नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन जंग के बीच यूरोप के सभी देश व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ लामबंद हो गए थे. ना सिर्फ यूरोपीय यूनियन (EV) में रूस के खिलाफ प्रस्ताव पास किए गए, बल्कि अमेरिका की मदद से पुतिन के देश पर प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी गई. जंग को अब तीन साल बीतने को हैं. इसी बीच पुतिन ने यूक्रेन के पीएम वोलोदिमीर जेलेंस्की को बड़ा झटका दिया है. रूस ने यूरोपीय यूनीयन की एकता को तार-तार कर दिया है. यूरोप के देश स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फ़िको रविवार को रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे, जहां क्रेमलिन में उन्होंने पुतिन से मुलाकात की. युद्ध छिड़ने के बाद यह पहला मौका है जब यूरोपीय संघ के किसी नेता द्वारा क्रेमलिन की यात्रा की गई हो.
अब मन में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो स्लोवाकिया ने अपने खास दोस्त जेलेंस्की को गच्चा देते हुए पुतिन का हाथ थाम लिया है. दरअसल, इसके पीछे पूरा खेल तेल और प्राकृतिक गैस का है. युद्ध शुरू हुए तीन साल हो चुके हैं लेकिन अभी भी इसके अंत को लेकर कोई स्थिति साफ नहीं है. ऐसे में अपने देश की जरुरतों को पूरा करने के मकसद से स्लोवाकिया के पीएम रॉबर्ट फिको की तरफ से यह यात्रा की गई है. फिको रविवार शाम को पुतिन से मिले. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने रूस की RIA एजेंसी को बताया कि दोनों नेताओं के बीच चर्चा का विषय अंतरराष्ट्रीय स्थिति और रूसी प्राकृतिक गैस आपूर्ति रहा.
यूक्रेन ने अनुबंध बढ़ाने से किया मना
रूस की नेचुरल गैस अभी भी यूक्रेन के माध्यम से स्लोवाकिया सहित कुछ यूरोपीय देशों में पहुंचती है. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले दोनों देशों के बीच नेचुरल गैस की सप्लाई को लेकर पांच साल का एग्रिमेंट हुआ था, जो इस साल के अंत में खत्म हो जाएगा. पुतिन को बड़ा झटका देने के मकसद से जेलेंस्की ने इस समझौते को आगे बढ़ाने से ज्यादा इंट्रस्ट नहीं दिखाया. ऐसे में स्लोवाकिया के लिए गैस का संकट आने की स्थिति पैदा हो गई. पीएम फिको ने जोर देकर कहा कि समझौते का विस्तार नहीं होने से उनके देश के हितों को नुकसान होगा.
अजरबैजान से शॉर्ट टर्म कांट्रैक्ट
स्लोवाकिया ने पिछले महीने अजरबैजान से नेचुरल गैस खरीदने के लिए एक शॉर्ट टर्म पायलेट प्रोजेक्ट पर साइन किया था. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यूक्रेन अपनी धरती से होते हुए स्लोवाकिया को आगे नेचुरल गैस की सप्लाई के लिए राजी नहीं हुआ. उसने साल की शुरुआत में पोलैंड से पाइपलाइन के जरिए अमेरिका की लिक्विड नेचुरल गैस आयात करने के लिए एक सौदा किया. स्लोवाकिया ऑस्ट्रियाई, हंगेरियन और चेक नेटवर्क के जरिए भी गैस प्राप्त कर सकता है, जिससे जर्मनी और अन्य संभावित आपूर्तिकर्ताओं से आयात संभव हो सकेगा. हालांकि इससे पहले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने जुलाई में रूस का दौरा किया था. ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कुछ ही हफ़्तों बाद रूसी पुतिन से मुलाक़ात की थी. तब दोनों यात्राओं की कीव और यूरोपीय नेताओं ने निंदा की थी.