Friday, May 10, 2024
BREAKING
UN Report: भारत में दुनिया से आया सर्वाधिक पैसा, 111.22 अरब डॉलर की धनराशि मिली BJP ने जारी की अपने उम्मीदवारों की 19वीं लिस्ट KL Rahul को मैदान पर ही लताड़ने लगे LSG के मालिक संजीव गोयनका, सिर झुकाकर अपमानित होते रहे कप्तान Air India Express का बड़ा एक्शन, 25 कर्मचारियों को किया बर्खास्त; सैकड़ों कर्मचारियों की सामूहिक छुट्टी से उड़ानें प्रभावित दैनिक राशिफल 10 मई, 2024 रूस पहली बार परमाणु बम के साथ करेगा सैन्‍य अभ्‍यास, जानें क्‍या है टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन, दहशत में नाटो आरोप: कर्नाटक में अश्लील वीडियो वाले 25000 से अधिक पेन ड्राइव बांटे गए, पूर्व CM ने जताया साजिश का संदेह Haryana Politics: अल्पमत में होने पर भी नहीं गिरेगी हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार मायावती ने आकाश आनंद को BSP नेशनल कोओर्डिनेटर पद से भी हटाया, उत्तराधिकारी बनाने का फैसला भी वापस दैनिक राशिफल 09 मई, 2024

लेख

गरीब कौन ? : डॉ. दलेर सिंह मुल्तानी, सिविल सर्जन (सेवानिवृत्त)

January 02, 2022 12:46 PM

आम जनता के लिए गरीब होता है जिसकी जेब में पैसा नहीं होता मगर वास्तव में गरीब की परिभाषा कुछ और भी है।
गरीब वह होता है जिसका ज़मीर मर चुका हो..
गरीब वह होता है जिसके हाथ मेहनत करने के लिए बंधें हों..
गरीब वह होता है जो किसी की मदद न कर सके..
गरीब वह होता है जो ज्ञान बांट न सके..
गरीब वह होता है जो कुछ नया न कर सके..
याद रखो गरीब किसी धर्म जाति नसल करके गरीब नहीं होता बल्कि अपने कामों के चलते गरीब होता है। मैं स्वयं गांव से ताल्लुक रखता हूं और अपने शुरुआती तकरीबन 25 वर्ष गांव में ही बिताये हैं। पिता जी कृषि किया करते थे तथा कई बार पढ़ाई के साथ साथ कृषि में भी पिता जी का हाथ बंटाता रहा हूं। गांव में खास जाति के लोग अक्सर गांव से बाहर ही रहा करते थे उन्हें ठठ्ठी कहा जाता था भले ही आज समाज में उक्त जातिगत खाइयां दूर होती जा रही हैं और लोग मिलकर रहने लगे हैं। मगर मुझे याद है कि जो लोग खेतों में काम करने के लिए आते थे उनमें भी ज्यादातर काम महिलाएं ही करती थीं जबकि पुरुष  महिलाओं के प्रति कम काम करते थे। पुरुष खेतों के किनारों पर बैठ कर बीड़ी सिगरेट सुलगाते और आनंद लेते थे। पूछने पर जवाब मिलता था कि हमने कौन से महल खड़े करने हैं, खाने के लिए अनाज चाहिए और अन्य जरूरतों का सामान सरदार जी दे देते हैं। मतलब सोच केवल खाने पीने अथवा समय बिताने तक सीमित थी। यह जातिगत अंतर शहरों में भी कम हो चुका है मगर अब एक नया ट्रेंड शुरु हो गया है जिसमें खास करके सरकारें बहुत हद तक जिम्मेवार हैं। आप ने देखा होगा सबसे ज्यादा मुश्किल वाले काम सरकारें गरीब मजदूरों से करवाती हैं भले ही ये काम साफ-सफाई अथवा सीवरेज से संबंधित हों और वेतन अथवा मेहनताना भी उन्हें ही सब से कम दिया जाता है। इतना ही नहीं गरीब समाज में हाशिये पर इस लिए भी रहा है क्योंकि भाई ने भाई का ही शोषण किया है। सरकारों ने जो आरक्षण गरीबों को दिया है उसमें भी आरक्षण का लाभ वही गरीब उठा पाये जो या तो जागरूक थे या फिर पढ़े लिखे थे इन्होंने अपने साथी गरीबों को उक्त आरक्षण का लाभ न बता करके केवल इसे अपने परिवारों में ही पुरजोर भुनाया और अपने खानदानों को गरीबी की रेखा से ऊपर ले गये शेष ज्यादातर गरीब वर्ग आज भी सरकारों द्वारा चुनावों के दौरान घोषित आटा,दाल और चावल का मौहताज बन कर रह गया है। क्या सरकारें कभी उक्त गरीबों की बाट जोहेगी? गरीब की सदैव मदद करनी चाहिए भले ही वह किसी भी वर्ग, जाति, नसल और रंग-रूप से ताल्लुक रखता हो।
यहां मैं गरीबों के शोषण का जिम्मेवार सरकारों तथा अन्य कारणों के साथ साथ इन गरीबों को भी मानता हूं क्योंकि मैने 35 वर्ष स्वास्थ्य विभाग में बतौर विभिन्न पदों पर काम करके देखा है कि ये लोग सांस की बीमारी, चर्म रोग, कैंसर तथा रक्त की कमी आदि के रोगों को जानबूझ कर भी लगवा लेते हैं क्योंकि यह अपनी गरीबी को मजबूरी बता कर बीड़ी-सिगरेट तथा तंबाकू का सेवन खूब करते हैं और तो और शराब व भी घटिया क्वालिटी की इस्तेमाल करते हैं इतना ही नहीं ये लोग अपने स्वास्थ्य तथा सफाई का भी कम ही ख्याल रखते हैं नतीजा एक तो गरीबी ऊपर से बीमारी ये लोग नरक के गर्त में डूबते जाते हैं। गर इनका ज़रा सा कुछ बचा रह जाता है तो वह ज्यादा आनंद की चाह में बच्चे पैदा करके पूरा कर देते हैं जो इनकी तरक्की में एक बड़ा रोड़ा साबित होते हैं।
आज गर पंजाब की बिगड़ी हुई हालत पर नजर मारें तो पता लगेगा कि पंजाब का किसान मेहनत से भाग कर केवल नशे में नहीं फंसा बल्कि अपनी वित्तीय तथा शारीरिक हालत भी खराब करके बैठा हुआ है। एक समय ा जब पंजाब पैसे, स्वस्थ्य और बहादुरी को लेकर पूरे विश्व में प्रसिद्ध था और समूचे देश का नंबर वन राज्य माना जाता था। आज हालात बिलकुल उल्ट हैं।
ऊपरोक्त चर्चा के बाद हम कह सकते हैं कि आजका गरीब अपनी जाति, धर्म, नसल अथवा रंग रूप के कारण नहीं बल्कि अपने कर्मों के कारण है।
गर समाज में गरीबी को समूल हटाना है तो
सरकारों को मुफ्तखोरी, नौकरियों में आरक्षण तथा मजदूरों के वेतन, किसानों की सेहत तथा शिक्षा आदि पर पुन: गौर करते हुए अपनी नितियों पर एक बार फिर से विचार करना होगा। ताकि समय के रहते गरीबी को हटाया जा सके न कि गरीबी हटाओ के नारे सिर्फ नारों तक ही सीमित रह जायें।

Have something to say? Post your comment

और लेख समाचार

रूसी शासन की निशानियां मिटा रहा यूक्रेन:नागरिकों ने देश में बने सोवियत काल के 60 स्मारक तोड़े, इसमें रेड आर्मी कमांडर की मूर्ति शामिल

रूसी शासन की निशानियां मिटा रहा यूक्रेन:नागरिकों ने देश में बने सोवियत काल के 60 स्मारक तोड़े, इसमें रेड आर्मी कमांडर की मूर्ति शामिल

जमीन के धधकते 'पाताल' से बाहर लौटा वैज्ञानिक, जो बताया वह जानकर दंग रह जाएंगे

जमीन के धधकते 'पाताल' से बाहर लौटा वैज्ञानिक, जो बताया वह जानकर दंग रह जाएंगे

सूरत डायमंड बोर्स का आज इनॉगरेशन करेंगे मोदी:ये दुनिया का सबसे बड़ा ऑफिस कॉम्प्लेक्स, डायमंड मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग का वन-स्टॉप हब

सूरत डायमंड बोर्स का आज इनॉगरेशन करेंगे मोदी:ये दुनिया का सबसे बड़ा ऑफिस कॉम्प्लेक्स, डायमंड मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग का वन-स्टॉप हब

जब दुनिया के सबसे छोटे कद के शख्स से मिला विश्व का सबसे लंबा आदमी, कमाल का था नज़ारा

जब दुनिया के सबसे छोटे कद के शख्स से मिला विश्व का सबसे लंबा आदमी, कमाल का था नज़ारा

जब सऊदी प्रिंस ने अपने 80 बाजों के लिए बुक कर ली थी फ्लाइट, पक्षियों के लिए बनवाया था पासपोर्ट

जब सऊदी प्रिंस ने अपने 80 बाजों के लिए बुक कर ली थी फ्लाइट, पक्षियों के लिए बनवाया था पासपोर्ट

चीन में भीषण ट्रेन हादसा, भारी बर्फबारी के कारण टकराईं दो मेट्रो; 515 लोग घायल

चीन में भीषण ट्रेन हादसा, भारी बर्फबारी के कारण टकराईं दो मेट्रो; 515 लोग घायल

देश में निरंतर बढ़ती असमानता के लिए देश के नेता, कर्मचारी और हम सब लोग बराबर के जिम्मेदार : डॉ. दलेर सिंह मुल्तानी, सिविल सर्जन (सेवानिवृत्त)

देश में निरंतर बढ़ती असमानता के लिए देश के नेता, कर्मचारी और हम सब लोग बराबर के जिम्मेदार : डॉ. दलेर सिंह मुल्तानी, सिविल सर्जन (सेवानिवृत्त)

आओ अपने आयुर्वेद को जानें -4 : डॉ. राजीव कपिला

आओ अपने आयुर्वेद को जानें -4 : डॉ. राजीव कपिला

संघीय भारत के समक्ष बढ़ती चुनौतियाँ : सुभाष गोयल, समाज सेवक एवं एम.डी.वर्धान आर्युवेदिक आर्गेनाइजेशन

संघीय भारत के समक्ष बढ़ती चुनौतियाँ : सुभाष गोयल, समाज सेवक एवं एम.डी.वर्धान आर्युवेदिक आर्गेनाइजेशन

आओ अपने आयुर्वेद को जानें -3: डॉ. राजीव कपिला

आओ अपने आयुर्वेद को जानें -3: डॉ. राजीव कपिला