चीन की अर्थव्यवस्था पर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का असर अब ज़मीनी स्तर पर साफ दिखाई देने लगा है। एक ओर जहां कई औद्योगिक इकाइयों को उत्पादन बंद करना पड़ा है, वहीं दूसरी ओर गोदामों में तैयार माल बिकने का इंतज़ार करता पड़ा है।
अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध ने चीन के निर्यात-आधारित उद्योगों पर सीधा असर डाला है। इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, खिलौने और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में ऑर्डर घटे हैं, जिससे हजारों फैक्ट्रियां या तो आंशिक रूप से बंद हो गई हैं या उत्पादन में भारी कटौती कर रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी बाजार में चीनी उत्पादों पर ऊंचे आयात शुल्क के चलते प्रतिस्पर्धा में कमी आई है। नतीजतन, अमेरिकी कंपनियां अब वियतनाम, भारत, बांग्लादेश जैसे देशों से माल मंगाने लगी हैं। इससे चीन के निर्यातकों को भारी घाटा हो रहा है।
सिर्फ निर्यात ही नहीं, देश के अंदर भी इसका असर दिख रहा है। कई गोदामों में तैयार माल महीनों से पड़ा हुआ है, जिससे लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन पर भी दबाव बढ़ा है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो चीन की GDP वृद्धि दर पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चीन इस संकट से उबरने के लिए किस तरह की नीतिगत प्रतिक्रियाएं अपनाता है और वैश्विक व्यापार पर इसका क्या असर पड़ता है।