तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की अध्यक्षता में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) ने जनसंख्या के आधार पर सीटों के पुनर्गठन (परिसीमन) को अगले 25 वर्षों तक टालने की मांग उठाई है। इस संबंध में समिति ने एक सात-सूत्रीय प्रस्ताव पारित किया, जिसमें संविधान संशोधन की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।
JAC का प्रस्ताव क्यों?
JAC का मानना है कि वर्तमान परिसीमन नीति दक्षिणी राज्यों के साथ अन्याय कर सकती है। उनका तर्क है कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया, वे संसदीय और विधानसभा सीटों के मामले में नुकसान झेल सकते हैं। वहीं, अधिक जनसंख्या वृद्धि वाले राज्यों को अतिरिक्त सीटें मिल सकती हैं, जिससे सत्ता संतुलन प्रभावित हो सकता है।
प्रस्ताव के मुख्य बिंदु
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परिसीमन को 25 वर्षों के लिए स्थगित किया जाए – JAC ने सरकार से मांग की कि संविधान में संशोधन कर आगामी 25 वर्षों तक परिसीमन प्रक्रिया को रोका जाए।
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वर्तमान सीट वितरण को बरकरार रखा जाए – यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी राज्य को संसदीय या विधानसभा सीटों में कटौती का सामना न करना पड़े।
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संविधान में संशोधन हो – JAC ने सिफारिश की कि संविधान में आवश्यक बदलाव किए जाएं ताकि सीटों के पुनर्गठन की प्रक्रिया न्यायसंगत हो।
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जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहन मिले – ऐसे राज्यों को पुरस्कृत किया जाए जिन्होंने प्रभावी परिवार नियोजन नीतियों को अपनाया है।
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राज्यों के अधिकारों की रक्षा हो – संघीय ढांचे को मजबूत करने के लिए राज्यों की स्वायत्तता सुनिश्चित की जाए।
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संसदीय समितियों में न्यायसंगत प्रतिनिधित्व – यह सुनिश्चित किया जाए कि जनसंख्या आधारित बदलाव से राज्यों की भागीदारी प्रभावित न हो।
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राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो – सभी राज्यों और हितधारकों के साथ इस विषय पर चर्चा कर समाधान निकाला जाए।
JAC का यह प्रस्ताव संसद तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। समिति का मानना है कि यदि संविधान में संशोधन नहीं किया गया, तो कई राज्यों को संसदीय और विधानसभा सीटों में कटौती का सामना करना पड़ सकता है, जिससे देश में क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ सकता है। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।