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संपादकीय

कोविड -19 संकट से निपटने के लिये बड़े पैमाने पर सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन लाने की आवश्यकता हैः भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक

June 02, 2021 09:40 PM

जी हैं यह पूरी तरह से सच है कि हमें मौजूदा हालात से निबटने के लिए बड़े स्तर पर सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। हमें सबसे पहले तो उस नकारात्मक सोच को दूर करना होगा जिसमें हम यह मान कर बैठ जाते हैं कि उक्त बीमारी लाइलाज है, इससे हम बच नहीं सकते। मेरा कहने का मतलब यह भी नहीं है कि हम अपनी सकारात्मक सोच और व्यवहार के जरिए इस भयानक बीमारी को नजरंदाज करना शुरु कर दें। मेरा कहने का तात्पर्य है कि हमें अपनी सोच में सकारात्मक भाव न केवल पैदा करने होंगे बल्कि इनका ज्यादा से ज्यादा प्रचार और प्रसार भी करना होगा ताकि कोरोना से पीड़ित उन रोगियों को भरपूर हौसला दे सकें दो यह मान कर हारे हुए महसूस करते हैं कि अब उनसे हाथ से जिंदगी धीरे धीरे फिसलती जा रही है और वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
हमारे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मौजूदा हालात संकट से भरे हैं। हम सब जानते हैं कि कोविड-19 क्या है और इसका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है और पड़ रहा है और आगे कब तक पड़ता रहेगा। बावजूद इन सच्चाईयों के हमें कभी भी हौसला नहीं हारना चाहिए। हमें फख्र होना चाहिए अपने वैज्ञानिकों पर जिन्होंने कई दशकों में तैयार होने वाले कोरोना के टीके को महज कुछ महीनों में ही तैयार करके उन्हें आम जनता को बतौर बचाव लगाना भी शुरु कर दिया है और जिसके काफी अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। इस वायरस से बचने के लिए पूरे विश्व में बड़ी गंभीरता से रिसर्च चल रही है रोजाना हमारे वैज्ञानिक कभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं तो कभी किसी निष्कर्ष पर। हमें उन पर तो विश्वास करना ही होगा इसके साथ साथ हमें अपने आप पर यकीन करना होगा अपनी सरकारों पर, अपने डाक्टरों पर, प्रशासन के नुमाइंदों पर, कानून व्यवस्था कायम करने वाले वर्दीधारी भाइयों पर और अपने सगे संबंधियों और रिश्तेदारों व हितैषीयों पर कि वे इस संकट की घड़ी में सब हमारे साथ हैं। जहां एक ओर हमें इन सब पर विश्वास करना होगा तो वहीं हमें अपने उन कर्तव्यों का भी पालना करना होगा जिससे कि मानव जाति को बचाया जा सके। हमें इस बीमारी से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों को बखूबी पालना करनी होगा। हमें सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क का प्रयोग, हाथ बार बार धोना आदि को अपने दैनिक कार्यों में प्राथमिकता के साथ लागू करना होगा। यह सब तभी संभव है गर हमारी सोच साकारात्मक होगी।
हमें अपनी सोच में नकारात्मक विचारों को निकाल फेंकना होगा क्योंकि ये न केवल आपका मनोबल तोड़ते हैं बल्कि आपको किसी बीमारी से लड़ने के लिए ताकत जुटाने से भी रोकते हैं। ये आपके अंदर एक छिपा हुआ भय पैदा करते हैं जो भय आपको अंदर ही अंदर खाता जाता है। आपको बीमारी से डरना चाहिए मगर इतना भी नहीं कि इसका मुकाबला ही करने का इरादा छोड़ दें। हम सब को इसका डट कर मुकाबला करना है। यह सच है कि हाल ही के कुछ महीनों में हम से कई बड़ी गल्तीयां हुई हैं। इन में कुछ धार्मिक और राजनीतिक सामूहिक आयोजन शामिल हैं। जिन्हें समय के रहते टाला जा सकता था, मगर नही किया गया। वजह भले ही कुछ भी रही हो। मगर हुआ यह काफी गलत। गुजरात के साणंद के नवापुरा गाँव में जलाभिषेक करने हेतु कलश यात्रा के लिये महिलाओं के झमगट, पुलिस संरक्षण में हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन, जिसमें लाखों लोग गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाते पाये गये और पांच राज्यों की विधान चुनावों की बड़ी रैलियों के दौरान लाखों की तादाद में भीड़ जिन पर भारतीय चुनाव आयोग भी मौन रहा रोके जा सकते थे ये सब तब हुए जब कोरोना की दूसरी लहर मूंह फाड़े हमारा इंतजार कर रही थी। नतीजतन पूरे देश को इसका फल मिला। हजारों की संख्या से कोरोना पीड़ित लाखों में पहुंच गये। हजारों मौत के मूंह में चले गये और आज भी सैकड़ों जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
खैर अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। गर हम आज भी समझ जायें तो करोड़ों जिंदगीयों को आज भी बचा सकते हैं। जो रह गये हैं उनका ख्याल रखना शुरु करें। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर झूठी खबरों को देखना बंद करें क्योंकि ये आपको गलत जानकारी देकर आपको गुमराह करती हैं। आम समय से पहले ही घबरा जाते हैं और वह कर बैठते हैं जो आपको नहीं करना है। आपको कोरोना गर हो भी जाता है तो कतई घबरायें नहीं तुरंत डाक्टर की सलाह लें जैसे जैसे वे आपको गाइड करते हैं ठीक वैसा वैसा करते जायें। अपने रहने , खाने और बाहर अंदर आने जाने के तौर तरीकों में बदलाव लायें। सदैव पॉजीटिव ही सोचें। एक दूसरे की जितनी मदद हो सकती है मदद करें, जिसे पैसा चाहिए उसकी पैसे से जिसे खाना चाहिए उसकी खाने से और जिसे आपकी जरूरत हो वहां स्वयं जा कर उसकी सेवा करें। आज हमारा देश केवल कोरोना से ही नहीं बल्कि इसकी वजह से बुरी अर्थव्यवस्था के दौर से भी जूझ रहा है। कई उद्योग बंद हो गये हैं लोगों का व्यापार छिन गया है युवा कामगार बेरोजगार हो गये हैं दिहाड़ीदार दिहाड़ी नहीं लगा पा रहे हैं। कई लोगों की तो भूखों मरने की नौबत आ गई है हो सके तो हर किसी का सहारा बनने का प्रयास करें। क्योंकि आज आपको देश की नहीं बल्कि देश को आपकी जरूरत है। आप और हम सब मिल कर देश की हर तरह से सुरक्षा के लिए आगे आयें इस भयावह बीमारी को तो भगायें ही साथ में देश की खुशहाली और तरक्की के लिए भी उपयुक्त कदम उठायें उम्मीद है हम सब मिल कर अपने सामाजिक व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लायेंगे और देश को प्रगित के मार्ग पर पुन: ले कर जायेंगे।

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