सिटी दर्पण
लखनऊ, 08 नवंबर:
नवंबर महीने की शुरुआत हुए लगभग एक सप्ताह से ज्यादा का दिन बीत चुका है, लेकिन अभी तक न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक है। मौसम विभाग का कहना है कि एक सप्ताह बाद यानि 15 नवंबर के बाद अधिकतम और न्यूनतम तापमान में तीन से चार डिग्री सेल्सियस तक गिरावट होने की संभावना है। लिहाजा, ठंड बढ़ेगी।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि अब धीरे-धीरे मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। दिन में भी ठंडी हवा चलेगी, जिससे अधिकतम तापमान में भी गिरावट होगी। 15 नवंबर के बाद रात के साथ दिन में भी सर्दी का एहसास होने लगेगा। फिलहाल, अगले एक सप्ताह तक तेज धूप होगी और मौसम भी साफ रहने के पूर्वानुमान हैं।
इस बार अधिक होगा ठंड का प्रकोप
मौसम विभाग की मानें तो इस बार ठंड का प्रकोप अधिक होगा। न्यूनतम तापमान में रिकॉर्ड गिरावट हो सकती है। इधर, दीपावली के बाद से लखनऊ समेत आसपास के जिलों में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बड़ा हुआ है। अगले कुछ दिन इससे राहत के आसार नहीं हैं।
गुलाबी ठंड से अस्थमा रोगियों की बढ़ी मुश्किल, अस्पतालों में लग रही कतार
संवाद सूत्र, गोंडा। गुलाबी ठंड शुरू होने के साथ ही सांस रोगियों की दुश्वारियां बढ़ने लगी हैं। सांस उखड़ने, अस्थमा और सीओपीडी अटैक के मरीज गंभीर स्थिति में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध बाबू ईश्वर शरण चिकित्सालय पहुंच रहे हैं। 50 से अधिक मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है।
गुलाबी ठंड की शुरुआत होने के साथ ही अस्पताल में मरीजों की तादाद में इजाफा हो गया है। सुबह से ही सांस रोगियों पर्चा बनवाने के लिए कतार में लग जाते हैं। दमा रोगी को सांस लेने व सांस बाहर छोड़ने में बहुत जोर लगाना पड़ता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि फेफड़ों की नलियों (जो वायु का बहाव करती हैं) की छोटी-छोटी तंतुओं (पेशियों) में अकड़न युक्त संकोचन पैदा होता है तो वायु (श्वास) की पूरी खुराक को अंदर पचा नहीं पाता है। जिस वजह से रोगी को पूरा सांस खींचे बिना ही सांस छोड़ देने को मजबूर होना पड़ता है।
इस अवस्था को दमा रोग कहा जाता है। दमा रोग की स्थिति तब अधिक बिगड़ जाती है जब रोगी को सांस लेने में बहुत दिक्कत आती है। दमा रोग से पीड़ित व्यक्ति को सास लेते समय हल्की-हल्की सीटी बजने की आवाज भी सुनाई पड़ती है।
मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉ. राकेश तिवारी ने कहा कि अस्थमा गंभीर बीमारी है। सुबह ठंड में बाहर निकलना दमा रोगियों के लिए नुकसानदेह है। सांस लेने वाली नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं।ये हैं लक्षण- खांसी, नाक बजना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ के लक्षण होते हैं। इस प्रकार की दिक्कत होने पर तत्काल चिकित्सक को दिखाएं।
गुलाबी ठंड में सांस रोगियों की संख्या बढ़ गई है। मेडिकल कालेज से संबद्ध बाबू ईश्वर शरण चिकित्सालय आने वाले रोगियों को उपचार मुहैया कराया जा रहा है।- डॉ. धनंजय श्रीकांत कोटास्थाने, प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज