27 नवंबर को प्रयागराज आए मुख्यमंत्री की ओर से पूर्व में 6500 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लोकार्पण की घोषणा की गई थी। हालांकि, अब इनमें कई अन्य निर्माण भी शामिल हो गए हैं। मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि लोकार्पण वाली परियोजनाओं की विभागवार सूची तैयार की जा रही। अभी इनकी संख्या और बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के हाथों पांच करोड़ रुपये या इससे अधिक लागत वाली स्थायी निर्माण परियोजनाओं का लोकार्पण किया जाएगा।
10 तक पूरे कर लिए जाएं सभी काम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों संग बैठक में महाकुंभ के कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने पूरे हो चुके कार्यों पर संतोष जताया। साथ ही सभी कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने अन्य परियोजनाओं को भी 10 दिसंबर तक पूरा कर लेने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने मेले की बसावट, संगम पर सर्कुलेटिंग एरिया बढ़ाने के लिए ड्रेजिंग आदि कार्यों में अपेक्षित तेजी लाने की बात कही। इसके लिए उन्होंने जरूरी संसाधन एवं श्रमिकों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने डिजिटल महाकुंभ की बात भी कही।
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महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेते सीएम योगी।
शृंग्वेरपुर धाम नहीं जाएंगे प्रधानमंत्री लेकिन निषादराज की रहेगी चर्चा
प्रधानमंत्री शृंग्वेरपुर धाम तो नहीं जाएंगे लेकिन निषादराज की चर्चा हर जगह रहेगी। प्रधानमंत्री ऑनलाइन माध्यम से निषादराज पार्क, भगवान राम एवं निषादराज की गले मिलते प्रतिमा एवं घाट का भी लोकार्पण करेंगे। इसी के साथ वहां प्रस्तावित गंगा रिवर फ्रंट एवं संग्रहालय का शिलान्यास भी करेंगे। इन पर करीब 350 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इन परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री को शृंग्वेरपुर जाने का कार्यक्रम प्रस्तावित था लेकिन मुख्यमंत्री की बैठक में स्पष्ट किया गया कि प्रधानमंत्री शृंग्वेरपुर नहीं जाएंगे। हालांकि, वर्चुअल लोकार्पण के दौरान संबंधित विभाग के अफसर तथा अन्य लोग शृंग्वेरपुर में मौजूद रहेंगे।
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नैनी के शिवालय पार्क में पहुंचे सीएम योगी।
गंगा पूजन से पहले संतों संग वार्ता करेंगे प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री संगम नोज पर गंगा पूजन से पहले संतों से वार्ता करेंगे। वार्ता में अखाड़ों, खाक चौक, दंडीबाड़ा, आचार्यबाड़ा संग अन्य संस्थाओं के संत शामिल रहेंगे। मुख्यमंत्री ने इसकी जानकारी देने के साथ संतों का भी आह्वान किया। इसके लिए मेला प्रशासन की ओर से संतों को आमंत्रण भी भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने संतों को प्रधानमंत्री की सभा के लिए आमंत्रित किया।
रसूलाबाद नहीं अब लिखा जाए चंद्रशेखर आजाद घाट
नैनी में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने नालों की टैपिंग, एसटीपी के निर्माण, नालों एवं सीवर लाइन के गंदे पानी के शोधन आदि के बारे में भी जानकारी ली। इस दौरान जल निगम के अफसरों ने रसूलाबाद एसटीपी की भी फाइल दिखाई। इससे पहले समीक्षा बैठक में महापौर गणेश केसरवानी की ओर से मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई थी कि उनके निर्देश पर रसूलाबाद घाट का नामकरण चंद्रशेखर आजाद के नाम पर हो गया। ऐसे में मुख्यमंत्री फाइल में भी रसूलाबाद की जगह चंंद्रशेखर आजाद घाट लिए जाने का निर्देश दिया।
सीएम ने दिए संकेत...महाकुंभ के दौरान भी आएंगे पीएम
गंगापूजन करके महाकुंभ की शुरुआत ही प्रधानमंत्री नहीं करेंगे, वह महाकुंभ के दौरान भी आएंगे। मुख्यमंत्री ने मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों और भाजपा पदाधिकारियों के साथ बैठक के दौरान इसके संकेत दिए। कहा, पीएम स्वच्छताकर्मियों और महाकुंभ के आयोजन में लगे श्रमिकों को सम्मानित कर फिर बड़ा संदेश दे सकते हैं।
2019 में कुंभ की शुरुआत से पहले और कुंभ के दौरान भी प्रधानमंत्री आए थे। इस दौरान उन्होंने स्वच्छताकर्मियों के पांव पखारकर सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश दिया था। यह पूरा कार्यक्रम गोपनीय रखा गया था। लोग पीएम के मंच पर आने का इंतजार कर रहे थे कि अचानक पंडाल के अंदर लगी स्क्रीन पर उनके पांव पखारने के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण शुरू हो गया।
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों तथा भाजपा पदाधिकारियों संग बैठक में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने आयोजन को ऐतिहासिक बनाने की अपील के साथ नेताओं से सुझाव भी मांगे।
भाजपा नेता की गजब मांग...दलितों के पैर पखारें पीएम, सीएम बोले-यह महाकुंभ का कार्यक्रम
सीएम के सुझाव मांगने पर भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष रणजीत सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री को फिर दलित श्रमिकों के पांव पखारना चाहिए। उन्हें सम्मानित भी करना चाहिए। कुछ दूसरे नेताओं ने भी उनकी चर्चा को आगे बढ़ाया। तर्क दिया कि कुंभ-2019 में प्रधानमंत्री ने सफाईकर्मियों के पांव पखारकर स्वच्छता का अनोखा संदेश दिया था। इसकी विश्वव्यापी सराहना भी हुई थी। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह महाकुंभ का आयोजन है। अभी 13 दिसंबर की सभा को ऐतिहासिक बनाने के लिए सभी लोग जुट जाएं।