मार्च यानी अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस से मिलना शुरू हो सकता है। दिल्ली में घरेलू मेड के कल्याण के लिए बोर्ड बनाने का ऐलान किया। गरीब महिलाओं को सिलेंडर पर 500 रुपए की सब्सिडी, होली-दीवाली पर एक-एक मुफ्त सिलेंडर। मातृ सुरक्षा वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को ₹21 हजार और 6 पोषण किट।महिलाओं को फ्री बस सर्विस की भी सुविधा दी है। दूसरी ओर गौरतलब है कि दिल्ली में मुख्यमत्री पद पर रेखा गुप्ता को विधायक दल का नेता चुनने के बाद सी एम के पद का सस्पेंस तो खत्म हो गया है मगर इससे नई दिल्ली से विधायक चुने गए प्रवेश वर्मा के लिए झटका भी लग गया है। बीजेपी भले ही उन्हें उप-मुख्यमंत्री बना दे मगर उन्होंने भी आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराने का इतिहास रचा है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। याद रहे प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। 27 फरवरी 1996 से 12 अक्टूबर 1998 तक सीएम रहे थे। सूत्रों के मुताबिक सीएम रेस में प्रवेश वर्मा के पिछड़ने की कई वजहें हैं इन में परिवारवाद भी मुख्य वजह है। बीजेपी दिल्ली में परिवारवाद को लेकर अपने ऊपर आरोप नहीं लगने देना चाहती है। प्रवेश वर्मा जाट बिरादरी से आते हैं। पड़ोसी राज्य हरियाणा में और दिल्ली में भी जाट बिरादरी ने पार्टी की उम्मीद के मुताबिक बीजेपी पर भरोसा जताया है। ऐसा माना जाता है कि उनमें पार्टी के प्रति कोई नाराजगी तो है मगर लबों पर आने से डरती है।