सिटी दर्पण ब्युरो, श्रीनगर 16 जून 2021-एक ऐतिहासिक फैसले में 12,600.58 करोड़ रूपये का जिला कैपेक्स बजट 2021-22, जो पिछले वर्ष के बजट के दोगुने से अधिक है, को पंचायतों, बीडीसी और डीडीसी की सक्रिय भागीदारी के साथ जम्मू-कश्मीर के समान विकास के लिए आज 5134.40 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में यहां नागरिक सचिवालय में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान सभी 20 जिलों के ऐतिहासिक और अभूतपूर्व जिला कैपेक्स बजट को मंजूरी दी गई।
बैठक के दौरान जिला विकास परिषदों के 20 अध्यक्षों और सभी उपायुक्तों ने अपनी-अपनी जिला योजनाओं की संक्षिप्त जानकारी दी।
जिला कैपेक्स बजट की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि समुदाय की आवश्यकता-आधारित योजना जनता/पीआरआई की भागीदारी के माध्यम से तैयार की गई है,
जो लोगों के जीवन स्तर में तेजी से वृद्धि, स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर, बेहतर सड़कें, पीने योग्य पानी और बिजली, पर्यटन क्षमता, युवाओं को सशक्त बनाना और जनता की मांग के अनुसार अन्य प्राथमिकताओं का निर्धारण करने पर केन्द्रित है।
उपराज्यपाल ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक विकास, जमीनी स्तर पर सतत और समावेशी विकास, बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने और स्वास्थ्य और शैक्षणिक संस्थानों को मजबूत करके मानव पूंजी के विकास के लिए इष्टतम रणनीति बनाने के लिए बॉटम-अप दृष्टिकोण अपनाया गया है।
उपराज्यपाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एक नया सवेरा देख रहा है। पहली बार, विस्तृत विचार-विमर्श के बाद, पंचायती राज संस्थाओं और प्रशासन के सामूहिक प्रयासों से एक योजना तैयार की गई है। योजना प्रक्रिया में जनता और उनके प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी ने ग्राम पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर विकास योजनाओं के लिए एक मजबूत नींव रखी है।
उन्होंने कहा कि जिला योजना की तैयारी पंचायत स्तर पर शुरू हुई और बीडीसी के माध्यम से यह आखिरकार डीडीसी तक पहुंच गई।
उपराज्यपाल ने ऐतिहासिक जिला विकास योजना तैयार करने के लिए डीडीसी, बीडीसी, सरपंचों, पंचों, यूटी प्रशासन के अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि समुदाय आधारित योजना विकास कार्यों के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इस ऐतिहासिक कदम के साथ, त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली को जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में धन, कार्यों और पदाधिकारियों के माध्यम से और अधिक सशक्त बनाया गया है ताकि संसाधनों के कुशल एकत्रीकरण के माध्यम से लोगों की विकासात्मक जरूरतों को पूरा किया जा सके।
उपराज्यपाल ने उपायुक्तों को बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में कार्यान्वयन बाधाओं से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
उपराज्यपाल ने उपायुक्तों से कहा कि इस वर्ष किए गए 80 प्रतिषत से अधिक कार्यों को जनभागीदारी की सच्ची भावना और पीआरआई के माध्यम से 12 महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
उपराज्यपाल ने उपायुक्तों और पीआरआई को युवा जुड़ाव, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सुधार, स्वच्छ पेयजल/सिंचाई सुविधाओं के प्रावधान, बेहतर गतिशीलता, आजीविका सृजन और पर्यटन और खेल के बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। उन्होंने विकास कार्यों के बेहतर और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के अलावा, उपायुक्तों को जनता के साथ संपर्क बनाए रखने की सलाह दी।
उपराज्यपाल ने कहा “लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करना, उन्हें बेहतर और पारदर्षी षासन उपलब्ध करवाना केंद्र शासित प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है उन्होंने कहा कि कल्याणकारी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की जरूरत है।
पूर्व बैठकों में पारित निर्देशों को दोहराते हुए, उपराज्यपाल ने लोगों को ऑनलाइन सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के अलावा, लाभार्थी-उन्मुख और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, जिला योजनाओं के तहत कार्यों के विवरण के साथ जिलों की वेबसाइटों को अद्यतन करने के लिए उपायुक्तों को निर्देश दिये।
जिला योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने पर जोर देते हुए, उपराज्यपाल ने संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि प्रत्येक पंचायत को स्वीकृत योजनाओं की सूची और कार्यों के पूरा होने की तारीख प्रदर्शित करनी चाहिए।
उपराज्यपाल ने आगे बताया कि सरकार जिला मूल्यांकन ढांचा शुरू कर रही है जिसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा और जिलों के प्रदर्शन और उनकी रैंकिंग मासिक रूप से प्रकाशित की जाएगी। उन्होंने कहा कि हर जिले में प्रगति की मासिक समीक्षा के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाएगा।
बैठक में उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर और बसीर अहमद खान, मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता, वित्तीय आयुक्त स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग अटल डुल्लू, उपराज्यपाल के प्रधान सचिव नितीश्वर कुमार, प्रशासनिक सचिवों के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।