सिटी दर्पण
जल्तलीकट्मिटू(तमिलनाडु), 14 जनवरीः
तमिलनाडु में तीन दिवसीय लोकप्रिय जल्लीकट्टू की शुरुआत हो गई है। मदुरै के अवनियापुरम गांव में मंगलवार को आयोजित पहले दिन के कार्यक्रम में 825 बैल और 900 खिलाड़ी शामिल हुए। इस दौरन बैलों को काबू करते समय सींग लगने से एक युवक की मौत हो गई और कम से कम 10 लोग घायल हो गए। जल्लीकट्टू, बैलों को काबू करने का एक पारंपरिक खेल है। पोंगल के अवसर पर इसका आयोजन होता है।
इस दौरान जैसे ही चंदन से लेपित बैल प्रवेश द्वार ‘वादीवासल’ से बाहर निकले, उत्साही युवकों ने एक के बाद एक बैल की कूबड़ को पकड़कर उन पर काबू पाने की पूरी कोशिश की। इस दौरान दर्शकों का उत्साह भी देखते ही बन रहा था। कुछ खिलाड़ियों और बैलों के मालिक के बीच मामूली झड़प भी देखने को मिलीं। अवनियापुरम के बाद 15 और 16 जनवरी को जल्लीकट्टू क्रमशः मदुरै के पालामेडु और अलंगनल्लूर में आयोजित किया जाएगा।
मलयंदी ने जीता ट्रैक्टर, कार्तिक ने कार
एक बयान में कहा कि गया कि बैल के मालिक मलयंदी को कई बैलों को सफलतापूर्वक चकमा देने के लिए सर्वश्रेष्ठ चुना गया तथा प्रथम पुरस्कार के रूप में एक ट्रैक्टर दिया गया। वहीं, 19 बैलों को काबू में करने वाले कार्तिक को प्रथम पुरस्कार के रूप में एक कार मिली। अवनियापुरम के एक युवा रंजीत कुमार ने एक खूंखार बैल को गले लगाने के लिए 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार जीता। इसके अलावा, विजेताओं की अन्य श्रेणी के लिए पुरस्कार वितरित किए गए, जिसमें एक मोटरसाइकिल शामिल है।
जल्लीकट्टू क्यों मनाया जाता है?
जल्लीकट्टू का आयोजन तमिलनाडु में पोंगल के त्योहार पर किया जाता है। तकरीबन 2500 साल पहले इस खेल को शुरू किया गया था और इसे तमिलनाडु की संस्कृति का पर्व माना जाता है। तमिल के दो शब्द जली और कट्टू से मिलकर जल्लीकट्टू बना है। जली का अर्थ सिक्के और कट्टू सांड के सींग को कहा जाता है। पोंगल का पर्व फसल की कटाई से जुड़ा है और फसल में बैलों का इस्तेमाल काफी होता है, इसलिए उन्हें संरक्षित करने का भाव बढ़ाने के लिए भी जल्लीकट्टू का आयोजन किया जाता है। इस खेल में सांडों के सींगों में सिक्कों की थैली बांधकर उन्हें भीड़ के बीच छोड़ दिया जाता है। जो प्रतिभागी एक निश्चित समय में इस सांड के सींगों पर बंधी सिक्कों की थैली को खोल लेता है, उसे विजेता माना जाता है।