सिटी दर्पण
नई दिल्ली, 30 अक्तूबरः राजधानी में प्रदूषण बढ़ाने में स्थानीय स्रोतों में वाहनों से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। पीएम 2.5 स्तर में पराली जलाने का औसत योगदान लगभग 4.44 प्रतिशत है, जबकि वायु गुणवत्ता खराब से बहुत खराब हो गई है। इसमें वाहनों से होने वाले प्रदूषण में आधे से ज्यादा की हिस्सेदारी है। इसके बाद घरों में खाना बनाने आदि काम में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी का हिस्सा 13 प्रतिशत, उद्योग का 11 फीसदी और निर्माण कार्य से होने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत हैं। यह खुलासा सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट में हुआ है।
सीएसई का विश्लेषण सर्दियों की शुरुआत और दिवाली के दौरान पराली व पटाखे जलाने से होने वाले प्रदूषण के चरम पर पहुंचने से ठीक पहले आया है। सीएसई ने शहर में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाने की सिफारिश की है। साथ ही, ठोस ईंधन के जलने, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण गतिविधियों और सभी ऊर्जा स्रोतों सहित प्रदूषण के अन्य प्रमुख स्रोतों पर कार्रवाई को कड़ा करने के लिए कहा है।
स्थानीय प्रदूषण के स्रोत सबसे अधिक : अनुमितासीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने बताया कि आमतौर पर हर साल सर्दियों के पहले चरण में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में पराली जलाने के योगदान को सबसे बड़ी समस्या माना जाता है। इससे प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों से ध्यान हट जाता है, लेकिन इस साल वायु गुणवत्ता खराब से बहुत खराब हो गई है, जबकि इस चरण के अधिकांश भाग में पराली जलाने का योगदान 1 से 3 प्रतिशत से भी कम रहा है, जो केवल दो दिनों में 8-16 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह स्थानीय वायु प्रदूषण स्रोतों के उच्च योगदान की समस्या को उजागर करता है। चौंकाने वाली बात यह है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में वाहनों का योगदान स्थानीय स्रोतों में बहुत अधिक है। यह आधे से भी अधिक है।
311 एप कर सकते हैं प्रदूषण से लेकर अन्य शिकायतेंएमसीडी ने त्योहारी सीजन में दिल्लीवासियों से स्वच्छ, हरित और स्वस्थ शहर बनाए रखने में योगदान करने की अपील की है। उसने नागरिकों से 311 मोबाइल एप के माध्यम से प्रदूषण, स्वच्छता और अन्य नागरिक समस्याओं की रिपोर्ट करने का आग्रह किया है। इसके पीछे टीमों तक तुरंत जानकारी पहुंचाने और शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित करने की मंशा है।
एमसीडी प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों में तीव्रता लाई गई है और नागरिकों को 311 एप्प के माध्यम से अधिक से अधिक शिकायतें दर्ज कराने के लिए प्रोत्साहित किया है। एमसीडी ने 311 एप के माध्यम से शिकायत पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाई है। उसने बताया कि प्राप्त शिकायतों में से लगभग 90 प्रतिशत का समाधान 3-4 दिनों के भीतर किया जा रहा है। एमसीडी का 311 एप विशेष रूप से कूड़ा जलाने, स्वच्छता संबंधी शिकायतों, आवारा पशुओं की समस्याओं और सड़क की लाइटों के मुद्दों को सुलझाने में प्रभावी है। एक बार शिकायत दर्ज हो जाने पर उसे कार्रवाई के लिए तुरंत संबंधित विभाग में भेज दिया जाता है।