पंजाब के चर्चित अमरूद बाग घोटाला मामले में एक और आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। हालांकि आरोपी ने विजिलेंस के पास आत्मसमर्पण किया है। अमरूदों के बागों के मुआवजा जारी करने के घोटाले में भगोड़े नायब तहसीलदार जसकरण सिंह बराड़ ने सोमवार को विजिलेंस ब्यूरो के सामने सरेंडर किया है।
137 करोड़ का अमरूद बाग घोटाला मामले में नायब तहसीलदार जसकरण सिंह बराड़ की गिरफ्तारी के बाद अब मामले में कुल 23 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। आरोपी जसकरण सिंह को कोर्ट भगोड़ा घोषित कर चुकी है।
इससे पहले शनिवार को ईडी जालंधर के असिस्टेंट डायरेक्टर ने मामले में 66 आरोपियों और किसानों को समन जारी किए थे। भगोड़े नायब तहसीलदार ने ईडी के हत्थे चढ़ने के डर से विजिलेंस ब्यूरो के सामने सरेंडर कर कड़ी कार्रवाई से खुद को बचाने का प्रयास किया है।
विजिलेंस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पकड़े गए आरोपी नायब तहसीलदार जसकरण सिंह ने ही अमरूदों के बागों के लिए मुआवजा राशि का खाका तैयार किया था। इसमें गमाडा के वरिष्ठ अधिकारियों के कहने पर कई फर्जी मुआवजे भी जारी किए गए। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद आरोपी ने विजिलेंस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
018 में जमीन पट्टे पर ली, पौधे 2016 से लगे दिखाए
यह घोटाला ग्रेटर मोहाली डेवलपमेंट अथॉरिटी (गमाडा) के एयरोट्रोपोलिस प्रोजेक्ट की जमीन के अधिग्रहण से जुड़ा है। गमाडा ने लैंड पूलिंग पॉलिसी के मुताबिक प्रोजेक्ट के लिए रेट घोषित किया। जमीन पर लगे अमरूद के पेड़ों की कीमत अलग मुआवजे के तौर पर दी थी। जमीन पर जितने भी फलदार पेड़ थे, उनकी कीमत बागवानी विभाग की तरफ से निर्धारित की गई थी। गमाडा के अधिकारियों के साथ मिलकर इनकी उम्र 4 से 5 साल दिखाई गई। हाईकोर्ट ने मामले में अलग-अलग दोषी लाभार्थियों को कुल 72.36 करोड़ रुपये की रकम जमा करवाने का आदेश दिया, जिसमें से अब तक 43.72 करोड़ जमा करवाए जा चुके हैं। गमाडा की ओर से अधिग्रहण की जाने वाली जमीन पर नियम से अधिक अमरूद के पौधे लगाए थे। आरोप है कि जिन लोगों ने जमीन पट्टे पर ली, उन लोगों ने प्रति एकड़ दो से ढाई हजार पेड़ दिखाए। आरोप यह भी है कि इन्होंने 2018 में जमीन पट्टे पर ली थी और तभी वहां अमरूद के पौधे लगाए। अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर रिकॉर्ड में इन पौधों को 2016 से दिखाया गया।