रेशमी धागे
बांधे, रिश्ते हो जाए
संबंध पक्के
प्यारा-सा साथ
कल्पना में ही रहा
हमारे पास
सावनी घटा
बरसे दिल पर
तुम हो रूठे
कितनी बातें
करनी तुमसे, क्यों
रखूं मन में
आंखों पे बांध
बिजली बन गए
आंसू झरने
नींद नीड़ की
उड़ गई ज्यों उड़े
उसके बच्चे
जेठ का माह
दुपहरी भी ढूंढे
छांव की राह
ईश की लाठी
समझे गर इन्सान
फिर क्या बाकी
शहरी रात
सुरा-संगीत संग
होए प्रभात
बेटी हमारी
परिवार ही खड़ा
लिए कटारी