रूस-यूक्रेन युद्ध ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ा दी है। ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार, रूसी सेना यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में लगातार बढ़त बनाती जा रही है। रणनीतिक शहरों और सीमावर्ती क्षेत्रों पर कब्जा करने के बाद अब आशंका जताई जा रही है कि आने वाले समय में रूस यूक्रेन के लगभग 70% हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की यह रणनीति लंबे समय तक युद्ध खींचने और यूक्रेन को भू-राजनीतिक तौर पर कमज़ोर करने की दिशा में उठाया गया कदम है। डोनबास, ज़ापोरिज़िया और खेरसॉन जैसे इलाकों में रूसी हमले तेज़ हुए हैं और स्थानीय नागरिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
यूक्रेनी नेतृत्व ने पश्चिमी देशों से अधिक सैन्य सहायता की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि यदि रूस को रोका नहीं गया, तो यह यूरोपीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। वहीं पुतिन सरकार का दावा है कि यह "सैन्य अभियान" रूस की क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर नाटो, अमेरिका और यूरोपीय संघ लगातार निगरानी कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई निर्णायक हस्तक्षेप नहीं हुआ है।