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उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री ने ‘महाकुम्भ महासम्मेलन’ को सम्बोधित किया

January 08, 2025 07:26 PM
भारत के ऋषि-मुनियों ने सदैव ज्ञान की धारा का प्रतिनिधित्व करते हुए देश को आगे बढ़ने की नई प्रेरणा प्रदान की : मुख्यमंत्री
 
महाकुम्भ व कुम्भ से ज्ञान परम्परा आगे बढ़ी
 
प्रधानमंत्री जी ने विरासत व विकास के नए प्रतिमानों को स्थापित  किया, महाकुम्भ उन्हें नई ऊंचाई प्रदान करने का सशक्त माध्यम
 
महाकुम्भ के दृष्टिगत केन्द्र व राज्य सरकार ने मिलकर अनेक प्रबन्ध किए
 
सनातन हमेशा शिखर पर रहा, इसलिए सनातन है
 
हिंदू एकता और राष्ट्रीय एकता एक दूसरे के पूरक
 
महाकुम्भ हिंदू एकता व राष्ट्रीय एकता को नई ऊंचाई के साथ वैश्विक मंच तक प्रस्तुत करने में सफल होगा
 
यदि किसी का पहले से किसी जगह पर उपासना स्थल, तो उसका सम्मान होना चाहिए, किसी के भी उपासना स्थल को तोड़कर, कोई
जबरन अपना स्थल बनाने का प्रयास करे तो उसकी निंदा होनी चाहिए
 
विवादों के समाधान का रास्ता हमें आगे बढ़ाना चाहिए
 

लखनऊ, 08 जनवरी:  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि भारत के ऋषि-मुनियों ने सदैव ज्ञान की धारा का प्रतिनिधित्व करते हुए देश को आगे बढ़ने की नई प्रेरणा प्रदान की। कुम्भ, महाकुम्भ के आयोजन भारत की इसी ज्ञान परम्परा को आध्यात्मिक, धार्मिक व सांस्कृतिक रूप में आगे बढ़ाने का कार्य करते रहे हैं। वर्तमान में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में विरासत और विकास के अद्भुत संगम के रूप में कुम्भ और महाकुम्भ के आयोजन आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री जी ने विरासत व विकास के जिन नए प्रतिमानों को स्थापित किया है, महाकुम्भ उसको नई ऊंचाई प्रदान करने का एक सशक्त माध्यम है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क द्वारा आयोजित ‘महाकुम्भ महासम्मेलन’ में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत के सनातन धर्म की परम्परा दुनिया की सबसे प्राचीन परम्परा है। इसकी तुलना किसी मत, मजहब या सम्प्रदाय से नहीं हो सकती है। परम्परा जितनी प्राचीन होगी, स्वाभाविक रूप से उसके आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन भी उतने ही प्राचीन होंगे। हजारों वर्षों की विरासत हमारे पास है, जिससे पूरे देश में अलग-अलग अवसरों पर हम अपने पर्व और त्योहारों के माध्यम से जुड़ते और सहभागी बनते आये हैं। कुम्भ और महाकुम्भ के आयोजन भारत के इसी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम का एक महासमागम और महापर्व हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज से 06 वर्ष पूर्व प्रयागराज कुम्भ के साथ जुड़ने का हमें सौभाग्य प्राप्त हुआ था। इस वर्ष आयोजित होने जा रहे प्रयागराज महाकुम्भ में 144 वर्षों के बाद ऐसा शुभ मुहूर्त बन रहा है, जिससे जुड़ने को देश व दुनिया लालायित है। प्रयागराज महाकुम्भ-2025 देश व उत्तर प्रदेश के लिए एक अद्भुत अवसर है। प्रधानमंत्री जी ने विगत 13 दिसम्बर को महाकुम्भ के आयोजन के कार्यों के शुभारम्भ अवसर पर कहा था कि ‘यह महासमागम जाति, पंथ और अस्पृश्यता के भेदभाव को समाप्त कर देता है। दुनिया देख सकेगी कि महाकुम्भ में जातिवाद, क्षेत्रवाद, मत और मजहब के भेदभाव की कोई जगह नहीं है।’
महाकुम्भ के दृष्टिगत केन्द्र व राज्य सरकार ने मिलकर अनेक प्रबन्ध किए हैं। महाकुम्भ में सारी तैयारियां रहेंगी। लोग श्रद्धाभाव से त्रिवेणी में डुबकी लगाने आएं। लोगों को प्रयागराज में बहुत कुछ देखने को मिलेगा और नए प्रयागराज के दर्शन होंगे। प्रयागराज देश की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। कुम्भ को यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है। आज हम इस विरासत को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया के साथ जुड़ रहे हैं। महाकुम्भ का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न करना, यह उनके और पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सनातन तो हमेशा शिखर पर ही रहा है, इसलिए सनातन है। महाकुम्भ भारत की आध्यात्मिक विरासत का मजबूत प्लेटफार्म है, जो राष्ट्रीय एकता को एक नई ऊंचाई के साथ वैश्विक मंच तक प्रस्तुत करने में सफल होगा। हम सभी को एकता के साथ आगे बढ़ना होगा। वर्ष 2017 से पूर्व उत्तर प्रदेश में लोगों का पलायन होता था। उत्तर प्रदेश से आज अपराधी, माफिया व देशद्रोही तत्व पलायन कर रहे हैं। अब उत्तर प्रदेश से यहां का नागरिक पलायन नहीं करता है। भारत को समृद्ध, सुरक्षित व शक्तिशाली बनाने के लिए हमें जाति, मत व मजहब में न बंट कर मिलकर कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आध्यात्मिक साधनारत लाखों पूज्य संत, ऋषि-मुनि महाकुम्भ से जुड़ रहे हैं। महाकुम्भ में हमें दिव्य शक्तियों के भी दर्शन होंगे। हमारा सौभाग्य है कि वह महाकुम्भ से जुड़ रहे हैं और हमें उनकी सेवा करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। भारत को वास्तविक रूप से समझने के लिए भारत की आध्यात्मिक परम्परा को समझना होगा, जिसमें श्रीराम, श्री कृष्ण, भगवान शिव व शक्ति की परम्परा शामिल हैं। जो इस परम्परा के प्रति श्रद्धावनत होगा, वही भारत को जान पाएगा।
भारत की आध्यात्मिक विरासत केवल उपासना विधि तक सीमित नहीं है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने उपासना विधि को ज्ञान की धारा के साथ जोड़ा है। ज्ञान की धारा के बारे में ऋषिगण ‘आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’ की प्रेरणा देते रहे हैं। अर्थात ज्ञान जहां कहीं से भी आए, उसके लिए अपने द्वार खुले रखो। ऋषि-मुनियों ने आध्यात्मिक व धार्मिक कारणों से अपनी परम्पराओं को आयोजनों के साथ जोड़ा। देवासुर संग्राम के बाद अमृत की बूंदे पवित्र प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक त्रयंबकेश्वर पर पड़ीं। इस स्थान पर यह महाआयोजन होते आए हैं। यह महाआयोजन भारत के ज्ञान की समृद्ध आध्यात्मिक परम्परा के चिंतन-मनन के अवसर थे। इन महत्वपूर्ण स्थलों पर पूरे भारत के ऋषि-मुनि एकत्र होकर भारत की उस समय की परिस्थितियों पर चिंतन करके एक नई दिशा देने का कार्य करते थे।
इस प्रकार के अनेक उदाहरण भारतीय परम्परा में देखने को मिलते हैं। 5,500 वर्ष पहले भी इसी प्रकार के महासमागमों का उल्लेख हमें देखने को मिलता है। उस समय के भारत की आध्यात्मिक विरासत आज वैदिक ज्ञान की परम्परा के स्रोत के रूप में हमें देखने को मिलती है। वैदिक ज्ञान को अक्षुण्ण रखने के लिए उसे स्मृतियों के रूप में लिपिबद्ध करने का कार्य किया गया। 5,000 वर्ष पूर्व भगवान वेदव्यास ने चारों वेदों को संहिता का रूप दिया। आज से 3,500 वर्ष पूर्व नैमिषारण्य में ऐसे ही एक महाचिंतन शिविर का आयोजन हुआ था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सनातन धर्म बहुत व्यापक व विराट है। सनातन धर्म जैसी धर्मिक स्वतंत्रता दुनिया का कोई अन्य मत व मजहब नहीं दे सकता। धर्मपूर्ण कार्य के लिए व्यक्ति का नैतिक होना आवश्यक है। हमें अपने विराट व्यक्तित्व का परिचय देना होगा। फूट डालने व विरासत को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से हमें सजग रहना होगा। डॉ0 राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि यदि भारत को समझना है तो श्रीराम, श्री कृष्ण व भगवान शंकर को पढ़ो। उनका अनुसरण करो। भगवान श्रीराम उत्तर से दक्षिण, भगवान श्री कृष्ण पूर्व से पश्चिम को जोड़ने वाले हैं और द्वादश ज्योतिर्लिंग के माध्यम से शंकर भगवान सम्पूर्ण भारत को जोड़ते हैं। सच्चा समाजवादी सम्पत्ति व संतति से दूर रहे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाबा साहब डॉ0 भीमराव आम्बेडकर ने संविधान का ड्राफ्ट तैयार करके संविधान सभा को सौंपा था, जिसे 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा ने अंगीकार किया था। भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को पूरे देश में लागू हुआ था। संविधान, न्याय व्यवस्था, लोकतंत्र के सम्मान की दिशा में हम सबको आगे बढ़ना चाहिए। माननीय उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि से जुड़े वर्षों के विवाद का सर्वसम्मत समाधान किया और विवाद हमेशा के लिए शांत हो गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश वक्फ़ अधिनियम में संशोधन किया है। 1359 फसली से लेकर अब तक के राजस्व अभिलेखों की जांच की जा रही है, जिसने भी वक्फ़ के नाम पर कब्जा किया है, उससे जमीन वापस ली जाएगी। उस वापस ली जमीन पर गरीबों के मकान बनेंगे, सार्वजनिक संस्थाएं, अस्पताल, अच्छे शिक्षण संस्थान बनाए जाएंगे। सम्भल में सर्वे का आदेश माननीय न्यायालय ने दिया था। केवल सर्वे का कार्य होना था, कोई अन्य कार्य नहीं। विगत 19 नवम्बर व 21 नवम्बर को सर्वे हुआ। 24 नवम्बर, 2024 को सर्वे होने जा रहा था, लेकिन वहां पर शरारत की गई, माहौल खराब किया गया। यह सबके सामने है।
भारत में 5,000 वर्ष से लेकर 3,000 वर्ष के बीच के कालखण्ड में विभिन्न पुराणों की रचना हुई। 5,000 वर्ष पूर्व भगवान वेदव्यास ने श्रीमद्भागवत पुराण की रचना की थी। श्रीमद्भागवत महापुराण व अन्य शास्त्र इस बात का उल्लेख करते हैं, कि संभल में श्री हरि विष्णु का दसवां अवतार कल्कि के रूप में अवतरित होगा। तिथि पहले से तय है। यह सब कुछ पहले से उल्लिखित है। संभल के बारे में सारी चीज पहले से तय हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वह किसी मत और मजहब के खिलाफ नहीं है। यदि किसी का पहले से किसी जगह पर उपासना स्थल है, तो उसका सम्मान होना चाहिए। किसी के भी उपासना स्थल को तोड़कर, कोई जबरन अपना स्थल बनाने का प्रयास करेगा तो उसकी निंदा होनी चाहिए। अपनी आने वाली पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य के लिए उसके खिलाफ समाज व समुदाय को खड़ा होना चाहिए। अन्याय का यदि हम प्रतिकार नहीं करेंगे, तो अन्याय सबका शोषण करेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कैसे एक-एक करके संभल का इस्लामीकरण हुआ। कैसे वहां पर पूरी तरह एक-एक चिन्ह नष्ट किए गए। सनातन परम्परा की विरासत से जुडे़ प्राचीनतम स्थलों को कैसे नष्ट किया गया। ताला बंद किया गया। कुएं-बावड़ियां पाट दिए गए। उन स्थानों पर घर बना दिए गए। वहां पर लगातार दंगे होते थे। पिछली सरकारें कुछ नहीं बोलती थीं।
वर्ष 1947 से लेकर वर्ष 2017 के पहले तक 209 हिंदुओं की हत्या हुई। वर्ष 1976 में 08 हिंदू निर्मम रूप से मार दिए गए। वर्ष 1978 में 184 हिंदुओं की सामूहिक हत्या की गई। एक भी अपराधी के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई। गरीबों के घर उजड़ गए। हिंदू बहन-बेटियों, व्यापारियों की सुरक्षा में सेंध लगाई गई। इन सब गलत कार्यों के जिम्मेदार लोगों को उजागर किया जाना चाहिए। यह चीजें सबके सामने आनी चाहिए। यदि कोई दरिंदा है। तो उसे सार्वजनिक रूप से जनता के सामने खड़ा किया जाना चाहिए। संभल में भी कहीं ना कहीं यह अलग-अलग कालखंड में यह दुर्दांत घटनाएं घटित हुईं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आईने अकबरी में इस बात का उल्लेख है कि मीर बाकी ने वर्ष 1528 में अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर को अपवित्र किया था और वर्ष 1526 में संभल में श्री हरि विष्णु के दसवें अवतार से जुड़ा हुआ श्री हरि के मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर एक मस्जिद नुमा ढांचा खड़ा करने का कार्य किया गया था। हमारे पास 5,000 वर्ष से अधिक पुराना इतिहास है। इस बात के प्रमाण हमारे पास हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पुराने जख़्म का उपचार होना बहुत आवश्यक है अन्यथा कैंसर हो जाता है। जख़्म का समाधान होना बहुत आवश्यक है। इस प्रकार के विवादों के समाधान का रास्ता हमें आगे बढ़ाना चाहिए। आईने अकबरी पुस्तक इस बात को प्रमाणित करती है कि यहां पर श्री हरि के मंदिर को तोड़कर कोई ढांचा खड़ा किया गया, तो लोग अपनी आत्मा को एक बार जोड़े देखें, उसको स्वीकार करें। बीमारी को समय रहते स्वीकार कर लेना चाहिए नहीं तो दिक्कत खड़ा करती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम 25 करोड़ जनता के हित के लिए कार्य करते हैं। अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता नहीं करते। लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है। जनार्दन के रूप में जनता बैठी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के हित में जो अच्छा होगा, प्रदेश की जनता उसी को आगे बढ़ाएगी।
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