-कुष्ठ रोग जागरूकता दिवस पर कहा
- 13 फरवरी तक चलेगा जागरूकता अभियान : स्वास्थ्य मंत्री
- हरियाणा में कुष्ठ रोगियों का होता है मुफ़्त ईलाज
चंडीगढ़ , 30 जनवरी - हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री कुमारी आरती सिंह राव ने घोषणा की कि हरियाणा को कुष्ठरोग मुक्त प्रदेश बनाएंगे , इसके लिए आज से कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान शुरू किया गया है जो कि 13 फरवरी तक चलेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों का निःशुल्क ईलाज किया जाता है।
आज कुष्ठ रोग जागरूकता दिवस के अवसर पंचकूला जिला के गांव खड़ग मगोली में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया जिसमें इसी गांव के 3 कुष्ठ रोगियों को सम्मानित किया गया तथा लोगों से कुष्ठ रोगियों के साथ भेदभाव न करने की शपथ भी दिलवाई गई।
स्वास्थ्य मंत्री कुमारी राव ने कुष्ठ रोग जागरूकता दिवस के अवसर पर प्रदेश के लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि कुष्ठरोग न तो ईश्वर का श्राप है न ही पिछले जन्मों के पापों का फल।
उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को इस अवसर पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि महात्मा गाँधी कुष्ठ रोगियों के प्रति दयालु थे और उनका मानना था कि कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं करना चाहिए। वे कुष्ठ रोग के उन्मूलन के लिए प्रयासरत थे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कुष्ठरोग जीवाणुओं (माइकोबैक्टेरियम ) से होने वाली एक साधारण बीमारी है, जो मुख्य रूप से चमड़ी एंव नसों को प्रभावित करती है। यह सबसे कम संक्रामक रोगों में से एक है। उन्होंने कहा कि यह सामान्य सर्दी-जुकाम से भी कम संक्रामक है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति, स्त्री-पुरूष को हो सकती है। यदि समय पर इसका उपचार न किया जाए तो यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फैल सकती है और विकलांगता भी हो सकती है। परंतु कुष्ठरोग का समय पर इलाज शुरू करने से बीमारी के संक्रमण को रोका जा सकता हे। कुष्ठरोगी पूरी तरह से सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। यदि कुष्ठरोग का प्रारंभिक अवस्था में पता लगा लिया जाए तो मल्टी ड्रग थैरेपी द्वारा पूर्णतः इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि 6 से 12 माह तक के उपचार से कुष्ठ रोग पूर्णतः ठीक हो जाता है। पिछले 10 वर्षों में कुष्ठरोग से प्रभावित 4277 व्यक्ति अपना इलाज पूर्ण कर परिवार के साथ सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कुष्ठरोग का उपचार हरियाणा के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने पहले भी अपने राज्य को चेचक और पोलियो मुक्त बनाया है। इसी प्रकार हमें आने वाले वर्षों में हरियाणा को कुष्ठरोग मुक्त प्रदेश बनाएंगे।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के कार्यकर्ता संदिग्ध कुष्ठरोग के व्यक्तियों का जल्द से जल्द पता लगाने और उनकी पहचान करने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करते है। जिस व्यक्ति के त्वचा पर हल्के पीले रंग के निशान है तथा जिसकी हथेली या तलवों में सुन्नापन है ऐसे व्यक्ति को कुष्ठरोग हो सकता है। उन्होंने सलाह दी कि ऐसे व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में सेवाएं लेनी चाहिए। इस रोग की देखभाल करने में देरी से विकलांगता (दिव्यांगता) हो सकती है। यदि आपके आसपास किसी व्यक्ति में कुष्ठरोग का कोई भी लक्षण नज़र आए तो तुरंत उसे नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जांए। यदि संदिग्ध व्यक्ति में कुष्ठरोग पाया जाता है तो सरकार द्वारा सूचित करने वाले व्यक्ति को 250 रूपए इनाम भी दिया जाता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में किसी भी व्यक्ति को कुष्ठरोग होने पर कुष्ठ कॉलोनियों में नहीं भेजा जाता बल्कि वे अपने परिवार के साथ सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं।
हरियाणा स्वास्थ्य सेवाएं विभाग के महानिदेशक डॉ मनीष बंसल ने बताया कि हरियाणा में वर्तमान में केवल 382 कुष्ठरोगियों का इलाज चल रहा है जिसमें से अधिकतर कुष्ठरोगी निकटतम राज्यों से है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा कुष्ठ रोग निरोधी ड्रग्स, सभी जिलों के सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंन्द्र/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं।
इसके अतिरिक्त, "माइक्रो सेलुलर रबर फुटवियर" , सायक दवाएं ,कमठी और बैसाखी, सेल्फ केयर किट आदि भी आवश्यकता के अनुसार कुष्ठ रोगियों को मुफ़्त उपलब्ध करवाए जाते हैं। डॉ बंसल ने यह भी बताया कि हरियाणा के विभिन्न जिलों में 19 कुष्ठ कॉलोनियां हैं। इन कॉलोनियों में पुराने कुष्ठरोग का इलाज पूरा कर चुके 567 कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्ति व उनका परिवार रहते हैं। इनमें से चार कॉलोनीयां हिंद कुष्ठ निवारण संघ द्वारा और एक रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा संचालित की जा रही हैं, जिन्हें सरकार से सहायता मिलती है। अन्य 14 कॉलोनीयां कुष्ठ रोगियों द्वारा स्वंय बसायी गई हैं।