चंडीगढ़, 25 मार्च – हरियाणा सरकार ने प्रदेश में डेयरी क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में हरियाणा मुर्रा भैंस एवं अन्य दुधारू पशु नस्ल नियम, 2002 के नियम 21 के उपनियम (1) और (2) में संशोधन को मंजूरी दी गई।
ब्याज दर में हुई कटौती
इस संशोधन के तहत, दुग्ध सेस के भुगतान में देरी पर लगने वाले दंड और ब्याज दर में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। पहले यह दर 2% मासिक चक्रवृद्धि ब्याज (24% वार्षिक) थी, जिसे घटाकर अब 12% वार्षिक साधारण ब्याज कर दिया गया है।
डेयरी उद्योग को मिलेगा राहत
हरियाणा मिल्क प्लांट एसोसिएशन और मिल्क प्लांट मालिकों ने सरकार से अनुरोध किया था कि राज्यभर में मिल्क प्लांटों के वित्तीय बोझ को कम करने के लिए मौजूदा नियमों में संशोधन किया जाए। सरकार के इस फैसले से दूध प्रसंस्करण उद्योग पर वित्तीय दबाव कम होगा, जिससे उनके संचालन में सुगमता आएगी और डेयरी क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी।
नए प्रावधानों के अनुसार
हरियाणा की डेयरी इंडस्ट्री को मिलेगा बढ़ावा
इस संशोधन से हरियाणा के दूध संयंत्रों को परिचालन में सुविधा मिलेगी, जिससे राज्य दूध प्रसंस्करण उद्योग में एक अग्रणी केंद्र के रूप में उभरेगा। इससे न केवल डेयरी सेक्टर में निवेश आकर्षित होगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।