सिटी दर्पण
नई दिल्ली, 21 अप्रैलः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला किया और कहा कि कांग्रेस मां-बहनों का सोना लेकर ‘घुसपैठियों को बांटना’ चाहती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में मुसलमानों को लेकर टिप्पणी भी की है, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने कहा है कि प्रधानमंत्री देश में नफ़रत के बीज बो रहे हैं.
पीएम मोदी के भाषण के ख़त्म होने के कुछ देर बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता परवन खेड़ा ने एक वीडियो बयान जारी किया जिसमें उन्होंने मोदी को चुनौती दी और कहा, "हमारे घोषणापत्र में कहीं भी हिंदू-मुसलमान लिखा हो तो दिखा दें"
रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का मक़सद पानी और गैस को घर-घर पहुंचाने के बाद अब 'हर घर-सूर्य घर' बनाने का है.
उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले पांच साल में भी लोगों को मुफ़्त राशन मिलता रहेगा, इसका सबसे बड़ा फ़ायदा आदिवासी परिवारों, दलित परिवारों और पिछड़ा वर्ग के परिवारों को मिलेगा.
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि देश में एक मज़बूत सरकार की ज़रूरत है, जो सरहदों की सुरक्षा कर सके और ज़रूरत पड़ने पर पाताल में भी खोजकर दुश्मनों का सफ़ाया कर सके.
मोदी ने कहा, "इतना बड़ा देश क्या किसी ऐसे व्यक्ति को दे सकते हैं जिसका कोई ट्रैक रिकॉर्ड ना हो. एक मोदी है, जिसे आप जानते हैं, 23 साल हो गए, 13 साल गुजरात में भी डूंगरपुर-बांसवाड़ा के लोगों ने मुझे क़रीब से देखा है."
'जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे'
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कांग्रेस के मेनिफ़ेस्टो पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस पार्टी देश की महिलाओं के सोने का हिसाब करके उसे बांटना चाहती है.
मोदी ने कहा, "हमारे आदिवासी परिवारों में चांदी होती है उसका हिसाब लगाया जाएगा, जो बहनों का सोना है, और जो संपत्तियां हैं, ये सबको समान रूप से वितरित कर दी जाएंगी, क्या ये आपको मंज़ूर है? आपकी संपत्ति सरकार को लेने का अधिकार है क्या? क्या आपकी मेहनत करके कमाई गई संपत्ति को सरकार को ऐंठने का अधिकार है क्या?"
अपने भाषण में मोदी ने कहा, "पहले जब उनकी सरकार थी तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है, इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठा करके किसको बांटेंगे- जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे, घुसपैठियों को बांटेंगे. क्या आपकी मेहनत का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंज़ूर है ये?"
मोदी ने कहा, "ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है कि वो मां-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. भाइयों बहनों ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी मां-बहनों ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे, ये यहां तक जाएंगे."
कांग्रेस ने दी मोदी को चुनौती
विपक्षी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस भाषण की कड़ी आलोचना की है और कहा है कि प्रधानमंत्री नफ़रत के बीज बो रहे हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, "पहले चरण के मतदान में निराशा हाथ लगने के बाद नरेंद्र मोदी के झूठ का स्तर इतना गिर गया है कि घबरा कर वह अब जनता को मुद्दों से भटकाना चाहते हैं."
"कांग्रेस के ‘क्रांतिकारी मेनिफेस्टो’ को मिल रहे अपार समर्थन के रुझान आने शुरू हो गए हैं. देश अब अपने मुद्दों पर वोट करेगा, अपने रोज़गार, अपने परिवार और अपने भविष्य के लिए वोट करेगा. भारत भटकेगा नहीं!"
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा, "देश के प्रधानमंत्री ने आज फिर झूठ बोला. एक चुनाव जीतने के लिए आप झूठ पर झूठ परोसते चले जाओगे जनता को. चलिए आपकी गारंटियां झूठी, आपके जुमले झूठे, आपके वादे झूठे."
उन्होंने कहा, "आप देश को हिंदू-मुसलमान के नाम पर झूठ परोसकर बांट रहे हैं. मैं चुनौती देता हूं प्रधानमंत्री को कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो में कहीं भी मुसलमान और हिंदू शब्द हो तो हमें बताएं और ये चुनौती स्वीकार करें या नहीं तो झूठ बोलना बंद करें."
"कांग्रेस के मेनिफेस्टो में न्याय की बात है, न्याय नौजवानों के साथ, न्याय महिलाओं के साथ, न्याय आदिवासियों के साथ, न्याय श्रमिकों के साथ. उस पर प्रधानमंत्री को आपत्ति है. आपत्ति हो भी क्यों ना? हमारा न्यायपत्र प्रधानमंत्री को न्याय दिखाता है और उनके दस साल के कृत्य दिखाता है. ये पूरे दस साल इन्होंने हिंदू-मुसलमान करके खत्म कर दिए और फिर से चुनाव में हिंदू-मुसलमान लेकर आए हैं. प्रधानमंत्री को शर्म आनी चाहिए."
उन्होंने आगे कहा, "झूठ बोलने और इस तरह से देश को बांटने में भी शर्म आनी चाहिए… प्रधानमंत्री जी आपके झूठ के कारण लोग हमारा मेनिफेस्टो पढ़ रहे हैं और आपके झूठ को भी उसी में ढूंढ रहे हैं कि कहां लिखा हुआ है हिंदू और कहां लिखा हुआ मुसलमान. इस तरह के शब्द हमारे मेनिफेस्टो में नहीं है. आपकी इस हल्की मानसिकता में इस तरह के बंटवारे की बात होती है. आपके दिमाग में होती है. आपके जहन में होती है. न तो हमारे मेनिफेस्टो में है, न ही हमारे संविधान में है और न ही हमारे दिमाग में है और न ही इस समाज में है."
पवन खेड़ा ने कहा, "सिर्फ और सिर्फ आपकी हल्की मानसिकता में है और कहीं नहीं है. झूठ बोलना बंद करिए प्रधानमंत्री जी. अब डेढ़ महीना बचा है. जाइये, रिटायर हो जाएये और बाइज्जत रिटायर हो जाइये. कम से कम झूठ आपको शोभा नहीं देता इस कुर्सी पर. आपसे पहले बहुत ही पढ़े लिखे महानुभाव बैठे हैं और किसी ने इस तरह का झूठ नहीं बोला है, जिस तरह से आप बोलते हैं."
"आपके बाद भी बहुत अच्छे लोग आए हैं. प्रधानमंत्री बनेंगे और कोई भी इस तरह से झूठ नहीं बोलेगा. आपका नाम इतिहास के डस्टबिन में जाएगा, जिस तरह का आप झूठ बोले हैं. माफ कीजिएगा ये भाषा हम आपसे ही सीखे हैं."
वहीं झारखंड के रांची में हुई इंडिया गठबंधन की एक रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा "देश में लोकतंत्र और संविधान खत्म हो गया, तो जनता के पास कुछ नहीं बचेगा. बाबासाहेब अंबेडकर जी और जवाहरलाल नेहरू जी ने सभी को वोटिंग का समान अधिकार दिलाया, जिससे सभी वर्गों को सम्मान मिला. लेकिन नरेंद्र मोदी गरीबों से उनके अधिकार छीनना चाहते हैं."
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "नरेंद्र मोदी आज कल कहते हैं- मैं लोगों के लिए जो काम कर रहा हूं, वो बस 'ट्रेलर' है. अगर ट्रेलर में ही इतनी समस्याएं हैं तो 'फिल्म' कैसी होगी?"
यूथ कांग्रेस के नेता श्रीनिवास बीवी ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के अंश को साझा करते हुए लिखा है, "ये देश का दुर्भाग्य है कि ये व्यक्ति इस देश का प्रधानमंत्री है, और उससे भी बड़ी त्रासदी है कि भारत का चुनाव आयोग अब जिंदा नही रहा."
उन्होंने लिखा, "हार की बौखलाहट के चलते खुलेआम भारत के प्रधानमंत्री नफरत का बीज बो रहे है, मनमोहन सिंह जी के 18 साल पुराने अधूरे बयान को मिसकोट कर (गलत संदर्भ में इस्तेमाल करके) कर रहे है, लेकिन चुनाव आयोग (मोदी का परिवार) नतमस्तक है."
तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने क्या कहा था?
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साल 2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक में भाषण दिया था.
मनमोहन सिंह ने कहा था, "मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं- कृषि, सिंचाई-जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक सार्वजनिक निवेश की ज़रूरतें. साथ ही अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्गों के उत्थान के लिए कार्यक्रम, अल्पसंख्यक और महिलाएं और बच्चों के लिए कार्यक्रम."
उन्होंने कहा था, "अनुसूचित जातियों और जनजातियों को पुनर्जीवित करने की ज़रूरत है. हमें नई योजनाएं लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और ख़ासकर मुसलमानों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके. इन सभी का संसाधनों पर पहला दावा होना चाहिए. केंद्र के पास बहुत सारी ज़िम्मेदारियां हैं और ओवर-ऑल संसाधनों की उपलब्धता में सबकी ज़रूरतों का समावेश करना होगा."
ध्यान देने वाली बात यह है कि मनमोहन सिंह ने यह भाषण अंग्रेजी में दिया था और उन्होंने अधिकार या हक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था, जबकि उन्होंने अंग्रेजी में 'क्लेम' शब्द का इस्तेमाल किया था. यह भाषण पीएमओ आर्काइव पर यहां उपलब्ध है.