अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर हरजोत बैंस ने मातृभाषा को पहचान और संस्कृति की जीवनरेखा कहा
चंडीगढ़, 21 फरवरी:
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर पंजाब के उच्च शिक्षा और भाषा मंत्री स. हरजोत सिंह बैंस ने राज्य के लोगों से अपने रोज़ाना जीवन में पंजाबी भाषा को पूरी तरह अपनाने की प्रबल अपील की है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा पहचान, शिक्षा, संस्कृति और टिकाऊ विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ज्ञान साझा करने और सांस्कृतिक विरासत को संजोने के लिए संचार का मुख्य साधन के रूप में कार्य करती है।
पंजाबी भाषा की अमीर विरासत का उल्लेख करते हुए कैबिनेट मंत्री ने भाषा विभाग को पंजाबी भाषा को और ऊंचा उठाने के उद्देश्य से और पहलों की शुरुआत करने के लिए भी कहा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मातृभाषा में प्राप्त ज्ञान समझने में आसान और दीर्घकालीन होता है, जो प्रभावशाली शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा उन्होंने भाषा और संस्कृति के बीच गहरे संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि मातृभाषा रीति-रिवाजों, कहानियों और ऐसी पहचान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो किसी भी समुदाय की साझा और एकता की मुख्य आवश्यकता है।
मातृभाषा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार की पहलों के बारे में बताते हुए स. बैंस ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पंजाबी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहलें की गई हैं, जिसमें सर्वाेत्तम साहित्यिक पंजाबी पुस्तक पुरस्कार स्कीम भी शामिल है, जिसके तहत 2020-2024 के बीच विभिन्न श्रेणियों में 48 पुरस्कार वितरित किए गए। उन्होंने बताया कि 23 पंजाबी साहित्यिक सभाओं को साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए वित्तीय सहायता दी गई। उन्होंने बताया कि जिला भाषा दफ्तरों में पंजाबी साहित्य रचना/कविता गायन प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम भी आयोजित किए गए और जालंधर और लुधियाना में राज्यस्तरीय प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। कैबिनेट मंत्री ने बताया कि लगभग 164 साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें साहित्यिक कार्यशालाएं, रू-ब-रू कार्यक्रम और त्रिभाषी कवि दरबार शामिल हैं। राज्य सरकार ने नवंबर 2023 और 2024 में पंजाबी माह भी मनाया, जिसमें राज्य भर में 50 समागमों की मेज़बानी की गई। इसके अलावा, जिला भाषा दफ्तरों में पंजाबी बाल साहित्य क्विज़ प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम भी आयोजित किए गए और लुधियाना और कपूरथला में राज्यस्तरीय प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं।
शिक्षा मंत्री ने पंजाबी भाषा को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) के साथ जोडऩे के लिए की गई महत्वपूर्ण पहलों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वर्कशापों की एक श्रृंखला शुरू की गई, जिसमें दो एकदिवसीय सैशन और दो-दिवसीय गोष्ठी की गई। उन्होंने बताया कि इस परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र के प्रसिद्ध विशेषज्ञों से परामर्श किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन वर्कशापों का उद्देश्य लेखकों, विद्यार्थियों और पंजाबी हितैषियों को प्रशिक्षण प्रदान करना है ताकि वे ए.आई.-पावर्ड पंजाबी भाषा के टूल्स के विकास में योगदान दे सकें।
डिजिटल युग का साथी बनने के लिए की गई पहलों के बारे में जानकारी देते हुए कैबिनेट मंत्री ने बताया कि भाषा विभाग ने अपनी लाइब्रेरी की 1,25,000 किताबों को डिजिटाइज करने के लिए एक व्यापक परियोजना शुरू की है, जिसमें पंजाबी, हिंदी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेजी सहित विभिन्न शैलियों और भाषाओं की किताबें शामिल हैं। इस पहल का उद्देश्य पाठकों को डिजिटल किताबों की विशाल श्रेणी प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा तैयार की गई वेबसाइट पंजाबी और दुनिया भर के क्लासिक साहित्य को पंजाबी प्रेमियों के लिए उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा, इस वेबसाइट पर कई प्रकार के शब्दकोश और शब्दावली भी उपलब्ध करवाई जा रही है।