मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "हम चाहते हैं कि हमारे अमित शाह को राज़ीनामा देना चाहिए. और मोदी जी को ज़रा सा भी बाबा साहब आंबडेकर जी के लिए श्रद्धा है तो उन्हें (अमित शाह) रात के बारह बजे तक बर्ख़ास्त कर देना चाहिए."
अमित शाह ने अब क्या कहा?
वहीं, इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कांग्रेस पार्टी को घेरा.
अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने उनके राज्यसभा में दिए बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया है.
उन्होंने कहा, "मैं मीडिया से विनती करना चाहता हूं कि मेरा पूरा बयान जनता के सामने रखें. मैं उस पार्टी से आता हूं जो कभी आंबेडकर का अपमान नहीं करती. अमित शाह ने कहा कि वह हमेशा आंबेडकर के रास्ते पर चले हैं."
शाह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर से कल बातों को तोड़-मरोड़कर, असत्य को सत्य के कपड़े पहनाकर फैलाना शुरू कर दिया.
खड़गे की ओर से इस्तीफ़े की मांग पर अमित शाह ने कहा, "मेरे इस्तीफ़े से खड़गे जी आपकी दाल नहीं गलने वाली."
अमित शाह ने ये भी कहा कि संसद के बाहर और अंदर क्या क़ानूनी विकल्प हो सकते हैं, इसे भारतीय जनता पार्टी तलाशेगी.
संसद में क्या-क्या हुआ?
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के कई सांसदों ने संसद परिसर में बुधवार को अमित शाह से माफ़ी की मांग लेकर धरना-प्रदर्शन किया.
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही अमित शाह से माफ़ी मांगने की मांग की जाने लगी. कांग्रेस के सदस्य हाथों में आंबेडकर के पोस्टर लिए वेल में प्रवेश कर गए और अमित शाह से राज्यसभा में उनके कल के दिए भाषण के लिए माफ़ी मांगने की मांग करने लगे. कुछ देर बाद ही इंडिया गठबंधन के अन्य दलों के नेता भी वेल में आ गए.
इस बीच क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कांग्रेस पर ये कहते हुए निशाना साधा कि पार्टी ने हमेशा ही आंबेडकर का अपमान किया और लोकसभा चुनावों में उनकी हार भी पक्की करवाई. क़ानून मंत्री ने ये भी दावा किया कि कांग्रेस पार्टी अब आंबेडकर का नाम लेने के लिए मजबूर है लेकिन पार्टी ने कभी उनका सम्मान नहीं किया.
इस बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से प्रश्नकाल चलने देने के लिए कहा लेकिन हंगामा जारी रहने के बीच ये कार्यवाही दो मिनट भी नहीं चल सकी और फिर इसे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया.
हालांकि, इसके बावजूद टीएमसी के अलावा बाकी दलों के सांसद खड़े होकर "जय भीम" के नारे लगाने लगे. अधिकांश कांग्रेस सांसद नारेबाज़ी करते हुए वेल में घुसे.
ऐसी ही स्थिति राज्यसभा में भी दिखी जहां नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अमित शाह के बयान को संविधान के निर्माता डॉक्टर आंबेडकर का अपमान बताया. हालांकि, सदन में बीजेपी के नेता जेपी नड्डा ने उनके आरोपों को ख़ारिज किया और कहा कि कांग्रेस ने आंबेडकर का हमेशा अपमान किया, जिसकी वजह से उन्हें केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफ़ा देना पड़ा.
इस पर हंगामा बढ़ा. सत्ता और विपक्षी दलों के नेताओं ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी शुरू कर दी और फिर चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने पूरे दिन के लिए कार्यवाही को स्थगित कर दिया.
सदन के बाहर राहुल गांधी ने अमित शाह के बयान पर कहा, "ये संविधान के ख़िलाफ़ है. ये लोग (बीजेपी) शुरू से ही कह रहे हैं कि ये संविधान बदलेंगे. ये लोग आंबेडकर जी और उनकी विचारधारा के ख़िलाफ़ हैं. इनका पूरा का पूरा काम, आंबेडकर जी ने जो किया, उसे और संविधान को ख़त्म करने का है."
वहीं लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा, "मेरी उम्मीद ये थी कि गृह मंत्री अमित शाह जी अनुभवी मंत्री हैं, उनको पता चल गया होगा कि उनके शब्दों से कितने लोगों को चोट पहुंची है. परंतु खेद प्रकट करने की बजाय उन्होंने एक अहंकारी रूप धर लिया है. भाजपा ये चाहती है कि पूरा देश सिर्फ़ मोदी जी के नाम का जप करे. लेकिन ये देश सिर्फ़ मोदी जी का नहीं है, इस देश में करोड़ों बाबा साहब आंबेडकर जी के विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोग हैं."
वहीं राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने कहा, "बीआर आंबेडकर के लिए गृह मंत्री अमित शाह की अपमानजनक टिप्पणी शर्मनाक है. अमित शाह ने बीजेपी और आरएसएस की मनुवादी, सामाजिक भेद करने वाली सोच को उजागर कर दिया, जो आंबेडकर की विरासत का इस्तेमाल राजनीति के लिए करते हैं. अमित शाह ने भारत के संविधान निर्माता का अपमान किया है. वह गृह मंत्री जैसे बड़े पद के लिए अनफिट हैं."
समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने गृह मंत्री के बयान पर कहा, "ये संविधान का अपमान है. हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. ये बहुत बड़ा अपमान है."
बसपा सुप्रीमो मायावती ने विवाद के बाद एक्स पर पोस्ट में कहा, "कांग्रेस व बीजेपी एंड कंपनी के लोगों को बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर की आड़ में अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की बजाय, उनका पूरा आदर-सम्मान करना चाहिए. इन पार्टियों के लिए इनके जो भी भगवान हैं उनसे पार्टी को कोई ऐतराज़ नहीं है."
उन्होंने कहा, "दलितों व अन्य उपेक्षितों के लिए एकमात्र इनके भगवान केवल बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर हैं, जिनकी वजह से ही इन वर्गों को जिस दिन संविधान में कानूनी अधिकार मिले हैं, तो उसी दिन इन्हें सात जन्मों तक का स्वर्ग मिल गया था."
पीएम का कांग्रेस पर निशाना
गृह मंत्री अमित शाह के आंबेडकर पर दिए बयान के बाद कांग्रेस की ओर से माफ़ी मांगे जाने की मांग पर पीएम मोदी ने भी प्रतिक्रिया दी. पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा कि कांग्रेस ने हमेशा आंबेडकर का अपमान किया है.
उन्होंने लिखा, "डॉक्टर आंबेडकर का अपमान करने की कांग्रेस की लिस्ट काफी लंबी है. चुनावों में आंबेडकर को एक बार नहीं दो-दो बार हराया. पंडित नेहरू ने उनके ख़िलाफ़ अभियान चलाया और उनकी हार को प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया था. उन्हें भारत रत्न नहीं दिया."
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने डॉक्टर आंबेडकर की तस्वीर को सेंट्रल हॉल में भी जगह नहीं दी. मोदी ने लिखा कि ये आंबेडकर को मिटाने की चाल है और एक वंश की पार्टी ने कोशिश की है.
उन्होंने लिखा, "कांग्रेस जो चाहे कर ले, लेकिन वो इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि अनुसूचित जाति और जनजाति के ख़िलाफ़ सबसे बड़े हत्याकांड उनके शासनकाल में ही हुए."
मोदी ने लिखा, "कई सालों तक वे सत्ता में रहे, लेकिन दलितों और आदिवासियों के लिए कुछ ख़ास नहीं किया."
पीएम मोदी ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर की वजह से ही "जो हम हैं, वो हम हैं. हमारी सरकार ने पिछले एक दशक में उनके विज़न को पूरा करने के लिए अथक कार्य किए हैं. किसी भी क्षेत्र को ले लीजिए- 25 करोड़ लोगों को ग़रीबी से बाहर निकाला है और दलितों-आदिवासियों को मज़बूत करने की दिशा में काम किया."
अमित शाह ने क्या कहा था?
मंगलवार को राज्यसभा में अपने भाषण में अमित शाह देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पहली कैबिनेट से आंबेडकर के इस्तीफ़ा का ज़िक्र कर रहे थे.
कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए अमित शाह ने कहा कि अब चाहे आंबेडकर का नाम सौ बार ज़्यादा लो लेकिन साथ में आंबेडकर जी के प्रति आपका भाव क्या है, ये वह बताएंगे.
अमित शाह ने कहा, "आंबेडकर ने देश की पहली कैबिनेट से इस्तीफ़ा क्यों दे दिया? उन्होंने कई बार कहा कि वह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ होने वाले व्यवहार से असंतुष्ट हैं. उन्होंने सरकार की विदेश नीति से असहमति जताई थी, अनुच्छेद 370 से भी सहमत नहीं थे. आंबेडकर को आश्वासन दिया गया था, जो पूरा नहीं हुआ, इसलिए कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था."
अमित शाह ने कहा, "जिसका विरोध करते हो उसका वोट के लिए नाम लेना कितना उचित है?"
इसी दौरान अमित शाह ने वह टिप्पणी भी की, जो अब विवादों में है.