शपथ पत्र के मुताबिक़ राहुल गांधी ने बीमा के रूप में 61.52 लाख रुपये जमा किए हैं. उनके पास 4.20 लाख कीमत के सोने और अन्य तरह के आभूषण हैं. इस तरह राहुल गांधी की कुल चल संपत्ति 9.24 करोड़ रुपये की है.
उन्होंने बताया कि साल 1995 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज से डिवेलपमेंट स्टडीज से एमफिल की पढ़ाई पूरी की.
वायनाड की लड़ाई राहुल के लिए कितनी मुश्किल
वायनाड सीट पर लेफ्ट ने अपने उम्मीदवार के नाम का एलान कर दिया है. सीपीआई (एम) नेता वृंदा करात ने फ़रवरी में कहा था, ''वायनाड सीट पर अभी सीपीआई ने अपने उम्मीदवार को घोषित कर दिया है. कॉमरेड एनी राजा, जिन्होंने महिला आंदोलन में बहुत जबरदस्त भूमिका अदा की. अभी वो पूरे एलडीएफ (लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट) की तरफ़ से उम्मीदवार होंगी.''
वृंदा ने कहा था, ''राहुल गांधी और कांग्रेस को सोचना चाहिए. वो कहते हैं कि उनकी लड़ाई बीजेपी के ख़िलाफ़ है. केरल में आप बीजेपी के ख़िलाफ़ नहीं, आप लेफ्ट के ख़िलाफ़ आकर लड़ेंगे तो आप ख़ुद क्या मैसेज भेजेंगे. इसलिए उनको अपनी सीट के बारे में दोबारा सोचने की ज़रूरत है.''
सीपीआई (एम) और कांग्रेस इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं. ऐसे में राहुल गांधी की सीट पर ये दोनों सहयोगी आमने-सामने होंगे. केरल में लोकसभा की 20 सीटें हैं. सीपीआई इन 20 सीटों में से चार पर लड़ रही है. सीपीआई के स्टेट सेक्रेटरी बिनॉय विश्वम ने सोमवार को इस बारे में एलान किया था. केरल की तिरुअनंतपुरम सीट से साल 2009 से शशि थरूर सांसद हैं. इस सीट पर सीपीआई ने वरिष्ठ पार्टी नेता पनियन रवींद्रन को उतारा है.
वृंदा करात ने जब फ़रवरी में वायनाड से अपने उम्मीदवार के नाम का एलान किया था और राहुल गांधी से सोचने के लिए कहा था तो इस पर शथि थरूर की प्रतिक्रिया आई थी.
शशि थरूर ने कहा था कि लेफ्ट केरल की उन सीटों पर कांग्रेस के सामने क्यों आ रही है, जहाँ बीजेपी मज़बूत थी.
शशि थरूर ने कहा था, ''उदाहरण के लिए मेरी सीट की ही बात कीजिए. बीते दो चुनावों में इस सीट पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही है. एंटी-बीजेपी वोट का बड़ा हिस्सा तीसरे नंबर पर रहे कम्युनिस्ट उम्मीदवार को मिला था. अगर तिरुअनंतपुरम में लेफ्ट के लिए मेरा विरोध करना ठीक है तो राहुल गांधी वायनाड में लेफ्ट के ख़िलाफ़ क्यों नहीं लड़ सकते.''
सीट शेयरिंग के बारे में थरूर ने कहा, ''केरल में लेफ्ट सहयोग करने की मंशा नहीं दिखा रहा है. बराबर के राज्य तमिलनाडु में सीपीआई (एम), सीपीआई, मुस्लिम लीग, कांग्रेस और डीएमके साथ में मिलकर लड़ रहे हैं. एक राज्य से दूसरे राज्य में हालात अलग दिख रहे हैं.''
दूसरी तरफ़ एनी राजा ने कहा था, ''ये कांग्रेस को तय करना है कि वो किस सीट पर किसे उतारना चाहती है. एक स्वतंत्र पार्टी के तौर पर हमने फ़ैसला किया है. ये पहली बार नहीं है, जब राहुल गांधी किसी सीपीआई उम्मीदवार का सामना करेंगे. 2019 में भी ऐसा हुआ था. हालांकि इसका असर 'इंडिया' के बीजेपी के ख़िलाफ़ शुरू किए अभियान पर होगा. इसकी जवाबदेही कांग्रेस की बनती है न कि हमारी.''
एनी राजा कौन हैं?
एनी राजा सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं. एनी पार्टी के महासचिव डी राजा की पत्नी हैं.
वो नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन की महासचिव भी हैं. वो स्कूल के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय हैं.
एनी रूढ़िवादी ईसाई परिवार में जन्मीं.
उनके पिता थॉमस किसान थे और कम्युनिस्ट थे. एनी शुरुआती दिनों में ही सीपीआई की स्टूडेंट विंग ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन में शामिल हो गई थीं.
छात्र मुद्दों पर एनी काफ़ी सक्रिय रहीं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, सीपीआई नेता और पूर्व सीएम वीके वासुदेवन नैयर के कहने पर एनी राजनीति में सक्रिय हुईं और पार्टी में अहम ज़िम्मेदारियां उठाईं.
एनी कन्नूर में सीपीआई की महिला विंग की ज़िला सचिव बनीं. 22 साल की उम्र में वो सीपीआई स्टेट एग्ज़ीक्यूटिव कमेटी की सदस्य बनी थीं.
एनी और डी राजा ने साल 1990 में शादी की थी. बाद में ये जोड़ा दिल्ली आ गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनी ने दिल्ली में कई तरह की नौकरियां कीं, इनमें टीचर की नौकरी भी है. एनी ने बीएड की पढ़ाई भी की थी.
बाद में एनी महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय हो गईं.
जुलाई 2023 में मणिपुर हिंसा को स्टेट स्पॉन्सर्ड बोलने पर एनी के ख़िलाफ़ इम्फाल में केस दर्ज हुआ था.