दिल्ली की भाजपा सरकार 26 साल बाद 25 मार्च को अपना पहला बजट (2025-26) पेश करने जा रही है, जिसका आकार लगभग ₹80,000 करोड़ होने की संभावना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता बजट सत्र के दूसरे दिन इसे प्रस्तुत करेंगी। 26 मार्च को बजट पर विस्तृत चर्चा होगी, जिसमें सभी विधायक सरकार की नीतियों और योजनाओं पर अपनी राय रखेंगे।
27 मार्च को विधानसभा में बजट पर बहस के बाद मतदान किया जाएगा। सरकार पहले ही 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 'महिला समृद्धि योजना' लॉन्च कर चुकी है, जिसके तहत गरीब परिवारों की महिलाओं को हर महीने ₹2,500 की आर्थिक सहायता मिलेगी। इस योजना का लाभ लगभग 20 लाख महिलाओं को मिलेगा, और इसे बजट में आधिकारिक रूप से शामिल किए जाने की संभावना है।
बजट में यमुना की सफाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रदूषण नियंत्रण, जलभराव की समस्या, सड़क निर्माण और किसानों से जुड़ी योजनाओं पर भी घोषणाएं की जा सकती हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि 'विकसित दिल्ली' का बजट जनता के सुझावों पर आधारित होगा। सरकार को ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से बजट के लिए 10,000 से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं।
दिल्ली का बजट: एक नजर
यदि पिछले 10 वर्षों के बजट पर नजर डालें तो 2015-16 में दिल्ली का बजट ₹41,129 करोड़ था, जो 2024-25 में बढ़कर ₹76,000 करोड़ हो गया। आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने बजट का लगभग 40% हिस्सा शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च किया, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक था।
दिल्ली के राजस्व स्रोत
दिल्ली की आय का मुख्य स्रोत विभिन्न कर हैं, जिनमें वैट, संपत्ति कर, आयकर, स्टांप शुल्क, रोड टैक्स आदि शामिल हैं। दिल्ली सरकार के कुल बजट का लगभग 70% हिस्सा कर राजस्व से आता है। इसके अलावा, दिल्ली एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र भी है, जिससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं।
केंद्र सरकार की सहायता
दिल्ली को केंद्र सरकार से अनुदान और ऋण भी मिलता है। 2025-26 के बजट में केंद्र सरकार ने दिल्ली के लिए ₹1,348 करोड़ का प्रावधान किया है, जिसमें ₹968.01 करोड़ अनुदान और ₹380 करोड़ ऋण शामिल है। चूंकि दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है, इसलिए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों का नियंत्रण केंद्र सरकार के पास है, जैसे कि दिल्ली पुलिस का वेतन और कुछ योजनाओं का सीधा वित्तपोषण।
24 मार्च: बजट सत्र की शुरुआत
दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र 24 मार्च को 'खीर सेरेमनी' के साथ शुरू हुआ, जो पहली बार आयोजित किया गया था। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के कार्यों पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की।
इस दौरान भाजपा विधायक हरीश खुराना ने AAP सरकार पर डीटीसी के कुप्रबंधन का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि 2015-16 में डीटीसी की देनदारियां ₹28,263 करोड़ थीं, जो 2021-22 तक बढ़कर ₹65,274 करोड़ हो गईं, और इसी अवधि में इसे ₹14,000 करोड़ से अधिक का घाटा हुआ। इसके अलावा, 2015 में डीटीसी बसों की संख्या 4,344 से घटकर 3,937 रह गई, और इसकी आय ₹914 करोड़ से घटकर ₹558 करोड़ हो गई।
इस बहस के बाद मुख्यमंत्री ने लोक लेखा समिति और व्यापार सलाहकार समिति के गठन का प्रस्ताव रखा, जिसमें प्रत्येक समिति में 9 सदस्य होंगे। इसके बाद सदन को 26 मार्च की सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया।