सिटी दर्पण
वॉशिंगटन, 18 दिसंबर: अमेरिका के रक्षा विभाग ने चीन की सेना की ताकत को लेकर अपनी सालाना रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। चीन जिस तरह से अपने परमाणु बमों के भंडार को बढ़ा रहा है, वह भारत और अमेरिका के लिए बड़ा खतरा है। अमेरिका रक्षा विभाग ने कहा है कि साल 2024 के मध्य तक चीन के परमाणु बमों की संख्या 600 को पार कर गई है। इसमें कहा गया है कि 2030 के अंत तक चीन के पास 1000 से ज्यादा परमाणु बम होंगे। इनमें से कई को पूरी तरह से तैनाती के मोड पर रखे जाने की योजना है।
चीन बढ़ा रहा परमाणु हथियार
चीन अपने परमाणु हथियारों को तेजी से बढ़ा रहा है। इसके पहले पिछले साल की रिपोर्ट में यह संख्या 500 थी। यानी एक साल में चीन ने 100 परमाणु बम बना लिए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग की सालाना रिपोर्ट बताती है कि चीन अपने फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों और पुनर्संसाधन सुविधाओं का उपयोग अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम के लिए प्लूटोनियम का उत्पादन करने के लिए कर सकता है। चीन इन प्रौद्योगियों के शांतिपूर्ण उद्येश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने की बात कहता रहा है।
अमेरिका शहरों पर तक हमला करने की क्षमता
इसमें कहा गया है कि चीन एडवांस न्यूक्लियर डिलीवरी सिस्टम विकसित कर रहा है। इसे अमेरिका से दीर्घकालिक चुनौती को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है। पीपल्स रिपब्लिक आर्मी की बढ़ती हुई न्यूक्लियर फोर्स इसे अमेरिकी शहरों, सैन्य सुविधाओं और नेतृत्व स्थलों को निशाना बनाने में सक्षम करेगी। चीन की योजना ऐसे हथियार तैयार करने की है जो बहुत अधिक स्तर पर नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हों।
विविधतापूर्ण परमाणु फोर्स
पीपल्स लिबरेशन आर्मी का फोकस एक बड़ा और विविधतापूर्ण परमाणु बल बनाने पर है, जिसमें कम क्षमता वाली सटीक स्ट्राइक मिसाइलों से लेकर मल्टी-मेगाटन क्षमता वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) प्रणालियां शामिल हैं। चीन हल्के लक्ष्यों के लिए कम क्षमता वाले परमाणु हथियार क्षमताओं की तलाश कर रहा है, जो उसके बड़ी क्षमता वाले वारहेड नहीं दे सकते।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2035 तक सेना के पूर्ण आधुनिकीकरण और 2050 तक इसे दुनिया की सबसे ताकतवर सेना बनाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, पेंटागन की रिपोर्ट बताती है कि चीनी सेना और सरकार के भीतर व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान उनके प्रयास में बाधा डाल रहा है। चीन ने 2023 की दूसरी छमाही में भ्रष्टाचार के आरोप में कम से कम उच्च रैंकिंग वाले सैन्य और रक्षा उद्योग के अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया था।