सिटी दर्पण
मॉस्को, 30 दिसंबरः
Russia Ukraine War : रूस-यूक्रेन युद्ध को लगभग तीन साल होने वाले हैं। दोनों देशों के हजारों-लाखों लोग इस जंग की भेंट चढ़ चुके हैं। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस जंग को एक दिन में खत्म कराने का वादा करके सत्ता तक पहुंच गए हैं। लेकिन अब रूस ने ट्रंप को तगड़ा झटका देते हुए समझौते का ऑफर ठुकरा दिया है। अब देखना ये है कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी इस युद्ध को खत्म कराने के लिए शांतिदूत बनेंगे?
ट्रंप ने क्या ऑफर दिया था?
बताया जाता है कि ट्रंप की टीम ने युद्ध खत्म करने के लिए रूस को जो प्रस्ताव दिया था, उसमें यूक्रेन को अगले 20 साल तक नाटो का मेंबर न बनाने का वादा भी शामिल था। नाटो यानी उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन 32 देशों का महत्वपूर्ण राजनीतिक व सैन्य गठबंधन है। यूक्रेन लंबे समय से नाटो की सदस्यता हासिल करने के लिए प्रयास करता रहा है। अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य होता तो रूस के खिलाफ उसकी जंग में नाटो के सदस्य देशों को भी खुलकर उतरना पड़ता। ऐसे में इस जंग का विश्व युद्ध में बदलना तय था।
कहा था, 24 घंटे में युद्ध खत्म करा देंगे
वैसे तो अमेरिका समेत तमाम देश यूक्रेन का खुलकर साथ दे रहे हैं। रसद से लेकर सैन्य साजो-सामान मुहैया करा रहे हैं। इसी की बदौलत यूक्रेन जैसा देश रूस को कड़ी टक्कर दे रहा है। लेकिन अमेरिका में ही यूक्रेन को इतनी सैन्य मदद का विरोध होता रहा है। डोनाल्ड ट्रंप खुद इसके खिलाफ हैं। अमेरिका में चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने कहा था कि राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने के 24 घंटे के अंदर वह रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करा देंगे।
बताया जाता है कि टीम ट्रंप ने जंग रोकने के लिए जो ऑफर दिया था, उसमें रूस और यूक्रेन के बीच मौजूदा सीमा को असैन्य क्षेत्र घोषित करने का भी प्रस्ताव था। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में बताया गया है कि ये क्षेत्र लगभग 1290 किलोमीटर का है। असैन्य क्षेत्र घोषित होने के बाद रूस या यूक्रेन इस इलाके में फिर से हमला नहीं कर पाते।
ट्रंप के जूनियर और अमेरिका के आगामी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस ने सितंबर में रूस-यूक्रेन समझौते के एक प्रस्तावित समझौते का मसौदा एक इंटरव्यू में साझा किया था। इसमें लुहांस्क, डोनेत्स्क, खेरसॉन और जपरोझिया जैसे इलाकों को रूस को सौंपने का प्रस्ताव था। यूक्रेन के इन इलाकों समेत यूक्रेन के लगभग 20 फीसदी इलाकों पर रूस अपना कब्जा कर चुका है।
पुतिन ने ट्रंप के इरादों पर पानी फेरा
हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध में शांतिदूत बनने के ट्रंप के इरादों पर पुतिन ने फिलहाल पानी फेर दिया है। वह अमेरिकी ऑफर से सहमत नहीं हैं। पुतिन ने हाल ही में अपनी सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यूक्रेन को नाटो सदस्य बनाने में देरी का ऑफर हमें मंजूर नहीं है। उनका कहना था कि मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने भी इसी तरह का प्रस्ताव दिया था, जिसमें अगले 10-15 साल तक यूक्रेन को नाटो सदस्यता से वंचित करने का वादा शामिल था। ऐसे में ट्रंप ने हमें कोई नया ऑफर नहीं दिया है।
पुतिन के बाद रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सरकारी न्यूज एजेंसी से कहा कि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति के प्रतिनिधियों के प्रस्ताव से हम संतुष्ट नहीं हैं। वैसे भी 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद ही ट्रंप आधिकारिक तौर पर प्रस्ताव दे सकते हैं। उधर, अमेरिकी प्रस्ताव से यूक्रेन भी सहमत नहीं है। उसका कहना है कि वह शांतिवार्ता के लिए तभी तैयार होगा, जब रूस उसके कब्जाए गए इलाकों पर से अपना दावा छोड़ेगा। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की समझौते के लिए नाटो सदस्यता को भी एक शर्त बनाए हुए हैं।
पीएम मोदी बनेंगे शांतदूत?
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध का वार्ता से समाधान निकालने पर जोर दे चुके हैं। उन्होंने कई मौकों पर साफ कहा है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। शांति सिर्फ बातचीत के जरिए ही आ सकती है। जेलेंस्की ने भी पीएम मोदी की मध्यस्थता में रूस से वार्ता के संकेत दिए थे। अक्टूबर में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि निश्चित ही पीएम मोदी ऐसा कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें खुद को तैयार करने की जरूरत है।