-कच्ची घोड़ी और बाजीगर भी कर रहे हैं पर्यटकों का मनोरंजन
चंडीगढ़ , 9 दिसंबर - कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृतियों ने धमाल मचाया है। इन राज्यों के कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति की छटा बिखेर कर पर्यटकों का मन मोह लिया है। इस लोक संस्कृति से ब्रह्मसरोवर की फिजा विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति से रंग गई है। इन तमाम प्रस्तुतियों को उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र पटियाला की तरफ से प्रस्तुत किया जा रहा है।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र के अधिकारी जरनैल सिंह ने कहा कि एनजेडसीसी की तरफ से आमंत्रित किए कलाकारों में हिमाचल प्रदेश के कलाकार पूजा और घट नृत्य, जम्मू कश्मीर के कलाकार धमाली नृत्य व देकू भद्रवाही कुड व रुमाल नृत्य, पंजाब का झूमर व मलवाई गिद्दा, राजस्थान का चारी, उत्तराखंड के कलाकार पांडव नृत्य, मध्य प्रदेश का गंगौर व पांथी नृत्या, झारखंड का पायका नृत्य, उड़ीसा का संभालपूरी नृत्य सहित राजस्थान के कच्ची घोड़ी नृत्य, ढेरु गाथा गायन आदि की प्रस्तुति दी जा रही है। इन सभी लोक नृत्यों में कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की संस्कृति, लोक गायन कला और अपने रीति-रिवाजों को दर्शाने का अनोखा प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि एनजेडसीसी की तरफ से आमंत्रित किए गए यह कलाकार 15 दिसंबर तक अपनी प्रस्तुति देंगे। इन कलाकारों में जम्मू कश्मीर का कुड व राउफ नृत्य, पंजाब का भांगड़ा व जिंदवा, हिमाचल प्रदेश का सिरमौरी नाटी, उत्तराखंड का छपेली/घसीयारी नृत्य, राजस्थान का सावंरिया सवांग, गुजरात का सिद्दी धमाल, उतर प्रदेश के बरसाना की होली, छतीशगढ़ का पांडवानी गायन, मणीपुर का लाई हरोबा व मणीपुरी रास, झारखंड का पुरलिया छाउ, उड़ीसा का गोटी पुआ नृत्य के साथ-साथ राजस्थान के कच्ची घोड़ी, बाजीगर, बहरुपिए आदि नृत्यों की प्रस्तुति भी महोत्सव मेें देखने को मिल रही है।