सिटी दर्पण
नई दिल्ली, 13 मार्चः
रुपये के प्रतीक को तमिल अक्षर से बदलने को लेकर उपजा विवाद गहराता जा रहा है। इस मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह कदम अलगाववादी मानसिकता को बढ़ावा देता है। गौरतलब है कि तमिलनाडु सरकार ने 2025-26 के बजट में रुपये के प्रतीक (₹) को तमिल अक्षर 'रु' से बदल दिया है।
विवाद पर राजनीतिक टकराव
भाजपा ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि रुपये का आधिकारिक प्रतीक डिजाइन करने वाले व्यक्ति, आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार, एक पूर्व द्रमुक विधायक के बेटे हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बजट पेश होने से एक दिन पहले इसका टीजर जारी किया, जिसमें रुपये के प्रतीक की जगह तमिल भाषा में 'रु' प्रदर्शित किया गया है, जिसका अर्थ 'रुबाई' (तमिल में रुपया) होता है।
सीतारमण का सवाल— 2010 में विरोध क्यों नहीं किया?
वित्त मंत्री सीतारमण ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि यदि द्रमुक को रुपये के प्रतीक (₹) से समस्या थी, तो 2010 में इसका विरोध क्यों नहीं किया गया, जब इसे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था? उस समय द्रमुक भी केंद्र सरकार का हिस्सा थी।
उन्होंने इस कदम को केवल प्रतीकात्मक बदलाव से अधिक गंभीर बताते हुए कहा कि यह एक खतरनाक मानसिकता को दर्शाता है, जो राष्ट्रीय एकता को कमजोर कर सकता है। उन्होंने इसे भाषा और क्षेत्रीय भावनाओं को उभारने की टाला जा सकने वाली कोशिश करार दिया।
हिंदी थोपने का आरोप
तमिलनाडु सरकार ने इस बदलाव को अपनी क्षेत्रीय पहचान से जोड़ते हुए इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के विरोध का हिस्सा बताया है। मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन का कहना है कि केंद्र सरकार राज्य में हिंदी को थोपने का प्रयास कर रही है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी इसी दिशा में उठाया गया कदम बताया है।
हालांकि, भाजपा इस फैसले से नाराज है, जबकि सत्तारूढ़ द्रमुक का कहना है कि कोई आधिकारिक नियम ऐसा नहीं है जो रुपये के प्रतीक में बदलाव को रोकता हो।
डिजाइनर ने दी सफाई
रुपये का आधिकारिक प्रतीक डिजाइन करने वाले आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार ने विवाद से दूरी बनाते हुए किसी भी टिप्पणी से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह महज संयोग है कि उनके पिता, एन. धर्मलिंगम, 1971 में द्रमुक के विधायक थे।
उदय कुमार ने कहा, "मुझे इस विषय पर कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं है। राज्य सरकार को यदि बदलाव आवश्यक लगा, तो उन्होंने इसे लागू किया। यह पूरी तरह से उनका निर्णय है, और इसमें किसी अन्य पहलू को जोड़ने की जरूरत नहीं है।"