जी हां अब वक्त आ गया है जब विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश भारत फिनटेक के क्षेत्र में पूरे विश्व का नेतृत्व कर सकता है बशर्ते हम डेटा सुरक्षा को सुदृढ़ कर लें, प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दें और वैश्विक फिनटेक साझेदारी को यथाशक्ति से बढ़ाएं। इस में कोई दो राय नहीं है कि भारत की फिनटेक क्रांति ने पारंपरिक बैंकिंग को दरकिनार कर दिया है, जिससे लाखों लोग मोबाइल-फर्स्ट वित्तीय समाधान अपनाने में सक्षम हुए हैं। वर्ष 2009 से, एन पी सी आई ने अंतर-बैंक अंतरण को मानकीकृत किया है, जिससे डिजिटल भुगतान में सीधा संक्रमण संभव हुआ है, जो पश्चिम के क्रमिक विकास से भिन्न है। यह सार्वजनिक-निजी संचालित मॉडल उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये एक ब्लूप्रिंट के रूप में कार्य करता है। हालाँकि, स्वयं को वैश्विक फिनटेक अग्रणी के रूप में स्थापित करने के लिये, भारत को आगे आने वाली प्रमुख चुनौतियों का समाधान करना होगा। आईये समझते हैं कि आखिर फिनटेक है क्या और इस क्षेत्र का विकास कैसे हुआ। फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) से तात्पर्य वित्तीय सेवाओं को कुशलतापूर्वक प्रदान करने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग से है। भारत की फिनटेक यात्रा स्मार्टफोन की पहुँच, इंटरनेट पहुँच, नियामक समर्थन और डिजिटल भुगतान नवाचार जैसे कारकों से आकार ले रही है। वर्ष 2000 से पूर्व शुरुआती दौर में बैंकिंग क्षेत्र कोर बैंकिंग समाधान और आई टी संचालित सेवाओं पर निर्भर था। ए टी एम. एन इ एफ टी, आर टी जी एस और इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सेवाओं की शुरूआत हुई। वर्ष 2000-2015 के बीच आधार का शुभारंभ, जिससे डिजिटल पहचान सत्यापन संभव हुआ। एन पी सी आई द्वारा तत्काल भुगतान सेवा की शुरूआत, जिससे समयोचित लेनदेन की सुविधा मिली। बढ़ते ई-कॉमर्स के कारण डिजिटल वॉलेट्स (जैसे, पे टी एम) का उदय। वित्तीय समावेशन का विस्तार करते हुए प्रधानमंत्री जन धन योजना शुरू की गई। वैकल्पिक ऋण प्लेटफॉर्मों और डिजिटल एन बी एफ सी का उदय। वर्ष 2016–2020 के बीच विमुद्रीकरण से डिजिटल लेनदेन में तेज़ी आई। एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस के लॉन्च ने रियल टाइम में धन अंतरण में क्रांति ला दी। ऋण, धन प्रबंधन और बीमा (जैसे, ज़ेरोधा, पॉलिसीबाज़ार, फोनपे) में फिनटेक स्टार्टअप्स की वृद्धि। वर्ष 2020-वर्तमान में डिजिटल बैंकिंग, संपर्क रहित भुगतान और फिनटेक अपनाने को बढ़ावा मिला। निर्बाध वित्तीय डेटा साझाकरण के लिये अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क लॉन्च किया गया। आर बी आई ने ऑनलाइन ऋण देने वाले प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिये डिजिटल ऋण दिशानिर्देश पेश किये। अभी खरीदें, बाद में भुगतान करें- मॉडल और अंतर्निहित वित्त समाधान का उदय। रुपे क्रेडिट कार्ड से जुड़े यू पी आई भुगतान, क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज (विनियमित) और ए आई-संचालित वित्तीय सेवाओं का विकास। किफायती स्मार्टफोन और सस्ते इंटरनेट की व्यापक उपलब्धता ने डिजिटल वित्तीय सेवाओं को बढ़ावा दिया है। 80 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के साथ, वित्तीय प्रौद्योगिकी समाधान ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुलभ हो गए हैं, जिससे वित्तीय समावेशन की खाई को समाप्त किया जा रहा है। एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले घरों का प्रतिशत लगभग 88% है। भारत में 5G सदस्यता वर्ष 2029 के अंत तक कुल मोबाइल सदस्यता का लगभग 65% होने की उम्मीद है, जो 840 मिलियन तक पहुँच जाएगी। डिजिटल इंडिया, जाम ट्रिनिटी (जन धन-आधार-मोबाइल) और वित्तीय समावेशन योजनाओं के माध्यम से नकदी रहित अर्थव्यवस्था के लिये भारत सरकार के प्रयास ने फिनटेक को काफी बढ़ावा दिया है। 15 जनवरी, 2025 तक 54.58 करोड़ से अधिक जन धन खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें से 55.7% खाते महिलाओं के पास हैं। आर बी आई और सेबी ने डिजिटल ऋण, डिजिटल बैंकिंग इकाइयों और खाता एग्रीगेटर्स के लिये नियामक कार्यढाँचे की शुरुआत की है, जिससे फिनटेक विकास के लिये एक स्थिर वातावरण सुनिश्चित हो सके। भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस यू पी आई ने डिजिटल लेन-देन में परिवर्तन दिया है, जिससे निर्बाध अंतर-संचालन और शून्य-लागत लेनदेन की सुविधा मिल रही है। भारत में फिनटेक क्षेत्र से संबंधित कई प्रमुख मुद्दे हैं जैसे विनियामक अनिश्चितता और अनुपालन चुनौतियाँ, साइबर सुरक्षा जोखिम और डिजिटल धोखाधड़ी, डिजिटल ऋण और शोषणकारी प्रथाएँ, डेटा गोपनीयता और सहमति संबंधी मुद्दे, डिजिटल डिवाइड और वित्तीय समावेशन अंतराल, उच्च ग्राहक अधिग्रहण लागत और लाभप्रदता संबंधी चिंताएँ, एकाधिकार संबंधी चिंताएँ और बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा का अभाव आदि हैं। भारत अपने फिनटेक क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और वैश्विक मॉडल बनने के लिये कई कदम उठा सकता है इनमें एक व्यापक और अनुकूली नियामक कार्यढाँचे की स्थापना, डेटा संरक्षण और साइबर सुरक्षा बुनियादी अवसंरचना को मज़बूत करना, क्षेत्रीय भाषा फिनटेक समाधानों के माध्यम से वित्तीय समावेशन, जिम्मेदार ऋण दिशानिर्देशों के साथ एम्बेडेड फाइनेंस और बी एन पी एल को बढ़ावा, फिनटेक फंडिंग को सुदृढ़ करना और नेक्स्ट जेनरेशन की फिनटेक के लिये ए आई, ब्लॉकचेन और क्वांटम कंप्यूटिंग का लाभ उठाना शामिल हैं। इन के अलावा वैश्विक फिनटेक मानकों और विचार नेतृत्व को संस्थागत बनाने के तहत भारत को वैश्विक विनियमनों को प्रभावित करने के लिये जी 20, बी आई एस और आई एम एफ के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय फिनटेक मानकीकरण प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिये। अनुसंधान, नीति निर्माण और विनियामक नवाचार के लिये भारत वैश्विक फिनटेक संस्थान की स्थापना से विचार नेतृत्व को मज़बूती मिलेगी। भारत विनियामक और प्रौद्योगिकीय सर्वोत्तम प्रथाओं का अंगीकरण कर फिनटेक की सिलिकॉन वैली के रूप में उभर सकता है। अंत में कह सकते हैं कि भारत की फिनटेक क्रांति ने डिजिटल भुगतान, ए आई-संचालित ऋण और ब्लॉकचेन नवाचारों के माध्यम से वित्तीय समावेशन को पुनः परिभाषित किया है। डेटा सुरक्षा को दृढ़ करना, प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना और वैश्विक फिनटेक साझेदारी को बढ़ाना इस क्षेत्र में नेतृत्व के लिये महत्त्वपूर्ण होगा। एक संतुलित दृष्टिकोण- उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करते हुए नवाचार को बढ़ावा देना, भारत को एक वैश्विक फिनटेक पावरहाउस के रूप में स्थापित कर सकता है।