सिटी दर्पण
नई दिल्ली, 08 अक्तूबरः
भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा की राजनीति में इतिहास रचते हुए लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है। 58 साल के इतिहास में भाजपा ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए राज्य की 90 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। कोई भी एग्जिट पोल और राजनीतिक पंडित भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार का अनुमान नहीं लगा पाया था। कांग्रेस की हर रणनीति को ध्वस्त करते हुए भाजपा ने हरियाणा की उस परंपरा को भी कायम रखा है, जिसमें केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार होती है। दस साल बाद सत्ता में वापसी की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस सिर्फ 37 सीटें ही जीत पाई। पिछली बार कांग्रेस के पास 31 सीटें थीं।
इस बार चुनाव में मतदाताओं ने तीसरे दल की भूमिका खत्म कर दी है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के खाते में सिर्फ दो सीटें आई हैं। रानिया में इनेलो के अर्जुन चौटाला और डबवाली में आदित्य देवीलाल चौटाला ने जीत दर्ज की है। चौटाला परिवार के सात सदस्य मैदान में उतरे थे लेकिन इनेलो के दिग्गज अभय चौटाला तक हार गए। जननायक जनता पार्टी (जजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया। दोनों दल का कोई भी उम्मीदवार दूसरे नंबर पर भी नहीं आ सका।
इनेलो के साथ मिलकर लड़ रही बसपा भी सिर्फ एक अटेली सीट पर टक्कर दे पाई। जजपा के साथ मिलकर लड़ रही आजाद समाज पार्टी को भी मतदाताओं ने तवज्जो नहीं दी। तीन निर्दलीय भी जीते हैं। कांग्रेस से बगावत करने वाले बहादुरगढ़ से राजेश जून और भाजपा की बागी हिसार से सावित्री जिंदल व गन्नौर से देवेंद्र कादियान निर्दलीय विधानसभा पहुंचे हैं।
भाजपा की जीत में बिना पर्ची-खर्ची के नौकरी देना, गैर जाट वोटों की लामबंदी और 35 नए चेहरों को उतारना अहम फैक्टर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस की हार में पार्टी के उम्मीदवारों का बड़बोलापन और हुड्डा व सैलजा की आपसी कलह अहम कारण रहे।चुनाव के दौरान ही कांग्रेस के कई उम्मीदवारों के वीडियो वायरल हुए थे, जिसमें वह वोट के बदले नौकरी देने और चुनाव जीतने के बाद अपना घर पहले भरने की बात कर रहे थे। भाजपा ने इन वीडियो को अपने चुनाव प्रचार में शामिल किया। दस साल की सत्ता विरोधी लहर होने के बावजूद भाजपा ने कांग्रेस के दस साल के शासन काल में दलितों पर हुए अत्याचार व भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर कांग्रेस को ही घेर दिया। इस मुद्दे को कांग्रेस काउंटर भी नहीं कर पाई। कांग्रेस सिर्फ भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ही निर्भर होकर रह गई और भाजपा की किसी रणनीति का ठोस जवाब नहीं दे सकी।
इस पूरे चुनाव में सीएम नायब सिंह सैनी प्रदेश में हरियाणा के एक बड़े चेहरे के तौर पर उभरकर आए हैं। भाजपा हाईकमान ने उन्हें मात्र छह महीने पहले ही सीएम पद की कुर्सी पर बैठाया था। मगर उन्होंने 56 दिन में 125 से ज्यादा ऐतिहासिक निर्णय लेकर दस साल की सत्ता विरोधी लहर को न सिर्फ खत्म किया, बल्कि लोगों में विश्वास जगाया कि उन्हें भी एक बार मौका मिलना चाहिए। उन्होंने 49 दिन में करीब 85 रैलियां की। रैलियों में वह अपने काम को गिनाने के साथ सीधे हुड्डा पर ही प्रहार करते रहे। भाजपा की जीत में उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
नायब सिंह सैनी जहां से भी लड़े जीते
कुरुक्षेत्र की लाडवा विधानसभा सीट से सीएम नायब सिंह सैनी ने करीब 16 हजार मतों से जीत हासिल की। दस साल में यह उनका चौथा चुनाव था। पहले वह नारायणगढ़ से विधायक चुने गए। उसके बाद वह कुरुक्षेत्र से सांसद और फिर करनाल से विधायक। अब फिर से लाडवा से विधायक चुने गए हैं। उनका दोबारा सीएम बनना तय माना जा रहा है। पीएम मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपनी रैलियों में कहते रहे हैं कि सैनी ही दोबारा सीएम बनेंगे।
जजपा का वोट बैंक भाजपा व कांग्रेस में बंटा
2019 में किंगमेकर बनकर उभरी जजपा का वोट बैंक इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में बंट गया। जजपा को पिछली बार 14.9 फीसदी मत मिले था। इस बार उसका मत प्रतिशत मात्र 0.90 फीसदी ही रह गया है। भाजपा का मत प्रतिशत पहली बार 39.94 फीसदी पहुंचा है। 2014 में भाजपा ने 47 सीटें जीती थी। उस दौरान भाजपा को 33.3 फीसदी ही मत हासिल हुआ था। कांग्रेस का मत प्रतिशत करीब 11 फीसदी बढ़ा है। इससे पहले कांग्रेस को 2005 में 42 फीसदी से ज्यादा मत प्रतिशत प्राप्त हुआ था।
चार सीटों पर आप ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
बहुमत से दूर रही कांग्रेस का खेल आम आदमी पार्टी ने बिगाड़ा है। लोकसभा चुनाव में आप के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को पांच सीटें मिली थीं, लेकिन विधानसभा चुनाव में आप के साथ गठबंधन नहीं होने का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा। उचाना, डबवाली, रानियां और असंध में कांग्रेस प्रत्याशियों की हार उतने मतों से हुई है, जितने वोट आप को मिले हैं।
भाजपा और कांग्रेस - फोटो : अमर उजाला
दलों को मिला मत प्रतिशत
पार्टियों की सीटें और मत प्रतिशत
पार्टी सीटें/मत प्रतिशत सीटें/मत प्रतिशत सीटें/मत प्रतिशत
2014 2019 2024
भाजपा 47/33.2 40/36.49 48/39.94 (+3.45)
कांग्रेस 15/20.6 31/28.08 37/39.09 (+11.01)
इनेलो 19/24.1 1/2.44 2/4.14 (+1.7)
जजपा -- 10/14.80 0/0.90 (-13.9)
आप -- -- 0/1.79
बसपा 1/4.4 0/4.21 0/1.82 (-2.39)
रिकॉर्ड जीत के बावजूद सैनी कैबिनेट के आठ मंत्री हारे
भाजपा की रिकॉर्ड जीत के बावजूद नौ मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। सिर्फ दो मंत्रियों को जीत हासिल हुई। इनमें सैनी कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ कृषि मंत्री कंवर पाल गुर्जर जगाधरी, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता हिसार, बिजली मंत्री रणजीत चौटाला रानियां, वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल लोहारू, परिवहन मंत्री असीम गोयल अंबाला, निकाय मंत्री सुभाष सुधा थानेसर, सिंचाई मंत्री अभय सिंह यादव नांगल चौधरी और खेल मंत्री संजय सिंह नूंह विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को पंचकूला सीट से हार का सामना करना पड़ा है। सिर्फ दो ही मंत्री चुनाव जीत पाए हैं। बल्लभगढ़ सीट से मूलचंद शर्मा और पानीपत ग्रामीण सीट से महिपाल ढांडा चुनाव जीत पाए।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व नौ विधायक भी नहीं जीत पाए
भाजपा की जीत की आंधी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व सात मौजूदा विधायक भी चुनाव हार गए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान, कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार, जगबीर मलिक, नीरज शर्मा, जयवीर वाल्मीकि, राव दान सिंह, चिंरजीव राव, धर्म सिंह छौक्कर, बलबीर वाल्मीकि, मेवा सिंह, शमशेर गोगी और अमित सिहाग अपना चुनाव हार गए।
इनकी हार ने चौंकाया
इनेलो प्रमुख अभय सिंह चौटाला, हरियाणा लोकहित पार्टी प्रमुख गोपाल कांडा, पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय चौटाला, बृजेंद्र सिंह, उदयभान, ओपी धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, बलराज कुंडू, मनीष ग्रोवर, भव्य बिश्नोई, सुनीत दुग्गल।
चौंकाने वाली जीत
उचाना से बृजेंद्र सिंह को हराने वाले भाजपा के देवेंद्र अत्री, बहादुरगढ़ से कांग्रेस के बागी राजेश जून, बाढड़ा में पहली बार भाजपा का खाता खोलने वाले उमेद पातुवास, पूंडरी से भाजपा प्रत्याशी सतपाल जांबा, लोहारू में भाजपा के कद्दावर मंत्री जेपी दलाल को हराने वाले राजदीप फरटिया, गन्नौर से भाजपा के बागी देवेंद्र कादियान, फरीदाबाद एनआईटी में पहली बार भाजपा का खाता खोलने वाले सतीश फागना, महेंद्रगढ़ से कांग्रेस के राव दान सिंह को हराने वाले भाजपा के कंवर सिंह यादव।
सबसे उम्रदराज व सबसे युवा विधायक
विधानसभा में सबसे उम्रदराज कांग्रेस के विधायक 80 वर्षीय डॉ. रघुबीर कादियान होंगे। वह सातवीं बार बेरी विधानसभा सीट से चुने गए हैं। वहीं, सबसे कम उम्र के विधायक कैथल से कांग्रेस के 25 वर्षीय आदित्य सुरजेवाला चुने गए हैं।