धीरा खंडेलवाल का हाइकु कविताओं का अद्भुत संग्रह मन-मुकुर (मन रूपी दर्पण पर उभरे बिंबों तथा प्रतिबिंबों का संयोजन)
सर्द शर्वरी कंपकंपाते ओंठ आह निर्झरी
11. सर्द शर्वरी
कंपकंपाते ओंठ
आह निर्झरी
12. भंवरा चुप
कलियों ने बिखेरी
माह की धूप
13. भटके मन
बात न करे कोई
अपना बन
14. जर्जर वृक्ष
आ गिरा शरण में
धरा-समक्ष
15. उम्र की धूप
साया दे, गरमी भी
रूप अनूप
16. बीती रजनी
रोशनी लाई ऊषा
भर अंजुरी
17. फूल में ओस
दुख भरी बदरी
आंसू की ओट
18. ममता रोती
आजन्मी के आंसू ज्यों
सीप में मोती
19. पानी के शब्द
नदी के पट पर
हंसते स्तब्ध
20. नायाब छटा
वासंती बहार में
हरित धरा
नोट:- हाइकु एक जापानी शैली की लघु कविता होती है। इसमें 17 वर्ण होते हैं और इसे तीन पंक्तियों में लिखा जाता है। पहली पंक्ति में पांच वर्ण, दूसरी में सात, और तीसरी में फिर पांच वर्ण होते हैं।