दक्षिण भारत के सुपरस्टार से राजनेता बने विजय ने राजनीति में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार के वक्फ एक्ट 1995 में बदलाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। विजय की पार्टी तमिझग विजयर संगम द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (धर्म के आधार पर भेदभाव निषेध) और 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि वक्फ बोर्ड को इतनी अधिक शक्तियां दी गई हैं कि वे बिना किसी पूर्व नोटिस या सुनवाई के निजी संपत्तियों को भी 'वक्फ संपत्ति' घोषित कर देते हैं। इससे आम नागरिकों के संपत्ति अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। विजय का यह कदम न केवल कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि तमिलनाडु की राजनीति में भी एक नई बहस को जन्म दे रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विजय का यह फैसला मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति से इतर एक तटस्थ और राष्ट्रहितैषी रुख दिखाता है, जो उन्हें अन्य दलों से अलग पहचान दे सकता है। दूसरी ओर, कुछ आलोचकों का कहना है कि यह कदम महज चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और वक्फ बोर्ड से जवाब मांगा है। अब देखना होगा कि यह कानूनी लड़ाई देश के वक्फ कानून और अल्पसंख्यक नीतियों को किस दिशा में ले जाती है।