सिटी दर्पण
छत्तीसगढ़, 10 मार्चः
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की है। यह छापेमारी दुर्ग जिले के भिलाई स्थित परिसरों में की गई। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने यह कार्रवाई कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में की, जिसमें चैतन्य बघेल का नाम सामने आया है। इस दौरान, चैतन्य बघेल के करीबी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल समेत कुछ अन्य लोगों के ठिकानों पर भी तलाशी ली गई। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई है।
छापेमारी के दौरान क्या बरामद हुआ?
ईडी की टीम ने जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। इसके अलावा, छह मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी बरामद किए गए हैं, जिनकी बातचीत का विवरण खंगाला जा रहा है। वहीं, छापेमारी में बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की संभावना जताई गई, जिसके चलते बैंक अधिकारियों को नोट गिनने की मशीन के साथ पूर्व मुख्यमंत्री के आवास पर बुलाया गया। जांच के दौरान करीब 33 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं।
ईडी की पूछताछ जारी
ईडी की टीम बीते सात घंटे से अधिक समय से भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल से पूछताछ कर रही है। इस कार्रवाई की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में कांग्रेस विधायक उनके निवास पर पहुंच गए। इसके अलावा, ईडी की कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस नेताओं ने प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया।
विधानसभा में हंगामा
इस छापेमारी को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों ने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए नारेबाजी की। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, कांग्रेस विधायकों ने प्रश्नकाल के दौरान ईडी की कार्रवाई का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि सरकार में कथित भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने वालों को केंद्रीय एजेंसियों के जरिए निशाना बनाया जा रहा है।
विपक्षी विधायकों, जिनमें कांग्रेस विधायक उमेश पटेल भी शामिल थे, ने भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने विपक्षी सदस्यों से शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाने की अपील की, लेकिन नारेबाजी जारी रहने के कारण कांग्रेस विधायकों को निलंबित कर दिया गया। इस दौरान, भूपेश बघेल सदन में मौजूद नहीं थे।