चंडीगढ़, 25 मार्च:
पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने आज राज्य विधानसभा में 2016-17 से 2021-22 तक की कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए पिछली कांग्रेस सरकार पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जन स्वास्थ्य ढांचे और पंचायत राज संस्थाओं की हालत बेहद खराब हो गई थी।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर रिपोर्ट के निष्कर्ष
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि कांग्रेस सरकार आम जनता की स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर पूरी तरह लापरवाह थी। कैग रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के स्वास्थ्य संस्थानों में स्वीकृत पदों में से 50.69% पद खाली पड़े थे, जबकि मेडिकल एजुकेशन और रिसर्च निदेशालय में 59.19% पदों पर नियुक्तियां नहीं की गई थीं।
इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं में बुनियादी ढांचे की भारी कमी पाई गई, जिसमें
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अपर्याप्त अस्पताल और बिस्तर,
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जरूरी दवाओं और उपकरणों की कमी,
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संस्थानिक प्रसव दर में गिरावट,
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स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च का लक्ष्य से कम होना शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब सरकार ने 2021-22 में अपने कुल खर्च का केवल 3.11% और जीडीपी का मात्र 0.68% स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया, जोकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 द्वारा निर्धारित 8% खर्च और 2.5% जीडीपी लक्ष्य से काफी कम था।
पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों की अनदेखी
चीमा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को भी कमजोर किया।
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73वें संविधान संशोधन के तहत पंचायतों को 29 कार्य सौंपे जाने थे, लेकिन पिछली सरकार ने केवल 13 कार्य ही पंचायतों को दिए।
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वित्त आयोग की ग्रांट्स समय पर ट्रांसफर न करने के कारण सरकार को अनावश्यक रूप से ब्याज का भुगतान करना पड़ा।
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विभिन्न योजनाओं के तहत मिले फंड का 5% से 94% हिस्सा खर्च ही नहीं किया गया, जिससे विकास कार्य प्रभावित हुए।
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पंचायत राज संस्थाओं में स्टाफ की कमी 2019-20 में 29% थी, जो 2021-22 में बढ़कर 41% हो गई।
शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में भी 34% से 44% तक स्टाफ की कमी रही। रिपोर्ट में बताया गया कि
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510.56 करोड़ रुपये के उपभोक्ता खर्चे बकाया रह गए,
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137 शहरी निकाय ‘पंजाब राज्य कैंसर एवं ड्रग डी-एडिक्शन ट्रीटमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड’ में 10.77 करोड़ रुपये का योगदान देने में विफल रहीं।
पंजाब सरकार ने दी कांग्रेस को आड़े हाथ
हरपाल सिंह चीमा ने कांग्रेस को 'अमीरों की पार्टी' करार देते हुए कहा कि इसने न तो आम लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं का ध्यान रखा और न ही लोकतंत्र की मूल इकाइयों पंचायतों और शहरी निकायों को मजबूत किया। उन्होंने कहा कि 2017-22 के दौरान आवश्यक भर्तियां न करने से हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित कर दिया गया।
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार अब इन खामियों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है और स्वास्थ्य एवं स्थानीय निकायों को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठा रही है।