लखनऊ, 12 मार्च:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 21वीं सदी भारत की सदी है, और पूरी दुनिया इसकी ओर आशाभरी निगाहों से देख रही है। भारत न केवल आर्थिक रूप से तेजी से उभर रहा है, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक परंपराओं को भी पुनर्स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि नया भारत आस्था का सम्मान करना जानता है और वैश्विक कल्याण की दिशा में अग्रसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को वैश्विक मंच पर सम्मान और स्वीकृति मिल रही है।
मुख्यमंत्री ने प्रयागराज महाकुंभ 2025 के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह आयोजन दुनिया को सनातन धर्म की वास्तविकता से परिचित कराने का सशक्त माध्यम बना है। महाकुंभ ने भारत की आध्यात्मिक शक्ति और सांस्कृतिक विरासत की झलक पूरी दुनिया को दिखा दी है। इस आयोजन ने भारत की समृद्ध परंपराओं और धार्मिक समरसता को साक्षात रूप से प्रस्तुत किया है, जहां देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे।
हिन्दी साप्ताहिक 'पाञ्चजन्य' और अंग्रेजी साप्ताहिक 'ऑर्गेनाइज़र' द्वारा आयोजित 'मंथन: महाकुंभ एंड बियॉन्ड' कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुंभ के आयोजन ने उत्तर प्रदेश को विश्व पटल पर प्रस्तुत करने का ऐतिहासिक अवसर प्रदान किया। दुनिया भर से आए पर्यटकों और श्रद्धालुओं ने इस अनोखे धार्मिक आयोजन को नज़दीक से देखा और सराहा। महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की हजारों वर्षों पुरानी परंपरा का प्रतीक है, जिसने जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म के प्रति श्रद्धा और आस्था रखना आवश्यक है। उन्होंने महाकुंभ 2019 को स्वच्छता के लिए यादगार बताते हुए बताया कि 2025 के महाकुंभ को डिजिटल तकनीक से जोड़ा गया, जिससे आयोजन अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित बना। डिजिटल खोया-पाया केंद्र की मदद से 54,000 बिछड़े हुए लोगों को उनके परिवार से मिलाया गया, और डिजिटल टूरिस्ट मैप के माध्यम से श्रद्धालुओं को सुगम मार्गदर्शन प्रदान किया गया। इसके अलावा, महाकुंभ में 1.5 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया, जिन्हें बारकोड सिस्टम से जोड़ा गया।
उन्होंने बताया कि भाषिणी ऐप के माध्यम से महाकुंभ की जानकारियां 11 अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराई गईं। 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान था, जिसमें पहले तीन अमृत स्नानों में 3.5 से 5 करोड़ तथा अन्य स्नानों में 1 से 2 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे। पौष पूर्णिमा पर 1 करोड़ लोगों ने, मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ लोगों ने और मौनी अमावस्या पर 15 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 45 दिनों तक चले महाकुंभ 2025 में कुल 66.3 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आयोजन बन गया। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि 2019 में यूनेस्को ने प्रयागराज कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया था और इस बार यूनेस्को के डायरेक्टर स्वयं इस आयोजन का हिस्सा बने।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आस्था को अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए भी प्रयासरत है। महाकुंभ के आयोजन से प्रयागराज के विकास को गति मिली है और ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित किया गया है। महर्षि भारद्वाज के नाम पर एक नया कॉरिडोर बनाया गया है, अक्षयवट को श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है और श्री बड़े हनुमान मंदिर से जुड़ा एक नया कॉरिडोर तैयार किया गया है। इसके अलावा, श्रृंगवेरपुर, नागवासुकी और भगवान बेनीमाधव से जुड़े स्थलों का भी पुनरुद्धार किया गया है।
भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के प्रयासों का उल्लेख किया, जिसके अंतर्गत कानपुर के सीसामऊ नाले को पूरी तरह से बंद कर एक पर्यटन स्थल में बदल दिया गया।
उन्होंने कहा कि 2024 में राम मंदिर का भव्य उद्घाटन हुआ, 2025 में महाकुंभ का ऐतिहासिक आयोजन हुआ और भविष्य में इसी तरह के अनेक कार्य देखने को मिलेंगे। सम्भल के 68 तीर्थस्थलों में से 18 की पहचान हो चुकी है, 19 कूपों की खुदाई जारी है, और पहली बार शिव मंदिर में जलाभिषेक संभव हो सका है। मथुरा-वृंदावन के विकास के लिए भी बजट में प्रावधान किया गया है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, 'पाञ्चजन्य' के संपादक हितेश शंकर, 'ऑर्गेनाइजर' के संपादक प्रफुल्ल केतकर और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।