तुर्की में एक मेयर की गिरफ्तारी के बाद हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे, जिससे कई शहरों में अशांति फैल गई। पुलिस ने 350 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इस स्थिति पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वे "स्ट्रीट टेरर" को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
तुर्की के पूर्वी इलाके में स्थित हक्कारी शहर के मेयर मेटिन डिहान को सरकार ने बर्खास्त कर दिया और उनकी जगह एक प्रशासक (गवर्नर) को नियुक्त कर दिया गया। डिहान को कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (PKK) से कथित संबंधों के आरोप में हिरासत में लिया गया है। तुर्की सरकार PKK को आतंकवादी संगठन मानती है।
डिहान की गिरफ्तारी के बाद कई शहरों में प्रदर्शन शुरू हो गए, खासकर कुर्द-बहुल इलाकों में। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं को हटाने का आरोप लगाया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह झड़पें हुईं, जिसमें लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया।
एर्दोगन सरकार का बयान
राष्ट्रपति एर्दोगन ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि तुर्की में सड़कों पर हिंसा और आतंक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने इसे देश की स्थिरता पर हमला करार दिया और कहा कि सुरक्षा बल पूरी तरह से स्थिति को नियंत्रित कर लेंगे।
तुर्की सरकार का दावा है कि जिन नेताओं के आतंकवादी संगठनों से संबंध पाए जाते हैं, उन्हें प्रशासनिक पदों पर रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसी नीति के तहत डिहान को हटाया गया और उनके स्थान पर एक सरकारी अधिकारी को नियुक्त किया गया।
विपक्ष का विरोध
तुर्की में मुख्य विपक्षी पार्टियों और कुर्द समर्थक दलों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि चुने हुए नेताओं को बिना किसी ठोस सबूत के बर्खास्त करना लोकतंत्र के खिलाफ है। विपक्ष ने इस फैसले को सत्तावादी रवैये का उदाहरण बताया और सरकार पर कुर्द नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
स्थिति को देखते हुए तुर्की के कई शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तनाव बना हुआ है। यह देखना अहम होगा कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है और क्या कोई राजनीतिक समाधान निकल सकता है।