पैन कार्ड को आधार से लिंक करने के बाद अब सरकार वोटर आईडी को भी आधार से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इस संबंध में चुनाव आयोग 18 मार्च को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करेगा, जिसमें इस प्रक्रिया को लागू करने के तरीकों पर चर्चा होगी।
क्यों जरूरी है वोटर आईडी और आधार लिंकिंग?
वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का उद्देश्य फर्जी मतदान को रोकना और मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी बनाना है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि एक व्यक्ति के पास एक ही वोटर आईडी हो और मतदान प्रक्रिया निष्पक्ष रहे। इसके अलावा, इस पहल से चुनावी धांधली को भी कम किया जा सकेगा।
कैसे होगी वोटर आईडी की आधार से लिंकिंग?
अगर चुनाव आयोग इस प्रस्ताव को मंजूरी देता है, तो मतदाताओं को अपने आधार कार्ड की जानकारी चुनाव आयोग के पोर्टल या निर्धारित केंद्रों पर देनी होगी। इसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से पूरा किया जा सकेगा। हालांकि, यह प्रक्रिया स्वैच्छिक होगी, जिससे नागरिकों को अपनी सुविधा के अनुसार इसमें भाग लेने का विकल्प मिलेगा।
चुनाव आयोग की बैठक पर नजर
18 मार्च को होने वाली बैठक में चुनाव आयोग इस प्रस्ताव पर विस्तार से विचार करेगा। इस दौरान मतदाता पहचान पत्र और आधार को लिंक करने की प्रक्रिया, संभावित चुनौतियाँ और कानूनी पहलुओं पर चर्चा होगी।
अगर यह प्रस्ताव पारित होता है, तो देश में मतदान प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने में मदद मिलेगी। अब सभी की निगाहें 18 मार्च की बैठक पर टिकी हैं, जहां इस महत्वपूर्ण निर्णय पर अंतिम मुहर लग सकती है।