चंडीगढ़, 11 मार्च 2025: चंडीगढ़ के गतिशील भूजल संसाधन आकलन को लेकर राज्य स्तरीय समिति (एसएलसी) की बैठक आज यूटी सचिवालय, सेक्टर-9 में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता गृह सचिव मंदीप सिंह बराड़, आईएएस ने की।
बैठक की शुरुआत केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के क्षेत्रीय निदेशक (प्रभारी) विद्या नंद नेगी के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद सीजीडब्ल्यूबी के वैज्ञानिक बी. श्री आदित्य शर्मा ने मार्च 2024 तक चंडीगढ़ के भूजल संसाधनों पर विस्तृत प्रस्तुति दी।
भूजल निष्कर्षण में कमी और पुनर्भरण में सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू, औद्योगिक और सिंचाई उद्देश्यों के लिए भूजल निष्कर्षण में कमी आई है, जबकि जल संरक्षण प्रयासों और पुनर्भरण पहलों के कारण भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
- भूजल विकास दर 2023 में 75% थी, जो 2024 में घटकर 66% रह गई।
- इसके चलते चंडीगढ़ का भूजल स्तर अर्ध-गंभीर श्रेणी से सुरक्षित स्थिति में आ गया।
- उत्तर और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में भूजल स्तर अधिक है, जो प्रमुख पुनर्भरण क्षेत्र हैं।
- दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में जल स्तर उथला है, जिससे जल दोहन के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है।
सीजीडब्ल्यूबी की सिफारिशें
- उत्तर और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में भूजल पुनर्भरण के लिए अधिक जल संरक्षण गतिविधियाँ बढ़ाई जाएं।
- दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में अत्यधिक जल संरक्षण उपायों से बचा जाए, क्योंकि वहां पानी का स्तर पहले से ही उथला है।
- नगर निगम, चंडीगढ़, एसटीपी उपचारित जल का उपयोग कर रहा है, जिससे लगभग 20 एमजीडी उपचारित जल को ग्रीन बेल्ट के विकास में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे जल प्रबंधन का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया गया।
बैठक के दौरान गृह सचिव मंदीप सिंह बराड़, आईएएस ने मार्च 2024 तक के भूजल संसाधन मूल्यांकन की औपचारिक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट चंडीगढ़ की भविष्य की जल प्रबंधन नीतियों और जल संरक्षण रणनीतियों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बनेगी।